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34% महिलाएं तो केवल 4% पुरुष वर्क-लाइफ बैलेंस के कारण छोड़ते हैं नौकरी: स्टडी

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सराहनीय प्रयासों के बावजूद, 48 प्रतिशत संगठन मिक्‍स्‍ड-जेंडर इंटरव्‍यू पैनल का इस्‍तेमाल करते हैं और 52 प्रतिशत जेंडर-न्‍यूट्रल जॉब विवरण देते हैं, और 30 प्रतिशत लैंगिक विविधता के लिए महत्‍वपूर्ण हायरिंग मैनेजर्स को प्रशिक्षण देते हैं, इसके बावजूद ये नाकाफी है.

34% महिलाएं तो केवल 4% पुरुष वर्क-लाइफ बैलेंस के कारण छोड़ते हैं नौकरी: स्टडी

Friday February 23, 2024 , 3 min Read

द उदयती फाउंडेशन (TUF) ने सेंटर फॉर इकोनॉमिक डेटा एंड एनालिसिस (CEDA) के सहयोग से "वीमेन इन इंडिया इंक (WIIn) HR मैनेजर्स सर्वे रिपोर्ट का अनावरण किया, जो कॉर्पोरेट भारत में लिंग विविधता पहल पर कथनी और करनी के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर को उजागर करता है. इस अध्ययन को वीमेन इन इंडिया इंक. समिट में प्रदर्शित किया गया था, जिसे द उदयती फाउंडेशन ने गोदरेज डीईआई लैब्स, सेंटर फॉर इकोनॉमिक डेटा एंड एनालिसिस, अशोका यूनिवर्सिटी और दासरा के साथ साझेदारी में आयोजित किया था, ताकि लैंगिक समावेशिता पर प्रभावशाली डेटा-समर्थित बातचीत को चलाया जा सके.

द उदयती फाउंडेशन की सीईओ पूजा शर्मा गोयल ने कहा, “उदयती में, हम डेटा-समर्थित साक्ष्य और इंडिया इंक के साथ उद्देश्यपूर्ण सहयोग के माध्यम से महिलाओं की आर्थिक शक्ति और एजेंसी के लिए कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. वीमेन इन इंडिया इंक समिट एक महत्वपूर्ण मंच है, जिसका उद्देश्‍य इंडस्‍ट्री के लीडर्स को एक साथ लाना है ताकि कार्रवाई योग्‍य बातचीत शुरू हो, जो लैंगिक तौर पर समावेशी कार्यस्‍थलों को बनाने की दिशा में आगे बढ़ने में मदद करे.”

वुमेन इन इंडिया इंक (WIIn) परियोजना सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने और नीति को आकार देने के लिए निजी क्षेत्र की फर्मों के साथ रणनीतिक साझेदारी पर केंद्रित है, जिससे महिलाओं की भर्ती, प्रतिधारण और उन्नति में परिवर्तन होता है. WIIn के अध्‍ययन में एफएमसीजी, फार्मा, रिटेल, आईटी/आईटीईएस और बीएफएसआई सहित विभिन्‍न क्षेत्रों के 200 वरिष्‍ठ हयूमन रिसोर्स मैनेजर्स के बीच ऑनलाइन सर्वे किया गया, ताकि रोजगार के क्षेत्र में लैंगिक विविधता नीतियों और प्रथाओं के परिदृश्‍य को व्‍यापक रूप से समझा जा सके.

निसाबा गोदरेज, एग्‍जीक्‍यूटिव चेयरपर्सन, गोदरेज कंज्‍यूमर प्रोडक्‍ट्स लिमिटेड नेकहा, “डेटा कार्यस्थल में लैंगिक विविधता की आधारशिला है. यह हमें वैश्विक मानकों और उद्योग की सर्वोत्तम प्रथाओं को प्राप्त करने और बनाए रखने में सक्षम बनाता है. WIIn रिपोर्ट और Udaiti's क्लोज द जेंडर गैप डेटा प्लेटफ़ॉर्म, अपने क्षेत्रीय और संगठनात्मक स्कोरकार्ड के साथ, अमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं, और रणनीतिक कार्रवाई को सशक्त बनाते हैं."

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सराहनीय प्रयासों के बावजूद, 48 प्रतिशत संगठन मिक्‍स्‍ड-जेंडर इंटरव्‍यू पैनल का इस्‍तेमाल करते हैं और 52 प्रतिशत जेंडर-न्‍यूट्रल जॉब विवरण देते हैं, और 30 प्रतिशत लैंगिक विविधता के लिए महत्‍वपूर्ण हायरिंग मैनेजर्स को प्रशिक्षण देते हैं, इसके बावजूद ये नाकाफी है.

अशोक विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर डॉ. अश्विनी देशपांडे ने कहा, "WIIn रिपोर्ट लैंगिक विविधता के प्रति कॉर्पोरेट दृष्टिकोण में मूलभूत परिवर्तन की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर प्रकाश डालती है. हमने पाया है कि घोषित लैंगिक विविधता लक्ष्यों वाले संगठनों में भी अक्सर एक महिला-अनुकूल और लैंगिक विविधतापूर्ण कार्य संस्कृति को सुनिश्चित करने के लिए वास्तविक तंत्र का अभाव होता है. नियोक्ता महिलाओं को औपचारिक भुगतान वाले काम में आकर्षित करने में बहुत बड़ी भूमिका निभा सकते हैं. कार्यस्थल पर नीतियों का सही मिश्रण महिलाओं को आगे बढ़ने, अपने करियर में आगे बढ़ने और संगठन के विकास में योगदान करने में सक्षम बनाएगा.”

कथनी से करनी तक इस आंदोलन को और सक्षम करने के लिए, सेंटर फॉर इकोनॉमिक डेटा एंड एनालिसिस (CEDA), अशोका यूनिवर्सिटी और द उदयती फाउंडेशन (TUF) ने 'सर्कल ऑफ चैंपियंस (CoC)' पहल शुरू की है.