दाम बढ़ने के बाद 33 फीसदी भारतीय परिवारों ने दूध की खपत में कटौती की
दूध के दामों में हालिया बढ़ोतरी के बाद एक कम्यूनिटी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने इस बारे में जानकारी इकट्ठा करने के लिए एक सर्वे किया है कि परिवार इसका सामना कैसे कर रहे हैं.
पेट्रोलियम पदार्थों से लेकर खाद्य पदार्थों के दामों में बेतहाशा महंगाई के बीच हाल ही में दूध के दामों में हुई बढ़ोतरी के बाद देश के आम आदमी के घरों का बजट पूरी तरह से बिगड़ गया है. इसका असर यह हुआ है कि देश के 3 में 1 घर ने या तो दूध की खपत कम कर दी है या फिर कम महंगे ब्रांड का दूध खरीदने लगे हैं.
दूध के दामों में हालिया बढ़ोतरी के बाद एक कम्यूनिटी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने इस बारे में जानकारी इकट्ठा करने के लिए एक सर्वे किया है कि परिवार इसका सामना कैसे कर रहे हैं.
इस सर्वे में देशभर के 311 जिलों को शामिल किया गया था. इस सर्वे में 21,000 से अधिक रिस्पांस मिले. इसमें से 69 फीसदी रिस्पांस पुरुषों से आए. उत्तरदाताओं में से 41 प्रतिशत टियर 1 से थे, 34 प्रतिशत टियर 2 से और 25 प्रतिशत टियर 3, 4 जैसे ग्रामीण जिलों से थे.
अधिकांश भारतीय घरों में दूध और दूध से बने उत्पाद - दही, मक्खन, घी, छाछ, आदि सबसे अधिक खपत वाले खाद्य पदार्थों में से हैं.
संयुक्त राज्य अमेरिका के कृषि विभाग (यूएसडीए) की ‘डेयरी एंड प्रोडक्ट्स एनुअल – 2021’ रिपोर्ट के अनुसार भारत न केवल सबसे बड़ा दूध उत्पादक बल्कि दूध और दूध उत्पादों का सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है.
बता दें कि, उत्पादन लागत बढ़ने के कारण प्रमुख दूध आपूर्तिकर्ताओं अमूल और मदर डेयरी ने 17 अगस्त से अपने दूध की कीमतों में दो रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की थी. कीमतों में वृद्धि का सामना करने के बाद 68 प्रतिशत उपभोक्ताओं समान मात्रा और ब्रांड के लिए अधिक भुगतान करने पर सहमति जताई. 20 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने दूध की मात्रा कम करने की बात स्वीकार की.
वहीं, 10,685 में से 6 प्रतिशत ने कम लागत वाले ब्रांड या लोकल दूधवाले पर स्विच करने की बात कही. अन्य 4 चार प्रतिशत ने उसी ब्रांड के सस्ते विकल्प पर स्विच किया जिसे वे पहले खरीद रहे थे. हालांकि, किसी भी उत्तरदाता ने दूध खरीदना बंद करने की बात स्वीकार नहीं की.
उपभोक्ताओं से यह भी पूछा गया कि आप अपने घरेलू उपभोग के लिए किस प्रकार का दूध खरीदते हैं? इस सवाल पर 10,522 उत्तरदाताओं में से 72 प्रतिशत 500 मिलीलीटर या 1 लीटर के प्लास्टिक पाउच में पैक दूध खरीद रहे थे. 12 प्रतिशत स्थानीय फार्मों या बॉटलिंग इकाइयों से बोतलबंद दूध खरीद रहे थे. वहीं, 14 प्रतिशत उपभोक्ता स्थानीय विक्रेताओं से बिना पैकेट वाला दूध खरीद रहे हैं. केवल 2 प्रतिशत लोग लंबे समय तक चलने वाले टेट्रा पैक दूध खरीद रहे थे.
Edited by Vishal Jaiswal