शूटिंग वर्ल्ड कप में गोल्ड जीतने वाली सबसे कम उम्र की खिलाड़ी, स्कूल में प्रैक्टिस कर बनीं इंटरनैशनल चैंपियन
मनु ने 10 मीटर एयर पिस्टल के महिला वर्ग और प्रकाश मिथरवाल के साथ मिक्स इवेंट में गोल्ड मेडल जीते। मनु की नज़र अब कॉमनवेल्थ और ओलंपिक में मेडल जीतने पर है। मेक्सिको से लौटकर उन्हें चैंपियनशिप्स के लिए ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया जाना है।
मनु न सिर्फ़ एक बेहतरीन शूटर हैं बल्कि खेल की अन्य विधाओं में भी उन्होंने अपनी प्रतिभा साबित की। मनु रेसिंग, बॉक्सिंग, मार्शल आर्ट्स, स्केटिंग और लॉन टेनिस समेत कई अन्य खेलों की प्रतियोगिताएं भी जीत चुकी हैं।
हरियाणा, सेक्स रेशियो (लिंगानुपात) को लेकर हमेशा से ही सवालों के घेरे में रहा है। लड़कियों को आगे न बढ़ने देने की तोहमत से जूझने वाला प्रदेश, अब बदलाव की बयार का साक्षी बन रहा है। प्रदेश के झज्जर ज़िले के गोरिया गांव की रहने वाली 16 वर्षीय मनु भाकर, मेक्सिको में चल रहे इंटरनैशनल शूटिंग स्पोर्ट्स फ़ेडरेशन विश्कप में भारत को दो गोल्ड मेडल दिला चुकी हैं। यह पहली बार था, जब वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतनिधित्व कर रही थीं। इस सफलता के बाद वह शूटिंग वर्ल्ड कप में गोल्ड जीतने वाली, सबसे कम उम्र की भारतीय महिला खिलाड़ी बन चुकी हैं।
इससे पहले वह पिछले साल तिरुवनंतपुरम में हुई नैशनल चैंपियनशिप में 15 मेडल जीत चुकी हैं। साथ ही, पिछले ही साल दिसंबर में जापान में हुई एशियन चैंपियनशिप में वह सिल्वर मेडल भी जीत चुकी हैं। मनु की सफलता की दास्तान से प्रदेश और देशभर की लड़कियों को दकियानूसी के दायरों से बाहर आने और सपनों को पालने का हौसला मिल रहा है।
यूथ ओलंपिक में बनाई जगह
मनु ने 10 मीटर एयर पिस्टल के महिला वर्ग और प्रकाश मिथरवाल के साथ मिक्स इवेंट में गोल्ड मेडल जीते। मनु की नज़र अब कॉमनवेल्थ और ओलंपिक में मेडल जीतने पर है। मेक्सिको से लौटकर उन्हें चैंपियनशिप्स के लिए ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया जाना है। मनु पिछले साल आईएसएसएफ जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में 49वें नंबर पर रहीं थीं। अब सीनियर वर्ल्ड कप में पहले नंबर पर पहुंच गईं। मेक्सिको में अपने शानदार प्रदर्शन की बदौलत मनु ने 2018 में ही होने वाली यूथ ओलंपिक चैंपियनशिप के लिए भी क्वॉलिफ़ाई कर लिया है। मनु के साथियों का कहना है कि वह अपने काम के साथ बेहद ईमानदार हैं। उन्होंने बताया कि मनु और उनकी प्रैक्टिस के बीच में कोई भी चीज़ बाधा नहीं बन सकती।
पढ़ें: वे युवा महिलाएं जो बिजनेस चलाने के साथ-साथ बच्चों की देखभाल करके बन रही हैं प्रेरणा
स्कूल की शूटिंग रेंज में की प्रैक्टिस
मनु ने अपने स्कूल (यूनिवर्सल सीनियर सेंकेंड्री स्कूल) में बनी शूटिंग रेंज में ही प्रैक्टिस की और यह मुक़ाम हासिल किया। यूनिवर्सल स्कूल की स्थापना मनु के रिश्तेदार ने ही की थी और फ़िलहाल उनकी मां सुमेधा भाकर , प्रिसिंपल की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। मनु के स्कूल में पिछले कई सालों से सभी खेलों को और ख़ासतौर पर शूटिंग को प्रोत्साहित किया जा रहा है। 2013 में स्कूल में शूटिंग रेंज बनवाई गई थी, जिसकी लागत 2 लाख रुपयों के करीब आई थी।
स्कूल में 5वीं कक्षा से ऊपर के सभी बच्चों को निशानेबाज़ी के खेल को चुनने की छूट है। स्कूल के लड़के-लड़कियां ज़िला और राज्य स्तर पर पिछले कई वर्षों से लगातार पदक हासिल कर रहे हैं। स्कूल के दो छात्र, लकी और उनके भाई नितिन झाकर, पिछले साल इंटरनैशनल ट्रायल तक भी पहुंचे थे। स्कूल की लड़कियां, लड़कों से किसी मायने में कम नहीं हैं।
मां-बाप की सोच थी औरों से जुदा
मनु मानती हैं कि उनके मां-बाप की सोच आम नहीं है। मनु के पिता रामकिशन भाकर, पेशे से मरीन इंजीनियर हैं और मनु की तैयारी के लिए उन्होंने अपनी नौकरी तक दांव पर लगा दी। मनु की मां सुमेधा ने भी बेटी का हर संभव समर्थन किया। मनु की मां सुमेधा ने अच्छे स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए, बचपन से ही मनु और उनके भाई को योगाभ्यास सिखाया। मधु का बड़ा भाई, आईआईटी की तैयारी कर रहा है। सुमेधा कहती हैं कि उन्होंने अपनी बेटी को हमेशा बेखौफ होकर आगे बढ़ने और अपने सपनों को पूरा करने की नसीहत दी। मनु के मां-बाप से इतर, स्पोर्ट्स में रुचि लेने वाली अन्य लड़कियों के मां-बाप, अभी भी बेटियों को प्रोत्साहन देने से गुरेज़ करते हैं। मनु मानती हैं कि परिवर्तन ज़रूर हो रहा है, लेकिन अभी भी लंबा सफ़र तय करना बाक़ी है।
बॉक्सिंग छोड़, बनीं शूटर
मनु न सिर्फ़ एक बेहतरीन शूटर हैं बल्कि खेल की अन्य विधाओं में भी उन्होंने अपनी प्रतिभा साबित की। मनु रेसिंग, बॉक्सिंग, मार्शल आर्ट्स, स्केटिंग और लॉन टेनिस समेत कई अन्य खेलों की प्रतियोगिताएं भी जीत चुकी हैं। मनु ने बॉक्सिंग के दौरान आंख में चोट लगने के बाद शूटिंग के खेल को चुना। गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दो गोल्ड जीतने वाली मनु ने सिर्फ़ दो साल पहले ही शूटिंग शुरू की है।
मनु न सिर्फ़ स्पोर्ट्स में बल्कि पढ़ाई में भी होनहार हैं। मनु की मां सुमेधा भाकर, पिछले साल दिसंबर की घटना को याद करते हुए बताती हैं कि उनकी बेटी नैशनल चैंपियनशिप में व्यस्त थी और इस वजह से बोर्ड की तैयारी अधूरी थी। मनु ने परीक्षा से सिर्फ़ 2 महीने पहले ही तैयारी शुरू की थी। इसके बावजूद उन्होंने परीक्षा में 10 सीजीपीए हासिल किया। मनु की मां कहती हैं कि उनकी बेटी जो भी काम करती है, उसे पूरी शिद्दत से निभाती है।
यह भी पढ़ें: कानूनी लड़ाई जीतने के बाद बंगाल की पहली ट्रांसजेंडर बैठेगी यूपीएससी के एग्जाम में