क्या भारत में भी 18 साल के युवाओं को मिलना चाहिए चुनाव लड़ने का अधिकार
अभी भारत में लोकसभा या विधानसभा के चुनाव लड़ने के लिए व्यक्ति को 25 साल की न्यूनतम आयु का होना चाहिए। अब इसे भी घटकर 18 वर्ष करने की मांग की जा रही है।
यूनाइटेड किंगडम जैसे देश में उम्मीदवारी की न्यूनतम उम्र 18 साल है। अमेरिका में भी इस बात को लेकर लंबे समय से मांग की जा रही है। अब देखने वाली बात होगी कि क्या भारत में भी 18 साल के युवाओं को चुनाव लड़ने का अधिकार मिलेगा?
देश की सर्वोच्च अदालत ने बीते सोमवार को चुनाव लड़ने के लिए 25 साल की न्यूनतम उम्र की अनिवार्यता को घटाकर 18 करने के संबंध में दाखिल जनहित याचिका पर गंभीरता से विचार करते हुए कहा कि इस मामले पर अगर संसद में बहस हो तो बेहतर रहेगा। याचिकाकर्ता पवन कुमार सिंह के वकील राहुल मौर्या ने इसी साल मार्च में मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत के सामने इस मुद्दे को रखा था कि अगर कोई व्यक्ति 18 साल में अपना जनप्रतिनिधि चुनने के लिए वोट डाल सकता है तो उसे उस उम्र में चुनाव लड़ने का भी हक होना चाहिए।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद (आर्टिकल) 325 व 326 के अनुसार प्रत्येक वयस्क नागरिक को, जो पागल या अपराधी न हो, मताधिकार प्राप्त है। किसी नागरिक को धर्म, जाति, वर्ण, संप्रदाय अथवा लिंग भेद के कारण मताधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। संयुक्त राज्य अमरीका में पूरे देश में अश्वेतों को 1965 तक मतदान का अधिकार नहीं था। लोकतंत्र के लिए संघर्ष करने वाले लोग सभी वयस्कों-औरत या मर्द, अमीर या ग़रीब, श्वेत या अश्वेत-को मतदान का अधिकार देने की माँग कर रहे थे। इसे 'सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार' या 'सार्वभौम मताधिकार' कहा जाता है।
भारत में आजादी मिलने के बाद जब देश का संविधान बना तो उसमें सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर 21 वर्ष और उससे ज्यादा के लोगों को वोट डालने के अधिकार प्रदान कर दिए गए।
लेकिन 1989 में 21 वर्ष की इस आयु सीमा को घटाकर 18 वर्ष कर दिया गया। अभी भारत में लोकसभा या विधानसभा के चुनाव लड़ने के लिए व्यक्ति को 25 साल की न्यूनतम आयु का होना चाहिए। अब इसे भी घटकर 18 वर्ष करने की मांग की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई और जस्टिस अजय रस्तोगी ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए पहले तो कुछ सोच विचार किया लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि अगर यह मामला संसद में उठे तो बेहतर रहेगा। उन्होंने कहा कि कोर्ट इस मामले पर फैसला देने के लिए सही जगह नहीं है।
कोर्ट ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में ऐसी ही एक याचिका दाखिल हुई थी। अब फिर उसी मुद्दे पर याचिका पर सुनवाई करने का कोई मतलब नहीं है। जानने वाली बात है कि राजीव गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने 61वें संविधान संशोधन के माध्यम से वयस्क मताधिकार को 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दिया था। राजीव गांधी ने उस वक्त कहा था, 'हमारा युवा अब पढ़ा लिखा और जागरूक हो गया है। इसलिए अब उसे भी संवैधानिक प्रक्रिया में हिस्सा लेने का मौका देना चाहिए।'
यह संविधान संशोधन 15 दिसंबर 1988 को लोकसभा में पारित हुआ था। पांच दिन बाद ही इसे राज्यसभा ने भी पारित कर दिया था। 25 मार्च 1989 को यह प्रावधान अस्तित्व में आ गया था। भारत में लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए व्यक्ति को 25 साल की न्यूनतम आयु का होना ही चाहिए, हालांकि पंचायत चुनाव के लिए न्यूनतम उम्र सीमा 21 वर्ष है। आपको बता दें कि यूनाइटेड किंगडम जैसे देश में उम्मीदवारी की न्यूनतम उम्र 18 साल है। अमेरिका में भी इस बात को लेकर लंबे समय से मांग की जा रही है कि उम्र सीमा को घटाकर 18 कर दिया जाए। ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, स्वीडन और स्विट्जरलैंड में 18 वर्ष का ही प्रावधान है, अब देखने वाली बात होगी कि क्या भारत में भी 18 साल के युवाओं को चुनाव लड़ने का अधिकार मिलेगा?
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