Brands
YSTV
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory
search

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

Videos

ADVERTISEMENT
Advertise with us

अंग्रेजी के भूत को भगाने के लिए इस महिला ने उठाया बीड़ा, जरूरतमंद बच्चों की कर रहीं मदद

अंग्रेजी के भूत को भगाने के लिए इस महिला ने उठाया बीड़ा, जरूरतमंद बच्चों की कर रहीं मदद

Monday November 20, 2017 , 6 min Read

संध्या वेणुगोपाल गोडे ने बच्चों को अंग्रेजी भाषा की बारीकियों को समझने में मदद करने के लिए एयू अंग्रेजी माध्यम स्कूल का दौरा करना शुरू किया। उन्होंने उन बच्चों के साथ पहले सुडोकू पहेली, क्रॉसवर्ड गेम्स और वर्ड मेज पर काम करने की कोशिश की।

स्कूल के बच्चों के साथ संध्या (फाइल फोटो)

स्कूल के बच्चों के साथ संध्या (फाइल फोटो)


संध्या ने अक्टूबर 2016 में एक फेसबुक पेज शुरू किया और थोड़ा दिमाग लगाने के बाद इस पेज को स्पीकिंग चाक (बोलते हुए चाक) के नाम से पुकारा जाने लगा। स्पीकिंग चाक का उद्देश्य छात्रों को उपयुक्त बोली जाने वाली अंग्रेजी कौशल के साथ लैस करना था। 

स्पीकिंग चाक को अपने कार्य को कुशलता से पूरा करने के लिए अधिक वॉलंटियर्स की आवश्यकता थी। संध्या एक घटना बताती है, जिसमें वह कक्षा 9 में छात्रों के एक समूह को पढ़ रही थीं। 

अंग्रेजी भाषा को समझना एक अलग बात है, लेकिन इसे स्पष्ट रूप से बोल पाना पूरी तरह से अलग है। पढ़ाई में रुचि रखने वालों में अभी भी अंग्रेजी अधिकतर लोगों की पहुंच से काफी दूर है। यह उन छात्रों के लिए विशेष रूप से सच है जो केवल अपने पाठ्यक्रम के माध्यम से अंग्रेजी के संपर्क में हैं। गौरतलब है कि अंग्रेजी घर पर संचार की प्राथमिक भाषा नहीं है। हां अगर इन बच्चों ने इंग्लिश मीडियम स्कूलों में पढ़ाई की है तो उनके पास अच्छी अंग्रेजी बोलने और लिखने का कौशल होता है। विशाखापत्तनम में आंध्रा विश्वविद्यालय के गेट के सामने एक इंग्लिश मीडियम स्कूल है। इसका नाम है एयू इंग्लिश मीडियम स्कूल यहां के बच्चे लिपिक लेन में बोली जाने वाली अंग्रेजी के साथ संघर्ष कर रहे थे।

इन बच्चों को पढ़ाई जाने वाली अंग्रेजी केवल पाठ्यक्रम में शामिल है और वो भी इसलिए ताकि वे परीक्षा में इसे लिख सकें। शिक्षक भी पाठ्यक्रम पूरा कराने और विभिन्न कार्यक्रमों का पालन करने की जल्दबाजी में बच्चों को अंग्रेजी भाषा के बेहतर पहलुओं के संबंध में ज्ञान देने में असमर्थ हैं। संध्या वेणुगोपाल गोडे ने बच्चों को अंग्रेजी भाषा की बारीकियों को समझने में मदद करने के लिए एयू अंग्रेजी माध्यम स्कूल का दौरा करना शुरू किया। उन्होंने उन बच्चों के साथ पहले सुडोकू पहेली, क्रॉसवर्ड गेम्स और वर्ड मेज पर काम करने की कोशिश की। ऐसा करने पर उन्हें एहसास हुआ कि उनके (बच्चों) लिए समस्याओं को हल करना लगभग असंभव था क्योंकि उन्हें भाषा को बेहतर समझने की जरूरत थी। शायद कोई और संचार शैली में जिससे बच्चो को ज्यादा आसानी हो सके। प्रिंसिपल और स्कूल संवाददाता के साथ बातचीत करने के बाद उन्होंने कक्षा 9 में बच्चों का दौरा किया और उन्हें मनाया।

संध्या ने तय किया कि कम उम्र में बच्चों की गलतियां सुधारना आसान है ताकि वे बड़े होकर गलतियां न करें। संध्या ने इसके लिए अधिक से अधिक वॉलंटियर्स को इकट्ठा करना शुरू किया। उन्होंने स्कूल को आश्वस्त किया कि वे सप्ताह के दौरान एक समर्पित घंटा दें। जिसके बाद स्कूल ने गुरुवार का दिन संध्या और उनके वॉलंटियर्स को दे दिया। स्कूल से परमीशन मिलने के बाद संध्या और उनका ग्रुप हर सुबह एक घंटे के लिए, सुबह 11:30 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों के साथ समय बिताने लगा। दोपहर को संध्या ने कक्षा 6 और 9 के प्रत्येक दो सेक्शन के साथ सेशन शुरू किया। उन्होंने अलग-अलग सेक्शन के बच्चों को एक इकाई में बांधने की कोशिश की, लेकिन एक वॉलंटियर्स के लिए बहुत सारे छात्रों को प्रभावी ढंग से पढ़ाने के लिए छात्रों की संख्या ज्यादा थी। बच्चों को समझाने के लिए संध्या के ग्रुप के पास वॉलंटियर्स कम थे।

संध्या ने अक्टूबर 2016 में एक फेसबुक पेज शुरू किया और थोड़ा दिमाग लगाने के बाद इस पेज को स्पीकिंग चाक (बोलते हुए चाक) के नाम से पुकारा जाने लगा। स्पीकिंग चाक का उद्देश्य छात्रों को उपयुक्त बोली जाने वाली अंग्रेजी कौशल के साथ लैस करना था। यह मुश्किल था। कोई भी प्रशिक्षित शिक्षक नहीं था, और सभी सेक्शन को कवर करना हर समय मुश्किल हो गया। तब एक व्यक्ति जो जीएसई कक्षाओं में पढ़ाता है, उसने संध्या की मदद करने का फैसला किया और उसकी टीम ने एक पाठ्यक्रम तैयार किया।

एयू स्कूल के बच्चे अनोखे अंदाज में सीख रहे हैं अंग्रेजी

एयू स्कूल के बच्चे अनोखे अंदाज में सीख रहे हैं अंग्रेजी


संध्या ने कक्षा 6 से 9 तक के बच्चों के लिए तीन सप्ताह के कोर्स की शुरुआत की। गर्मी के ब्रेक के दौरान आयोजित इस कोर्स में अधिकतम 50 बच्चों को प्रति सत्र की अनुमति दी गई और प्रत्येक छात्र से 100 रुपए का शुल्क लिया गया। इसके बाद इंटरैक्टिव गेम के साथ मनोरंजन और शिक्षा का एक मिश्रित क्लास चला। 3 सप्ताह के अंत में संध्या यह देखना चाहतीं थी कि बच्चे कैसे प्रगति कर रहे थे। प्रतिक्रिया अनुकूल थी हर कोई एक गीत या कुछ भाषणों के साथ आगे बढ़ रहा था। संध्या को यह देखते हुए प्रसन्नता हुई कि बच्चों ने खुद से बिना किसी टीम से मदद लिए कार्यक्रम का आयोजन किया।

स्पीकिंग चाक को अपने कार्य को कुशलता से पूरा करने के लिए अधिक वॉलंटियर्स की आवश्यकता थी। संध्या एक घटना बताती है, जिसमें वह कक्षा 9 में छात्रों के एक समूह को पढ़ रही थीं। लड़कियों बहुत चुप थीं, लेकिन लड़के शोर कर रहे थे। संध्या ने नम्रतापूर्वक छात्रों से शोर नहीं करने के लिए कहा, क्योंकि दूसरे सीखने की कोशिश कर रहे थे। मैंने उनसे कहा कि यदि वे सीखना पसंद नहीं करते हैं, तो वे क्लास छोड़ सकते हैं। यह दो बार हुआ। इसलिए संध्या ने छात्रवृत्ति योजना शुरू की जिसमें विद्यार्थियों को दिलचस्पी मिली। धीरे-धीरे स्पीकिंग चाक टीम को उनके परिश्रम का फल दिखने लगा।

संध्या और उनकी 40 वॉलंटियर्स की टीम हमेशा बच्चों को याद दिलाती है कि गलती करने का डर कभी नहीं विकसित हो। वे कहती हैं कि "यदि आप गलतियां नहीं करते हैं, तो आप कभी नहीं सीखेंगे" बच्चे खुश हैं और भयभीत नहीं होते हैं क्योंकि कोई मार्क्स नहीं है, पास या फेल होने का कोई सवाल नहीं, अच्छे छात्रों और कमजोर छात्रों के बीच कोई भेदभाव नहीं है, और रैंकिंग प्रणाली भी नहीं है। यह सीखने का एक फ्री-टूल-मॉडल है। अच्छे लोगों से योगदान के बाद छात्रवृत्ति निधि 2 लाख रुपये तक पहुंच गई थी।

स्पीकिंग चाक के पास कोई योजना नहीं थी जब उन्होंने शुरू किया। संध्या ने कहा है कि सबसे पहला उद्देश्य प्रत्येक स्कूल में स्पीकिंग चाक लाया जाना है। और अधिक वॉलंटियर्स के साथ यह संभव है। वह और उनकी टीम वर्तमान में 1 से 9 की कक्षा के एयू इंग्लिश मिडियम स्कूल के छात्रों के साथ काम कर रही हैं। संध्या को उम्मीद है कि वह दूसरे स्कूलों में भी उनके प्रयासों को दोहराना चाहेंगे।

संध्या 'जस्ट वन आवर' की अवधारणा के माध्यम से संभावित वॉलंटियर्स तक पहुंचती है, जहां वह छात्रों से उनकी मदद के लिए अपने सप्ताह के 1 घंटे में योगदान करने के लिए आग्रह करती है। इसके अतिरिक्त क्राउड फंड से स्कूल के लिए एक पुस्तकालय बन गया है, ताकि छात्रों को उनके स्कूल के पाठ्यक्रमों में पुस्तकों तक पहुंच मिल सके। स्पीकिंग चाक छात्रों को खुद के साथ सहज महसूस करने के लिए विभिन्न तरीकों-खेल, नाटक, शब्द-खेल, अखबारों, प्रतियोगिताओं का इस्तेमाल करते हैं। प्रगति धीमी है, फिर भी यकीन है। संध्या के अनुसार ये समूह एक दिन उनके प्रयास सफल होंगे इस उम्मीद से आगे बढ़ रहा है।

यह भी पढ़ें: 12 साल की यह भारतीय लड़की गाती है 80 भाषाओं में गाना