एक बिहारी डॉक्टर, जिसने रूस में चुनाव जीता और पुतिन की कैबिनेट में जगह बनाई
अभय कुमार सिंह रूस में डेप्यूतात बनाए गए हैं। रूस में डेप्यूतात का वही मतलब है जो किसी भारतीय राज्य में विधायक या एमएलए का है। बिहार के पटना के रहने वाले अब पुतिन की टीम का हिस्सा होंगे।
संडे गार्जियन लाइव के साथ बातचीत में उन्होंने बताया कि 13 वर्ष की आयु में उनके पिता का निधन हो गया था। उस समय उन्होंने डॉक्टर बनने का फैसला किया। लोयोला स्कूल से पढ़ाई के बाद वह कुछ दोस्तों के साथ मेडिकल की पढ़ाई करने रूस आए थे।
1990 के दशक की शुरुआत में जब अभय कुमार सिंह कुर्स्क स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई कर वापस लौटे, तब उन्होंने सोचा भी नहीं था कि कभी वह रूसी राजनीति का हिस्सा होंगे। लेकिन आज, लगभग दो दशक बाद उन्होंने 'यूनाइटेड रशा पार्टी' के टिकट पर एक प्रांतीय चुनाव जीता है। सिर्फ तीन साल व्लादिमीर पुतिन के पक्ष में राजनीति करने के बाद अभय की उपलब्धि सोशल मीडिया पर छाई हुई है।
अभय कुमार सिंह रूस में डेप्युतात बनाए गए हैं। रूस में डेप्यूतात का वही मतलब है जो किसी भारतीय राज्य में विधायक या एमएलए का है। बिहार के पटना के रहने वाले अब पुतिन की टीम का हिस्सा होंगे। व्लादिमीर पुतिन पिछले 18 साल से रूस की सत्ता के केन्द्र में हैं। 'यूनाइटेड रशा' रूस की सत्ताधारी पार्टी है जिसने हाल के आम चुनावों में देश की संसद में 75 फ़ीसदी सांसद भेजे हैं। इसी दौरान अभय कुर्स्क शहर के विधानसभा प्रतिनिधि चुने गए।
संडे गार्जियन लाइव के साथ बातचीत में उन्होंने बताया कि 13 वर्ष की आयु में उनके पिता का निधन हो गया था। उस समय उन्होंने डॉक्टर बनने का फैसला किया। लोयोला स्कूल से पढ़ाई के बाद वह कुछ दोस्तों के साथ मेडिकल की पढ़ाई करने रूस आए थे। कुर्स्क स्टेट मेडिकल से स्नातक होने के बाद वह एक रजिस्टर्ड डॉक्टर के रूप में काम करने के लिए पटना वापस पहुंचे। हालांकि कुछ समय बाद वह वापस रूस लौटे और फार्मास्यूटिकल बिज़नेस में प्रवेश किया, इसके बाद धीरे धीरे अभय के पैर रूस में जमते गए व्यापार में भी बढ़ोत्तरी हुई।
फार्मा के बाद अभय ने रियल एस्टेट में हाथ आज़माया और अब वह एक मॉल के मालिक भी हैं, जिसका नाम उरल्स्की ट्रेड सेंटर है, यह भी कुर्स्क में स्थित है। अपने बिज़नेस को जमाने के साथ ही धीरे धीरे उनके कदम राजनीति की ओर बढ़ते चले गए।
इंडिया टुडे के साथ हुई बातचीत में उन्होंने कहा कि वह भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का अनुसरण करते हैं और उन्हीं की तरह राजनीति करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि भारत और रूस के संबंधों में हमेशा की तरह गर्माहट रहे। हिंदी-रूसी भाई भाई का नारा हम सभी को याद रखना होगा। यही वह भावना है जो हमारे संबंधों को मजबूती प्रदान करती है।
आपके लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि कुर्स्क विश्व इतिहास में एक खास स्थान रखता है। 1943 में यह द्वितीय विश्व युद्ध का गवाह रहा, इसके अलावा यह वही स्थान है जहां एडोल्फ हिटलर को हार मिली थी।
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