बच्चे के जन्म पर कंपनी ने निकाला, खुद का बिजनेस शुरू कर इस मां ने दिया करारा जवाब
इको फ्रेंडली प्रॉडक्ट बनाकर पर्यावरण को बचाने की मुहिम में लगीं अनामिका सेनगुप्ता की कहानी संघर्ष के किस्सों से भरी है। मुंबई के एक छोटे उपनगरीय इलाके में पली बढ़ीं अनामिका को यहां तक पहुंचने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा।
आज उनके बच्चे के जन्म के 4 साल हो चुके हैं और वह कहती हैं कि उन्होंने अपनी मां से ही बच्चों की परवरिश करनी सीखी है। इन सब चीजों को लेकर वह आज भी अपनी मां से सलाह लेती रहती हैं।
अक्सर छोटे शहरों-कस्बों में पले बढ़े सफल लोगों की कहानी दिलचस्प होती है। वजह साफ है कि ऐसे लोगों को बाकियों की अपेक्षा ज्यादा संघर्ष करना पड़ता है। वहीं अगर बात किसी महिला या लड़की की हो तो यह संघर्ष कई गुना बढ़ जाता है। इको फ्रेंडली प्रॉडक्ट बनाकर पर्यावरण को बचाने की मुहिम में लगीं अनामिका सेनगुप्ता की कहानी कुछ ऐसी ही है। मुंबई के एक छोटे उपनगरीय इलाके में पली बढ़ीं अनामिका को यहां तक पहुंचने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा।
ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे को दिए इंटरव्यू में उन्होंने अपनी दास्तां बताई। उन्होंने कहा, 'हम डोंबीवली में एक छोटे से कमरे में पले बढ़े। मेरी मां ने हमेशा पढ़ाई पर ध्यान दिया। उन्होंने मुझे और मेरी बहन को पढ़ाई की अहमियत बताई। वे रद्दीवाले से किताबें खरीदकर हमें पढ़ने के लिए देती थीं। दरअसल हम लोगों के पास नई किताब खरीदने के पैसे नहीं होते थे। 8वीं कक्षा में पहुंचने पर मैंने अपनी खुद की एक लाइब्रेरी खोल ली और बच्चों को किराए पर किताब देने लगी।'
किसी तरह अनामिका ने अपनी पढ़ाई पूरी की और एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी भी हासिल की। लेकिन 25 वर्ष की उम्र में उन्हें एक ऐसे रिश्ते से बाहर निकलना पड़ा जहां हर रोज उन्हें अपमान सहना पड़ता था। उनकी मां ने जिंदगी के इस मोड़ पर भी उनकी काफी मदद की। अनामिका कहती हैं कि उनकी मां ने उनकी जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए कठिन संघर्ष किए थे, लेकिन अब उनकी जिंदगी पल पल तबाह हो रही थी, इसलिए उन्होंने वहां से निकलना ही बेहतर समझा।
30 वर्ष की उम्र में पहुंचने पर उनके पास एचआर के तौर पर काम करते हुए 8 सालों का लंबा अनुभव हो गया था। इसलिए उन्हें इसका इनाम मिला और उन्हें ग्लोबल रिक्रूटमेंट हेड बना दिया गया। इसी दौरान उन्हें प्यार हुआ और वह शादी के बंधन में बंध गईं। शादी के बाद उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया, लेकिन अब उनके करियर में एक नई मुसीबत आन पड़ी। अनामिका कहती हैं कि बच्चे के जन्म के बाद कंपनी ने उन्हें इस्तीफा देने को कह दिया, क्योंकि कंपनी को लगता था कि अब वे अपने करियर पर उतना ध्यान नहीं दे पाएंगी। इससे अनामिका का मन व्यथित हो गया।
वे नौकरी छोड़कर बच्चे पर ध्यान देने लगीं। लेकिन इसी बीच उनके दिमाग में एक आइडिया आया। उन्होंने देखा कि बच्चे के कपड़े बदलने के लिए जो रैप इस्तेमाल होता था, वह अमेरिका से आयात होता है। उन्हें लगा कि हमारा देश इतना समृद्ध है फिर भी इतनी छोटी चीज हमें अमेरिका से आयात करनी पड़ रही है। उन्होंने स्थानीय तौर पर हस्तशिल्प कारीगरों से संपर्क किया और उनसे बेबी रैप बनवाना शुरू किया। दो महीने के इंतजार के बाद उन्हें यूरोप से ऑर्डर मिला। उन्होंने अपने उत्पाद बेचने के लिए फेसबुक पेज भी बनाया। उनकी कंपनी का नाम अलमित्रा सस्टेनेबल है।
आज उनके बच्चे के जन्म के 4 साल हो चुके हैं और वह कहती हैं कि उन्होंने अपनी मां से ही बच्चों की परवरिश करनी सीखी है। इन सब चीजों को लेकर वह आज भी अपनी मां से सलाह लेती रहती हैं। उन्होंने अपने बेटे के जन्म के साथ ही अपनी कंपनी को भी जन्म दिया था और आज दोनों तेज गति से आगे बढ़ते हुए तरक्की कर रहे हैं। आज उनकी कंपनी बांस से बने टूथब्रश, स्ट्ऱॉ और अन्य सामान बनाती हैं जिनसे पर्यावरण को जरा सा भी नुकसान नहीं पहुंचता।
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