Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

एडवेंचर टूरिज्म गुरू का यायावरी नशा

लद्दाख का नाम सुनते ही युवाओं का दिल मोटरसाइकिल यात्रा के ख्याल भर से रोमांचित हो उठता है। उन्हीं युवाओं में से एक युवा है सुरभित दीक्षित। सुरभित का नाम उन लोगों के लिए नया नहीं, जो लद्दाख को अपनी मोटरसाइकिल से नाप आये हैं। लोग इन्हें एडवेंचर टूरिज्म गुरू के नाम से भी जानते हैं। 32 वर्षीय सुरभित की अगली लद्दाख मोटरसाइकिल यात्रा उन्हें 51वीं बार दुनिया की सबसे ऊंची सड़क पर ले जायेगी। आईये हम भी निकलते हैं सड़कों को नापते हुए हवाओं से बातें करने वाले इस मोटरसाइकिल प्रेमी के साथ उसकी ज़िंदगी की दिलचस्प यात्रा पर...

एडवेंचर टूरिज्म गुरू का यायावरी नशा

Wednesday January 25, 2017 , 7 min Read

"रास्ते खत्म नहीं होते ज़िंदग़ी के सफ़र में! मंज़िल वहां होती है, जहां ख्वाहिशें थम जायें!"

"ऐसे ही एक रास्ते पर एडवेंचर टूरिज्म गुरू सुरभित दीक्षित भी निकल पड़े हैं, जहां उनकी मंज़िल उनकी ख़्वाहिशों की तरह हर दिन थोड़ा और आगे बढ़ जाती है। सुरभित को कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक और भूटान से लेकर इटली तक की सड़कों पर मोटरसाइकिल उड़ाने का अनुभव है। घुमक्कड़ भारतीय युवा और भारत से प्यार रखने वाले विदेशी सैलानियों के बीच एडवेंचर टूरिज्म गुरु के नाम से पहचाने जाने वाले सुरभित की जीवन यात्रा अपने आप में एक एडवेंचर है।"

image


"जिन दिनों सुरभित के तमाम दोस्त डॉक्टर और इंजीनियर बनने की तैयारी कर रहे थे, उन दिनों सुरभित ने होटल मैनेजमेंट की पढाई की। होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई उन्होंने इसलिए की, क्योंकि उन्हें लगता था कि इसके ज़रिये उन्हें ऐसा काम मिल सकेगा जो उन्हें सारी दुनिया घूमने का मौक़ा देगा।" 

लखनऊ के पास जिला हरदोई में पले-बढ़े सुरभित को बचपन से पता था, कि वे एक ढर्रे पर चलने वाला काम नहीं कर सकते, चाहे वह पढ़ाई हो या फिर उनके शौक का कोई काम। जैसा कि आमतौर पर होता है, पढ़ाई खत्म करने के बाद सुरभित के सामने एक तरफ मल्टीनेशनल कंपनी की वेल पेइंग जॉब का ऑफर था और दूसरी तरफ अपनी शर्त पर घुमक्कड़ी और फाका-मस्ती से भरा हुआ जीवन गढ़ने का अवसर।

सुरभित ने मन की सुनी और हिमालय के पहाड़ी गाँवों के लोगों की इको-टूरिज्म व्यवसाय स्थापित करने में मदद करने का फैसला लिया। वहां कमाई न के बराबर थी, लेकिन यहां उनका हर दिन पहाड़ी ग्रामीण जीवन के ताने-बाने में गहरे उतरने में बीतने लगा।

image


"हिमालय को और करीब से जानने की इच्छा ने सुरभित को लद्दाख की ओर आकर्षित किया। उन्होंने इंडस्ट्री के दुकानदारों को दरकिनार कर के अपनी मोटरसाइकिल उठायी और दो दोस्तों के साथ लद्दाख की पहली यात्रा पर रवाना हो गये।"

हिमालय को और करीब से जानने की इच्छा ने सुरभित को लद्दाख की ओर आकर्षित किया। इस यात्रा के इंतज़ाम के लिए दिल्ली में ढंग के ट्रेवल-एजेंट्स को ढूंढने की मुहीम के दौरान सुरभित को ऐसा लगा जैसे पर्यटन की पूरी इंडस्ट्री में यायावरी की समझ रखने वाले लोग हैं ही नहीं। पूरी की पूरी बातचीत सिर्फ डीलक्स और लक्ज़री पैकेज और वेलकम ड्रिंक के अलकोहल लेवल तक सिमटी हुई-सी थी। 

पर्यटन को संवेदनशीलता से देखने वाले सुरभित के लिए ये अनुभव हताशा से भरा हुआ था। उन्होंने इंडस्ट्री के दुकानदारों को दरकिनार कर अपनी मोटरसाइकिल उठायी और दो दोस्तों के साथ लद्दाख की पहली यात्रा पर रवाना हो गये।

image


"मोटरसाइकिल यात्रा इंसान को अपनी प्रकृति से जोड़ने का साथ-साथ उसे खुद के भी करीब लाती है: सुरभित"

अपनी पहली लद्दाख मोटरसाइकिल यात्रा में सुरभित ने पाया कि न सिर्फ इंडस्ट्री बल्कि यात्री भी पूर्वाग्रहों से भरे हुए हैं। अधिकतर लोग मोटरसाइकिल को दुस्साहसी रफ़्तार, पौरुष और अकड़ से जोड़ते थे और माचो होना मोटरसाइकिल यात्रा पर निकलने की पहली शर्त थी। वहीं सुरभित का माना, कि मोटरसाइकिल यात्रा जहां आपको अपने वातावरण से नज़दीक से जुड़ने का ख़ास मौका देती है, वहीं आपको खुद के भी करीब ले जाती है। इस सोच को ज्यादा से ज्यादा यात्रियों के साथ साझा करने के उद्देश्य से सुरभित ने 2010 में आईआईटी ग्रेजुएट स्वप्निल के साथ हिंदुस्तान मोटरसाइकिलिंग कंपनी नाम से एक एडवेंचर ट्रेवल कंपनी शुरू की, जिसकी टैगलाइन- “महाराजा ऑफ़ द इंडियन बैक रोड्स” इसके वसुधैव कुटुम्बकम वाले माइंडसेट का सबूत है।

सुरभित कहते हैं कि हमारी साभी यात्राओं का एक कॉमन थीम है, “गो हम्बल कम वाइज” यानी कि "प्रकृति की गोद में नतमस्तक हो कर जाओ और अनुभव के धनी हो कर लौटो" 

image


"समझदारी, संवेदना और सहानुभूति हमारे सिद्धांत हैं: सुरभित"

एडवेंचर टूरिज्म गुरू सुरभित दीक्षित कहते हैं "मोटरसाइकिल केवल एक माध्यम है, हमारा उद्देश्य लोगों के दिल से जुड़ना है। जो साथ यात्रा कर रहे हैं और जिनकी ज़मीन पे हम जा रहे हैं, दोनों के बीच एक राग पैदा होना चाहिए। जो ज़मीन, जंगल, पहाड़ और नदियों को संजो कर रख रहे हैं, उनके लगाव को समझना है। जो बाहर से हैं, उनमें इस विरासत को देखने-समझने में मदद करनी है। हिंदुस्तान मोटरसाइकिलिंग की तमाम यात्राओं में मैंने पहाड़ो और रेगिस्तानों में नये-नये रास्ते खोजने के साथ-साथ कई ऐसी पगडंडियों को निर्माण किया है, जो दिलों के रास्ते दिलों में उतर जाया करती हैं।

आगे सुरभित कहते हैं, "मेरा ग्रुप चाहे लद्दाख में हो या फिर कच्छ में, भूटान में हो या फिर इटली में, वहां के लोग हमको विश्वास और प्यार के साथ अपने रोज़मर्रा के जीवन में शामिल करते हैं। सबसे अच्छी बात है, कि हम राह में मिलने वाले हर शख़्स से सीखते-समझते हुए खुद में एक नई ऊर्जा भर कर वापिस लौटते हैं। समझदारी, संवेदना और सहानुभूति हमारे सिद्धांत हैं।"

image


"लद्दाख जैसी कठिन यात्रा के बारे में लोग सिर्फ सोचते हैं, उनमें से कुछ ऐसे हैं जो एक या दो बार इसे सच भी कर पाये हैं, लेकिन सुरभित ने अपने जीवन को इस तरह बुना है, कि वे पिछले 6 सालों में 50 बार मोटरसाइकिल से लद्दाख जा चुके हैं और इसके अलावा सैकड़ों देश-विदेश की यात्राएं भी कर चुके हैं। इन दिनों सुरभित अपनी 51वीं यात्रा की तैयारी में जुटे हैं।"

अपने साथ-साथ सुरभित ने हज़ारों लोगों को दुनिया की सबसे ऊंची सड़क से लेकर दुर्गम पहाड़ों, रेगिस्तानों और पठारों की यात्राएं करवाई हैं। वे मानते हैं, कि बच्चों और युवाओं का यायावरी से एक सहज रिश्ता कायम करवाना हमारी ज़िम्मेदारी है। दुनिया देखना जीवन को समझने के लिए बेहद ज़रूरी है। ये नयी पौध न सिर्फ हमारी प्राकृतिक संपदा को क्लाइमेट चेंज जैसे खतरों से उबारेगी, बल्कि एक ऐसी दुनिया रचेगी जहां विविध प्रकार के नये विचारो के लिए जगह होगी और विविधताओं को समझने के लिए भटक कर अपना रास्ता खुद खोजने से बेहतर कोई दूसरा विकल्प नहीं।

image


"असली खतरा घूमने में नहीं है, बल्कि एक जगह टिक कर रह जाने में है: सुरभित"

सुरभित का मानना है, कि यदि व्यक्ति अपने आज के समय की दुनिया को ईमानदारी से देखने, सोचने और समझने की कोशिश करे तो अपनी अगली पीढ़ी को सुनाने के लिए उसके पास तमाम कहानियां होंगी, वो भी बगैर किसी पछतावे के। असली खतरा घूमने में नहीं है, बल्कि एक जगह टिक कर रह जाने में है।

सुरभित की ज़िंदगी के अनुभव बेहद दिलचस्प हैं। वे कहते हैं,"मैं अघोरी साधुओ के साथ गंगा घाट पर रहा चुका हूं, विंटेज मोटरसाइकिलों को दुनिया की सबसे कठिन सड़को पर लैंडस्लाइड के दौरान अनुभव कर चुका हूँ, ग्लेशियरों के फटने की आवाज़ सुन चुका हूँ, हिमालय की झीलो में आधी रात होने वाली तैराकी की स्पर्धा में भाग ले चुका हूँ, कई देश देख चुका हूँ, सारी दुनिया में दोस्त बना चुका हूँ और कम से कम दस लद्दाखी बच्चे मुझे अपना दोस्त मानते हैं। ये ऐसी दौलत है जो ताज़िंदगी मेरे साथ रहेगी। डर तो ये होना चाहिए कि ज़िन्दगी मिली और यूं ही बीत गयी।"

image


"लद्दाख मोटरसाइकिलिंग के अलावा सुरभित पैरा-ग्लाइडिंग, जमी हुई नदी पर हाई अल्टीट्यूड ट्रेकिंग, कैंपिंग और राफ्टिंग जैसे कई तरह के दिलचस्प अनुभव लोगों तक पहुंचाते हैं।"

सुरभित का मुख्य उद्देश्य है, कि वे अपनी कंपनी हिंदुस्तान मोटोरसाइकिलिंग के जरिये भारत में एडवेंचर ट्रेवल सबके लिए उपलब्ध करवायें। उनके अनुसार घुमक्कड़ी मनुष्य के जीवन का हिस्सा होनी चाहिए। क्या लड़का-क्या लड़की, क्या बूढा-क्या जवान, सबके लिए इसे अपने-अपने तरीके से अनुभव कर पाना बहुत आसान होना चाहिए।  

अथातो घुमक्कड़ जिज्ञासा की तर्ज पर सुरभित का सपना है कि वे मोटरसाइकिल पर पूरी दुनिया की यात्रा के अभियान पर निकलें और यायावरी को आगे बढ़ायें।