अपने गांव से पानी और बिजली की समस्या खत्म करने के लिए 23 साल के इंजीनियर ने बनाया विंड टरबाइन
"आंध्र प्रदेश के 23 वर्षीय इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छात्र मधु वज्रकरूर ने एक ऐसा विंड (पवन) टरबाइन बनाया है जो बिजली और स्वच्छ पेयजल पैदा कर सकता है। मधु को बचपन से ही इस तरह के नये प्रयोग करने का शौक था। वे त्यौहारों पर मां से मिले पैसों को जमा करते थे इसलिए नहीं कि अपने लिए कुछ खरीद सकें, बल्कि इसलिए क्योंकि वे अपने गांव को बिजली और स्वच्छपेय जल की समस्या से छुटकारा दिलवाना चाहते थे और यही वजह थी कि उन्होंने बेहद कम लागत में एक बेहतरीन विंड टरबाइन का निर्माण किया।"
सबकुछ आसानी से मिल जाता है, लेकिन स्वच्छ पीने का पानी और बिजली आसानी से नहीं मिलती। देश की एक बहुत बड़ी आबादी है, जो इसका सामना हर दिन करती है। कितने बच्चों को पीने का स्वच्छ पानी ना मिलने की वजह से कई तरह की बिमारियों और परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इंसान भोजन के बिना तो कुछ दिन रह कर सकता है, लेकिन बगैर पानी के वह कुछ घंटे ही निकाल पाता है। पानी इंसान की सबसे अहम ज़रूरत है, जिसके बिना किसी भी काम का होना असंव है।
कहने का तात्पर्य है, कि पानी और बिजली ये आज के समय में मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताएं हैं, जिनका निवारण सही तरह से ना होने पर ज़िंदगी मुश्किल होती है। भारत में, शुष्क जलवायु परिस्थितियों, भूजल संदूषण या क्षय जैसे विभिन्न कारणों से 88 मिलियन लोग सुरक्षित पेयजल से वंचित हैं, लेकिन आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले के 23 वर्षीय इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के छात्र मधु वज्रकरूर ने अपने गांव को इस समस्या से छुटकराना दिलवाने का विकल्प तैयार किया है।
योरस्टोरी से बात करते हुए मधु कहते हैं,
“मैं वज्रकरूर गाँव में पैदा हुआ और यहीं बड़ा हुआ। यहां, पानी की आपूर्ति का मुख्य स्रोत बोरवेल और पानी के टैंकर हैं। बोरवेल से निकाला गया पानी गर्म किया जाता है और फिर उसका उपयोग किया जाता है। जब बारिश नहीं होती है, तो भूजल स्तर गिरता है और हम टैंकरों से पीने का पानी खरीदने पर निर्भर हैं। मेरे पिता एक किसान हैं और मेरी माँ एक गृहिणी हैं, इसलिए उनकी आय कम है। कुछ मौकों पर हम पानी खरीदने का जोखिम नहीं उठा सकते ऐसे में ये विंड टरबाइन तैयार करना मेरे लिए बेहद ज़रूरी हो गया था।''
मधु का बचपन कोई बहुत खुशहाल या हर तरह की सुविधाओं से भरा हुआ नहीं था। बचपन से ही मधु ने अपने आसपास गरीबी और अभाव को करीब से देखा है। मधु के पिता अपनी छोटी-सी ज़मीन पर खेती करते हैं और उसी से जो आमदनी हुई उसे उन्होंने अपने बच्चों की पढ़ाई लिखाई और घर पर खर्च किया। मधु के परिवार में उनके बड़े भाई (जो कि उनसे 2 साल बड़े हैं), मां (जो कि गृहणी हैं) और पिता हैं।
मधु को बचपन से ही कुछ ऐसा करने की इच्छा थी, जो उनके गांव के लोगों का मुश्किल जीवन आसान बना सके।
बचपन में जो पॉकिट मनी या त्यौहारों पर पैसे मिलते थे उन्हें इकट्ठा करके मधु इसी तरह के कई प्रयोग कर चुके हैं।
क्लास 2 से ही मधु का मन इस तरह के कामों में लगता था। वे अपनी उम्र के बच्चों से बिल्कुल अलग थे। जिस वक्त उनकी उम्र के बच्चे खेल खिलौने से खेल रहे थे उस उम्र में मधु कई तरह के आविष्कार करने में व्यस्त थे।
मधु के गांव की आबादी लगभग 10 हज़ार के आसपास है, जहां पानी और बिजली सबसे बड़ी समस्या है। इसका सामना मधु ने बचपन से किया।
कितनी बार परीक्षा के दिनों में बिजली ना होने की वजह से लैंप, दिया या मोमबत्ती जलाकर भी पढ़ाई की।
मधु के करीबी दोस्त वन्नूर वली कहते हैं,
"मधु बचपन से ही बाकी बच्चों से अलग था। जिस वक्त में हम खेल खेलते थे उस समय में ये कई तरह के बिजली के सामान लेकर बैठ जाता था कुछ-कुछ बनाने। इसका ये जुनून मैंने बहुत करीब से देखा है। मधु में बहुत कुछ करने की क्षमता है और मैं जानता हूं कि ये जो भी सोचेगा उसे पूरा करके ही दम लेगा। कई तरह को अभावों के बावजूद मधु ने ये विंड टरबाइन तैयार किया है, जिसके होने से हमें अपने गांव में पानी और बिजली की समस्या खत्म होने की उम्मीद है। मधु ने यह टरबाइन अभी सिर्फ अपने गांव और पर्सनल इस्तेमाल के लिए बनाया है। पहले मधु अपने घर से शुरुआत करके गांव तक पहुंचना चाहता है, बाकी की यत्रा उसके बाद शुरु होगी। मैं बहुत खुश हूं कि उसका यह प्रयास सफल रहा और मुझे यकीन है कि मधु को अपने सभी प्रयासों में सफलता मिलेगी।"
मधु ने यह विंड टरबाइन अपने घर के पीछे ही डिजाइन करके लगाई है, जो बिजली और पीने के स्वच्छ पानी का का उत्पादन करता है। 15 फीट लंबा यह विंड टरबाइन मौसम से नमी इकट्ठा करता है।
यह एक तांबे के पाइप के माध्यम से निर्देशित किया जाता है, जैसे कि रेफ्रिजरेटर में उपयोग किया जाता है और फिर अंत में तीन चरण के फिल्टर तक पहुंचता है, साथ ही 40 लीटर क्षमता के साथ पानी एक बाहरी टैंक में भी एकत्र किया जाता है।
मधु कहते हैं,
“हवा में नमी पंखे के पीछे रखे ब्लोअर का उपयोग करके पवन टरबाइन फ्रेम में निर्देशित की जाती है। एक बार जब यह ठंडी हवा लंबे फ्रेम में चली जाती है, तो नमी को कंप्रेसर में निर्देशित किया जाता है जो हवा को पानी में घोल देता है। पानी को तब तांबे के पाइप के माध्यम से तीन चरण के फिल्टर में झिल्ली फिल्टर, कार्बन फिल्टर, और यूवी फिल्टर के माध्यम से धूल कणों को इकट्ठा करने के लिए निर्देशित किया जाता है। अंत में, साफ पानी फ्रेम पर रखे एक नल के माध्यम से बाहर पहुँच जाता है।"
यह विंड टरबाइन 30 किलोवाट क्षमता वाले एक इनवर्टर से जुड़ा है, जो मधु के घर में बिजली, लाइट और प्लग-पॉइंट के लिए काम करता है। यह प्लास्टिक पाइप, लोहे की छड़, और कुछ अन्य तत्वों की बनी है, जिन्हें मधु ने ऑनलाइन खरीदा था। उन्होंने अक्टूबर 2020 के पहले सप्ताह में टरबाइन बनाना शुरू किया और इसे 15 दिनों के भीतर ही बनाकर तैयार कर लिया। पंखे बनाने के लिए मधु ने वेल्डर की मदद ली, और उनके दोस्तों ने उन्हें संरचना को तैनात करने में मदद की। इस पर उन्हें कुल 1 लाख रुपये का खर्च आया। इसमें लगने वाला पैसा मधु ने अपनी बचत से निकाला और जो कम पड़ा उसमें उन्होंने अपने मां-पिता की मदद ली।
मधु अपनी मां को अपनी प्रेरणा मानते हैं। वह कहते हैं कि उनकी मां ने बचपन से उनकी इन आदतों, शौक और दिलचस्पी को देखा और कभी उन्हें मना नहीं किया, बल्कि हमेशा आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती रहीं। साथ ही पीएम मोदी की बातों ने उन्हें बहुत हिम्मद दी है।
मधु कहते हैं,
"मोदी जी ने यह समझाया है कि कोई भी काम मुश्किल नहीं अगर आप में करने का जज़्बा है तो। मोदी जी जिस तरह अपने भाषणों में युवाओं का उत्साहवर्धन करते हैं उसे देखकर लगता है कि देश का युवा कुछ भी कर सकता है, यदि उसमें हुनर और जज़्बा है तो। मैं अपने गांव अपने देश की लिए काम करना चाहता हूं। लोगों की पानी और बिजली की समस्या से मुक्ति दिलाना चाहता हूं।"
विंड टरबाइन का निर्माण क्लास 2 से ही मधु का सपना था, जब उन्होंने पहली बार इसके बारे में अध्ययन किया था। लेकिन इसे बनाने के लिए उनके पास ना तो अनुभव था और ना ही कोई तकनीकी ज्ञान, लेकिन वे स्कूल में आयोजित विज्ञान प्रदर्शनियों के लिए कार्डबोर्ड का उपयोग करके कई तरह के मॉडल बनाते रहे।
मधु कहते हैं,
“कॉलेज के दूसरे साल में मैंने सीखा कि सौर ऊर्जा ग्रिड और स्वचालित स्ट्रीट लाइट कैसे बनाई जाती है। इससे मुझे ऐसी तकनीक के साथ काम करने का व्यावहारिक ज्ञान मिला। अक्टूबर 2020 में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मन की बात सत्र में पवन चक्कियों के बारे में बात की जो पानी पैदा कर सकती हैं और यह भी बताया कि इन पवन टरबाइनों को दूसरे देशों में कैसे तैनात किया जाता है। इस बात ने मुझे विंड टरबाइन बनाने के लिए प्रेरित किया। यूट्यूब पर वीडियो देखने से मुझे वह विंड टरबाइन बनाने के बारे में बारीक जानकारी मिली जो पानी और बिजली पैदा कर सकता है। मैंने डिजाइन का तैयार किया, ज़रूरी कच्चा सामान इकट्ठा किया और इसे बनाने में जुट गया।"
मधु का विंड टरबाइन आज की तारीफ में प्रतिदिन के हिसाब से 80 से 100 लीटर पानी मुहैया कराती है। मधु का यह प्रयास बिजली के बिल में भी कटौती करता है। उनकी इस कोशिश से उनके पड़ोसी भी लाभान्वित हो रहे हैं और जल्दी ही यह सुविधा मधु अपने गांव के हर घर तक पहुंचाना चाहते हैं। मधु अपने इस प्रयास को स्टार्टअप या बिज़नेस का भी रूप दे सकते हैं, यदि उनके पास अच्छी फंडिंग का स्त्रोत हो तो।