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शहर में आने वाले गरीब प्रवासी मजदूरों की मदद कर रहा 24 साल का युवा

शहर में आने वाले गरीब प्रवासी मजदूरों की मदद कर रहा 24 साल का युवा

Monday June 24, 2019 , 3 min Read

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नरेश सिजापति (तस्वीर साभारर- द ल़ॉजिकल इंडियन)

आजकल अपने आधार कार्ड/पैन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र को बैंक खाते और अन्य तमाम चीजों साथ लिंक करना अनिवार्य हो गया है। हालांकि जिनके पास सारे दस्तावेज होते हैं उनके लिए ये आसान होता है, लेकिन जिनके पास दस्तावेज नहीं होता उनके लिए खासी मुश्किल आती है। खासकर उन लोगों के लिए जो नए शहरों में रहने के लिए आते हैं।


क्रांति बेन को भी कुछ ऐसी ही समस्या से गुजरना पड़ा था जब वे काम की तलाश में रहने के लिए अहमदाबाद आ गई थीं। दुर्भाग्यवश उन्हें काम नहीं मिला क्योंकि वे अपना पहचान पत्र घर पर छोड़ आई थीं। उन्हें नहीं पता था कि काम की तलाश के लिए पहचान पत्र भी जरूरी होता है।


24 वर्षीय नरेश सिजापति उर्फ नरेश भाई जो कि क्रांति बेन जैसे लोगों को पहचान पत्र दिलाने और सारे पहचान पत्रों को आधार कार्ड से जोड़ने का काम भी कर रहे हैं। यह काम वे सिर्फ 40 रुपये में कर रहे हैं। नरेश के बारे में बात करते हुए, क्रांति बेन ने एफर्ट्स ऑर गुड्स से कहा, “अगर नरेश भाई नहीं होते, तो मैं अभी भी बेरोजगार होती। उन्होंने कुछ ही दिनों में मेरा आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक खाता - सब कुछ बना दिया। उन्होंने मुझे उन सरकारी लाभ योजनाओं के बारे में भी बताया जिनसे मुझे लाभ मिलना था। जैसे- प्रधान मंत्री श्रम योगी मान -धन (पीएम- एसवाईएम) और अटल पेंशन योजना (एपीवाई)। उसने मेरे लिए जो किया है वह सराहनीय है। भगवान उसे आशीर्वाद दें।"


दरअसल नरेश को भी कभी ऐसी ही दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। नरेश ने 2017 में पनाह फाउंडेशन की स्थापना की थी। वे एक मोबाइल वैन की तरह अपना ऑफिस चलाते हैं। इस वैन को नरेश भैया की वैन के नाम से जाना जाता है। उन्होंने अभी तक पूरे अहमदाबाद में 23 टीम लीडर्स और 600 से अधिक सदस्य जोड़े हैं।। इस वैन को दो लोग चलाते हैं और एक महिला भी है जो ऑटो रिक्शा के जरिए काम संभालती है।




naresh

नरेश भैया की वैन



इस अनूठी पहल के बारे में बताते हुए नरेश ने कहा, 'मैं शहर में हर जगह काम कर रहे एसबीआई कियोस्क को देखता था। ये कियोस्क अधिक से अधिक लोगों को बैंकिंग के दायरे में लाने की कोशिश करते हैं। उसी समय, डिजिटल इंडिया पहल की मदद से छोटे-छोटे सेंटर खुल रहे थे जो दस्तावेज बनवाने में सहायता प्रदान करते हैं।' दस्तावेज बनवाने में लोगों की मदद करने के लिए पनाह फाउंडेशन ने यूआईडीएआई और भारतीय स्टेट बैंक के साथ समझौता किया है।


अपनी अन्य पहलों के बारे में द लॉजिकल इंडियन से बात करते हुए, नरेश ने कहा, 'श्रम संसाधन और सहायता केंद्र के माध्यम से पनाह फाउंडेशन मजदूरों को कौशल और ज्ञान विकास प्रशिक्षण प्रदान कर रहा है। हम श्रमिकों के लिए "स्वयं सहायता" समूह बनाने की भी योजना बना रहे हैं। नियुक्त किए गए टीम लीडर लगातार मजदूरों की सहायता करने के लिए उपलब्ध रहेंगे, और उन्हें किसी भी समस्या में मदद करेंगे।' नरेश यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि पनाह फाउंडेशन प्रवासी मजदूरों के लिए एक मददगार केंद्र के रूप में उभरे।