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घर शिफ़्ट करने की मशक़्क़त को आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस से आसान बना रहा यह स्टार्टअप

घर शिफ़्ट करने की मशक़्क़त को आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस से आसान बना रहा यह स्टार्टअप

Thursday August 16, 2018 , 5 min Read

शिफ़्ट करा दो की पैरेंट कंपनी है, स्टार वर्ल्डवाइड ग्रुप प्राइवेट लि., जो कई सालों से लॉजिस्टिक्स सेक्टर में काम कर रही है। यह कंपनी मुख्य रूप से काउंसलेट्स और बड़ी कंपनियों को लॉजिस्टिक से जुड़ी सुविधाएं मुहैया कराती है।

‘शिफ़्ट करा दो' की टीम

‘शिफ़्ट करा दो' की टीम


‘शिफ़्ट करा दो’ ने ओये रूम्स (OYO Rooms) के साथ कर्मचारियों को रीलोकेशन की सुविधा देने के लिए क़रार कर रखा है। फ़िलहाल ‘शिफ़्ट करा दो’ किसी बाहरी निवेश की तलाश में नहीं है और कंपनी पूरी तरह से बूटस्ट्रैप्ड फ़ंडिंग पर चल रही है। 

स्टार्टअप: शिफ़्ट करा दो (ShiftKarado)

फ़ाउंडर्स: साहिल मिथाल, अतुल मिथाल, ऑलिना मिथाल सूद और आशीष मूलिक

शुरुआत: 2016

जगहः गुरुग्राम

काम: आर्टिफ़िशयल इंटेलिजेंस तकनीक पर आधारित लॉजिस्टिक सुविधाएं मुहैया कराना

सेक्टर: लॉजिस्टिक्स

फ़ंडिंग: बूटस्ट्रैप्ड

क्या आप किसी बेहतर इलाके में या ऑफ़िस के पास नई जगह पर शिफ़्ट होने का प्लान बना रहे हैं? गुरुग्राम आधारित स्टार्टअप ‘शिफ़्ट करा दो’ आपकी मदद के लिए पूरी तरह तैयार है। इस स्टार्टअप की शुरुआत 2016 में हुई और यह स्टार्टअप अपने उपभोक्ताओं को मिनटों में तरह-तरह की लॉजिस्टिक सुविधाओं के लिए ऑनलाइन कोटेशन्स उपलब्ध करवा देता है। मशीन लर्निंग (एमएल) और आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (एआई) तकनीकों के माध्यम से यह स्टार्टअप अपने उपभोक्ताओं की मदद करता है, ताकि उन्हें फ़ाइनल ऑर्डर करने में ज़्यादा जद्दोजहद न करनी पड़े।

शिफ़्ट करा दो की पैरेंट कंपनी है, स्टार वर्ल्डवाइड ग्रुप प्राइवेट लि., जो कई सालों से लॉजिस्टिक्स सेक्टर में काम कर रही है। यह कंपनी मुख्य रूप से काउंसलेट्स और बड़ी कंपनियों को लॉजिस्टिक से जुड़ी सुविधाएं मुहैया कराती है। ‘शिफ़्ट करा दो’ के को-फ़ाउंडर साहिल मिथाल कहते हैं, “वर्कफ़ोस मोबिलिटी में लगातार इज़ाफ़ा हो रहा है और इसको मद्देनज़र रखते हुए स्टार्ट वर्ल्डवाइड ग्रुप प्राइवेट लि. ने शिफ़्ट करा दो की शुरुआत की, जो एक तकनीक आधारित लॉजिस्टिक्स सपोर्ट देने वाली कंपनी है।”

2015 में कंपनी के फ़ाउंडर्स को इस बात का एहसास हुआ कि भारत के घरेलू रीलोकेशन मार्केट में अपार संभावनाएं हैं, लेकिन बहुत ही कम कंपनियां ऐसी हैं, जो इस क्षेत्र में अपनी सुविधाएं दे रही हैं और उन सुविधाओं का स्तर भी कुछ ख़ास नहीं है। साहिल बताते हैं कि इस तथ्य पर गौर करने के कुछ वक़्त बाद ही ‘शिफ़्ट करा दो’ को अमल में लाया गया और कंपनी ने अपनी वेबसाइट और ऐंड्रॉयड ऐप को औपचारिक रूप से लॉन्च किया।

कंपनी के को-फ़ाउंडर्स एक ही परिवार से ताल्लुक रखते हैं। अतुल मिथाल, साहिल और ऑलिना के पिता हैं और आशीष इन दोनों के रिश्तेदार हैं। अतुल 20 से भी अधिक वर्षों से स्टार्ट वर्ल्डवाइड ग्रुप के साथ जुड़े हुए हैं। साहिल ने वर्जीनिया (यूएस) के विलियम ऐंड मैरी कॉलेज से कम्प्यूटर साइंस में ग्रैजुएशन किया और इसके बाद स्टार वर्ल्डवाइड के साथ जुड़ गए। ऑलिना भी 2002 से स्टार वर्ल्डवाइड ग्रुप के साथ जुड़ी हुई हैं। आशीष, थॉमसन रॉयटर्स के साथ भी काम कर चुके हैं और वह 2016 में बाक़ी को-फ़ाउंडर्स के साथ जुड़े।

साहिल

साहिल


स्टार वर्ल्डवाइड से जुड़ने के बाद अतुल को इस बात का एहसास हुआ कि घरेलू बाज़ार के मूवर्स ऐंड पैकर्स सेगमेंट में डिमांड-सप्लाई के बीच का अंतर काफ़ी बड़ा है और यह अंतर अंतरराष्ट्रीय बाज़ारों के मुक़ाबले भी काफ़ी अधिक है। साहिल कंपनी के सभी तकनीकी कामों पर नज़र रखते हैं। ऑलिना के खाते में उपभोक्ताओं और प्रशिक्षण से जुड़ी बातें आती हैं। आशीष ने ‘शिफ़्ट करा दो’ का शुरुआती खाका तैयार करने और ऑपरेशन्स निर्धारित करने आदि में अहम भूमिका निभाई। हाल में शिफ़्ट करा दो की टीम के 15 एक्सपर्ट प्रोफ़ेशनल्स की टीम जुड़ी हुई है।

शिफ़्ट करा दो की वेबसाइट और ऐप की मदद से उपभोक्ता अपना पता, शिफ़्टिंग का दिन, सामान का ब्यौरा और समय आदि की जानकारी साझा करके अनुमानित भुगतान राशि की पूरी जानकारी हासिल कर सकते हैं। उपभोक्ता रीलोकेशन की सुविधा का लाभ भी उठा सकते हैं और किसी भी जगह पर भुगतान कर सकते हैं। डेटा ऐनालिसिस के आधार पर शिफ़्ट करा दो के प्लेटफ़ॉर्म को टेम्प्लेट आधारित मॉडल पर तैयार किया गया है, जिसमें सामानों की एक प्री-डिफ़ॉल्ट लिस्ट मौजूद है। उपभोक्ताओं अपने बजट और सुविधा के अनुसार, लिस्ट में सामान का चुनाव कर सकते हैं। किसी भी तरह की असुविधा पेश आने पर उपभोक्ता ‘शिफ़्ट करा दो’ की कस्टमर सपोर्ट टीम की मदद भी ले सकते हैं।

साहिल ने रेवेन्यू के संबंध में कोई जानकारी नहीं दी, लेकिन उन्होंने यह बताया कि तीन महीने पहले ही उनका स्टार्टअप ब्रेक इवन की स्थिति तक पहुंचा है। इसके अलावा, अपने स्टार्टअप के प्रतिद्वंद्वियों के संबंध में बात करते हुए उन्होंने कहा कि इस सेक्टर में अग्रवाल मूवर्स ऐंड पैकर्स सबसे प्रमुख कंपनी है। साहिल मानते हैं कि उनका स्टार्टअप तकनीकी पहलू और अंतरराष्ट्रीय मानकों पर ख़ासतौर पर ध्यान देता है और यही बात उनकी कंपनी को बाक़ी समकक्षों से अलग बनाती है। साथ ही, साहिल ने जानकारी दी कि पीक सीज़न में उनकी कंपनी या तो ख़ुद को फ़्लीट सर्विस का इस्तेमाल करती है या फिर आउटसोर्स करती है।

शिफ़्ट करा दो की क्लाइंट लिस्ट में दैनिक भास्कर, प्रॉप टाइगर और सीआईएएनएस जैसे बड़े कॉर्पोरेट समूह भी शामिल हैं। ‘शिफ़्ट करा दो’ ने ओये रूम्स (OYO Rooms) के साथ कर्मचारियों को रीलोकेशन की सुविधा देने के लिए क़रार कर रखा है। फ़िलहाल ‘शिफ़्ट करा दो’ किसी बाहरी निवेश की तलाश में नहीं है और कंपनी पूरी तरह से बूटस्ट्रैप्ड फ़ंडिंग पर चल रही है। साहिल ने योर स्टोरी को बताया, “मैं आपको निवेश के संबंध में सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं करा सकता क्योंकि हमारी कंपनी स्टार वर्ल्डवाइड (पैरेंट कंपनी) से इन्फ़्रास्ट्रक्चर आदि का सहयोग लेती है, लेकिन अनुमानित आंकड़ा 5 मिलियन डॉलर के करीब होगा।”

हाल में, यह स्टार्टअप 13 शहरों में अपनी सुविधाएं मुहैया करा रहा है, जिनमें दिल्ली एनसीआर, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद शामिल हैं। साहिल कहते हैं, “अगले दो सालों में हम अन्य कुछ शहरों में भी अपने ऑपरेशन्स शुरू करने की योजना बना रहे हैं। हमने अगले तीन सालों के लिए 100 करोड़ रुपए के रेवेन्यू का लक्ष्य निर्धारित किया है।”

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