इसरो ने किया GSAT-29 कम्यूनिकेशन सैटलाइट का सफल प्रक्षेपण
इस सैटलाइट का इस्तेमाल कम्यूनिकेशन के क्षेत्र में नई तकनीक का परीक्षण करने के लिए भी किया जाएगा। स्थापित करने के बाद हासन स्थित इसरो की शीर्ष नियंत्रण इकाई ने उपग्रह के नियंत्रण का जिम्मा ले लिया है।
स्थापित करने के बाद हासन स्थित इसरो की शीर्ष नियंत्रण इकाई ने उपग्रह के नियंत्रण का जिम्मा ले लिया है। आने वाले दिनों में, उपग्रह को भूस्थैतिक कक्ष में इसके निर्धारित स्थान पर तीन कक्षों में स्थापित किया जाएगा।
भारतीय अंतरिक्ष एंव अनुसंधान संगठन (इसरो) ने GSAT-29 कम्यूनिकेशन सैटलाइट का सफल प्रक्षेपण किया। जियोसिंक्रोनस उपग्रह प्रक्षेपण यान मार्क-III (जीएसएलवी एमके III-डी2) के दूसरे दौर की उड़ान से बुधवार को सतीश भवन अंतरिक्ष केन्द्र (एसडीएससी) श्रीहरिकोटा से जीएसएटी-29 संचार उपग्रह का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया।
जीएसएलवी एमके III-डी2 को 3423 किलोग्राम वाले जीएसएटी-29 उपग्रह के साथ भारतीय समय के अनुसार 17:08 बजे सतीश भवन अंतरिक्ष केन्द्र के दूसरे प्रक्षेपण पैड से प्रक्षेपित किया गया। लगभग 17 मिनट के बाद, इस प्रक्षेपण यान द्वारा योजना के अनुसार उपग्रह को जियोसिंक्रोनस स्थापन कक्ष (जीटीओ) में स्थापित कर दिया।
इस सैटलाइट का वजन 3,423 किलोग्राम है और इसकी आयु 10 वर्ष बताई गई है। इसका इस्तेमाल कम्यूनिकेशन के क्षेत्र में नई तकनीक का परीक्षण करने के लिए भी किया जाएगा। स्थापित करने के बाद हासन स्थित इसरो की शीर्ष नियंत्रण इकाई ने उपग्रह के नियंत्रण का जिम्मा ले लिया है। आने वाले दिनों में, उपग्रह को भूस्थैतिक कक्ष में इसके निर्धारित स्थान पर तीन कक्षों में स्थापित किया जाएगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने इस तीन स्तरीय भारी प्रक्षेपण यान जीएसएलवी एमके III को तैयार किया है।
इसके सफल प्रक्षेपण के बाद इसरो के अध्यक्ष डॉ. के. सिवन ने कहा, 'अपनी धरती से अपने सबसे भारी प्रक्षेपक की मदद से सबसे भारी उपग्रह को प्रक्षेपित करके भारत ने एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर तय किया है। प्रक्षेपण यान की मदद से अपने लक्षित कक्ष में उपग्रह को पूर्णत: स्थापित किया गया है। इस उपलब्धि के लिए मैं इसरो की पूरी टीम को बधाई देता हूं।'
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