जिसके पास हैं चार-चार गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड, वो मजबूर है कॉन्ट्रैक्टर की नौकरी करने को
आंखों पर पट्टी बांध कर सबसे तेज़ टाईपिंग करते हैं दिल्ली के विनोद कुमार चौधरी। चार गिनीज़ रिकॉर्ड कर चुके हैं अपने नाम...
विनोद कहते हैं कि वह इस प्रतिभा को उन लोगों को भी सिखाना चाहते हैं, जिनके पास हाथ नहीं हैं या अक्षमता के कारण टाइप नहीं कर पाते हैं।
हाल ही में उन्होंने मुंह पर स्टिक रखकर सबसे तेज टाइपिंग करने का रिकॉर्ड बनाया है। उन्होंने सिर्फ 18.65 सेकंड्स में यह सफलता अर्जित की है।
विनोद बताते हैं कि शुरू में तो लोग उनका मजाक बनाते थे, लेकिन अब यही कौशल उनकी खासियत बन गया है। वह नाक से टाइपिंग करते समय दोनों हाथ पीछे बांध लेते हैं और की-बोर्ड को नाक से चलाते हैं।
दिल्ली के रहने वाले विनोद कुमार चौधरी वैसे तो देश की प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी के जेएनयू के पर्यावरण विज्ञान संस्थान में कॉन्ट्रैक्ट पर डेटा एंट्री ऑपरेटर के तौर पर काम करते हैं, लेकिन उनकी उपलब्धियों के बारे में आप जानेंगे तो हैरान रह जाएंगे। विनोद के नाम आंखें बंदकर सबसे तेज टाइपिंग करने का गिनीज रिकॉर्ड है। हाल ही में उन्होंने मुंह पर स्टिक रखकर सबसे तेज टाइपिंग करने का रिकॉर्ड बनाया है। उन्होंने सिर्फ 18.65 सेकंड्स में यह सफलता अर्जित की है। वह दुनिया के इकलौते इंसान हैं जिसके पास तरह-तरह से टाइपिंग करने का रिकॉर्ड है।
विनोद को अभी हाल ही में हरियाणा के फरीदाबाद में पीएचडी की उपाधि की गई। वर्ल्ड रिकॉर्ड यूनिवर्सिटी लंदन के वाइस चांसलर ने उन्हें पीएचडी की उपाधि से सम्मानित किया। लेकिन विनोद की जिंदगी की विडंबना ये है कि इतने काबिल होने के बाद भी उनके पास एक ढंग की नौकरी नहीं है। विनोद नाक और मुंह से भी आसानी से टाइप कर लेते हैं। वह कहते हैं कि वह इस प्रतिभा को उन लोगों को भी सिखाना चाहते हैं, जिनके पास हाथ नहीं हैं या अक्षमता के कारण टाइप नहीं कर पाते हैं।
विनोद बताते हैं कि वह एक ऐथलीट की तरह वह अपनी ज़िंदगी में स्ट्रगल कर रहे हैं। अभी विनोद कई बच्चों को टाइपिंग की ट्रेनिंग देते हैं और सबसे खास बात यह है कि वह किसी बच्चे से कोई शुल्क नहीं लेते।
विनोद एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने नाक से टाइपिंग की प्रेरणा हैदराबाद के मुहम्मद खुर्शीद हुसैन से ली है। खुर्शीद के पास नाक से अंग्रेजी के 103 अक्षर 47 सेकेंड की दर से टाइप करने का गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड है। विनोद ने प्रैक्टिस शुरू की और कुछ ही दिनों में खुर्शीद के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया। वह बताते हैं कि शुरू में तो लोग उनका मजाक बनाते थे, लेकिन अब यही कौशल उनकी खासियत बन गया है। वह नाक से टाइपिंग करते समय दोनों हाथ पीछे बांध लेते हैं और की-बोर्ड को नाक से चलाते हैं।
इस कामयाबी के वह परिवार और जेएनयू के शिक्षकों को धन्यवाद देते हैं। वह कहते हैं कि अगर इन लोगों ने उन्हें प्रोत्साहित नहीं किया होता तो यह संभव नहीं हो पाता। अब विनोद की कोशिश है कि इस टेक्निक को अक्षम लोगों को सिखाकर उनकी जिंदगी में बदलाव ला सकें। विनोद बताते हैं कि वह एक ऐथलीट की तरह वह अपनी ज़िंदगी में स्ट्रगल कर रहे हैं।
अभी विनोद कई बच्चों को टाइपिंग की ट्रेनिंग देते हैं और सबसे खास बात यह है कि वह किसी बच्चे से कोई शुल्क नहीं लेते। विनोद की प्रधानमंत्री से मिलने की भी इच्छा है। पता नहीं उनका यह सपना कब पूरा होगा, लेकिन वह अपने काम में पूरे तन-मन से लगे हुए हैं।
विनोद के परिवार में उनके अलावा उनके मता-पिता, उनकी पत्नी और तीन बेटियां भी हैं। छोटी सी नौकरी में थोड़े से पैसे मिलने के कारण उनकी जिंदगी में काफी संघर्ष है, लेकिन वह कभी हार न मानने वाले इंसान हैं। इस संघर्ष को वह एक चुनौती और जिम्मेदारी के रूप में लेते हैं।
विनोद बचपन में एक एथलीट बनना चाहते थे, लेकिन कई कारणों से उनका यह सपना पूरा नहीं हो पाया। वह बताते हैं कि किसी सरकार ने उनकी कोई मदद नहीं की। नौकरी में ज्यादा टाइम निकल जाने की वजह से वह अपनी प्रैक्टिस पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते, लेकिन समय निकालकर वह बच्चों को ट्रेनिंग जरूर देते हैं।
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