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नए साल के पहले दिन भारत में गूंजी 69,070 किलकारियां

नए साल के पहले दिन भारत में गूंजी 69,070 किलकारियां

Wednesday January 03, 2018 , 7 min Read

नए साल में बच्चों पर केंद्रित खबरों ने तरह तरह से किलकारियां भरीं। यूनिसेफ के मुताबिक नए साल के पहले दिन करीब 386,000 बच्चे पैदा हुए, जिनमें सबसे ज्यादा 69,070 नवजातों ने भारत में जन्म लिया। इसी दिन मशहूर सिंगर सुनिधि चौहान ने अपने पहले बच्चे को जन्म दिया। इसी दिन बेंगलुरु के राजाजी नगर स्थित मैटरनिटी अस्पताल में पुष्पा ने बच्ची को जन्म दिया तो उसके नाम शहर के मेयर संपत राज ने मां को 5 लाख रुपये की गारन्टी का सर्टिफिकेट थमाया।

प्रतीकात्मक फोटो

प्रतीकात्मक फोटो


दुनिया भर में नए साल के दिन करीब 3,86,000 बच्चे पैदा हुए और 69,070 बच्चों के साथ भारत सूची में पहले स्थान पर रहा। नब्बे प्रतिशत से ज्यादा नवजात दुनिया के कम विकसित क्षेत्रों में पैदा हुए। 

नए साल में बच्चों पर केंद्रित खबरों ने तरह तरह से किलकारियां भरीं। यूनिसेफ के मुताबिक नए साल के पहले दिन करीब 386,000 बच्चे पैदा हुए, जिनमें सबसे ज्यादा 69,070 नवजातों ने भारत में जन्म लिया। इसी दिन मशहूर सिंगर सुनिधि चौहान ने अपने पहले बच्चे को जन्म दिया। इसी दिन बेंगलुरु के राजाजी नगर स्थित मैटरनिटी अस्पताल में पुष्पा ने बच्ची को जन्म दिया तो उसके नाम शहर के मेयर संपत राज ने मां को 5 लाख रुपये की गारन्टी का सर्टिफिकेट थमाया।

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) के एक अनुमान के मुताबिक, दुनिया भर में नए साल के दिन करीब 3,86,000 बच्चे पैदा हुए और 69,070 बच्चों के साथ भारत सूची में पहले स्थान पर रहा। नब्बे प्रतिशत से ज्यादा नवजात दुनिया के कम विकसित क्षेत्रों में पैदा हुए। यूनिसेफ की रिपोर्ट बताती है कि वैश्विक स्तर पर आधे से ज्यादा बच्चों का जन्म इन नौ देशों में हुआ- भारत में 69,070, चीन में 44,760, नाइजीरिया में 20,210, पाकिस्तान में 14,910, इंडोनेशिया में 13,370, अमेरिका में 11,280, कांगो में 9,400, इथियोपिया में 9,020 और 8,370 बच्चे बांग्लादेश में पैदा हुए।

हालांकि इनमें से कुछ बच्चे चल बसे। एक अनुमान के मुताबिक, हर साल के पहले 24 घंटों में ही 2600 बच्चों की मौत हो जाती है। यूनिसेफ ने कहा है कि लगभग 20 लाख नवजात बच्चों के लिए उनका पहला सप्ताह उनका आखिरी सप्ताह भी होता है। 26 लाख बच्चों की मौत अपने पहले महीने के खत्म होने से पहले हो जाती है। उनमें से 80 फीसदी बच्चों की मौत समय पूर्व जन्म, प्रसव के दौरान समस्या होने और सेप्सिस और न्यूमोनिया जैसे संक्रमण से होती है। पिछले दो दशक से ज्यादा समय में दुनिया ने बच्चों के बचाने के मामले में अप्रत्याशित प्रगति देखी है पर फिर भी दुनिया भर में अपने पांचवें जन्मदिन के पहले मरने वाले बच्चों की संख्या 56 लाख रही।

नवजात बच्चों के मामले में प्रगति और भी धीमी रही है। पांच साल से कम आयु में मरने वाले बच्चों के मुकाबले पहले महीने में 46 फीसदी बच्चों की मौत हो जाती है। यूनिसेफ अगले महीने 'एवरी चाइल्ड अलाइव' नाम का एक वैश्विक अभियान शुरू करने जा रहा है। इसका मकसद हर मां और नवजात के लिए सस्ती प्रसव सुविधाएं, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल समाधान की मांग करना है। इन समाधानों में स्वास्थ्य सुविधाओं में स्वच्छ जल और बिजली की लगातार आपूर्ति, जन्म के दौरान एक कुशल स्वास्थ्य परिचर्या की उपस्थिति, गर्भनाल की नसों को काटना, जन्म के पहले घंटे के भीतर स्तनपान कराना और मां और बच्चे के बीच 'स्किन टू स्किन' संपर्क कराना शामिल हैं।

एक जनवरी को अपनी गायकी से लोगों के दिलों पर राज करने वाली सिंगर सुनिधि चौहान के घर किलकारियां गूंज उठीं। सुनिधि ने अपने पहले बच्चे को जन्म दिया। उन्होंने मुंबई के सूर्या अस्पताल में शाम 5 बजकर 20 मिनट पर बच्चे को जन्म दिया। सुनिधि चौहान ने 2012 में हीतेश सोनिक से शादी रचाई थी। सुनिधि की डॉक्टर रंजना धानू ने बताया कि बच्चा और मां दोनों स्वस्थ हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान सुनिधि ज्यादा नजर नहीं आईं थीं। आखिरी बार वह डब्लिन स्क्वैयर में एक शो के दौरान देखी गई थीं। उस वक्त वह प्रेग्नेंसी के दूसरे ट्राइमेस्टर में थीं। इस लाइव शो में सुनिधि को देख ऑडियंस इतनी प्रभावित थी कि सभी ने उन्हें स्टैंडिंग ओवेशन दी थी।

बेंगलुरु के राजाजी नगर में बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका के मैटरनिटी अस्पताल के वार्ड में बच्ची को जन्म देने पर एक मां की तो किस्मत आबाद कर गई, जब मां को शहर के मेयर संपत राज की ओर से पांच लाख रुपये का गारन्टी सर्टिफिकेट सौंपा गया। बेंगलुरु में बीबीएमपी के तहत आने वाले 40 अस्पतालों में 31 दिसंबर 2017 की रात कुल 4 बच्चों के जन्म हुए, जिनमे 3 बच्चियां और एक बच्चा शामिल था। बेंगलुरु के मेयर संपत राज ने ऐलान किया था कि 31 दिसंबर की रात बीबीएमपी के अस्पतालों में जन्म लेने वाली पहली बेटी के नाम पांच लाख रुपये संयुक्त खाते में रखे जाएंगे। ये राशि बच्ची और बीबीएमपी के ज्वॉइंट कमिश्नर के साथ संयुक्त खाते में रखी जाएगी। इस रकम से मिलने वाले ब्याज को बच्ची की शिक्षा और इलाज पर खर्च किया जाएगा।

फिलहाल इस बच्ची का नामकरण नहीं हुआ है। इसकी मां पुष्पा कॉन्ट्रैक्ट पर एक सरकारी दफ्तर में काम करती है, जबकि पिता निजी कंपनी में सेल्समैन हैं। नए साल के पहले छत्तीसगढ़ में बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र की एक अनूठी नियमावली लागू हो गई। लोगों को विवाह पंजीयन के प्रति जागरूक करने के लिए नगर पालिका ने एक अनूठा निर्णय लिया। अब बिना विवाह पंजीयन कराए बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जाएगा। यह नियम एक जनवरी 2018 से लागू हो गया है। राज्य में पहली बार इस तरह की पाबंदी बालोद से शुरू की गई है ताकि इसी बहाने लोग शादी करने के बाद पंजीयन कराने आए और भविष्य में बच्चे होने पर जन्म प्रमाण पत्र उन्हें आसानी से मिल सके।

इससे लोग नए साल में पंजीयन अवश्य कराएं जिससे परेशानी न हो। अभी तक जन्म प्रमाण पत्र बनाने के लिए बच्चे के माता-पिता का विवाह प्रमाणपत्र जरूरी नहीं था जबकि बच्चे के प्रमाण पत्र बनाने के समय उनके माता-पिता का विवाह प्रमाण पत्र बना होना चाहिए। पालिका ने फैसला लिया है कि एक जनवरी 2018 के बाद जिनका विवाह होगा, उनके बच्चों का जन्म प्रमाण पत्र बनाने के लिए उनके माता-पिता का विवाह प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा।

इस बीच यह भी उल्लेखनीय हो गया है कि विश्व की आबादी करीब 7.5 अरब तक पहुँच चुकी है। भारत विश्व का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है, जो कि विश्व की आबादी का लगभग पांचवां हिस्सा है तथा वर्ष 2022 तक इसके विश्व का सबसे अधिक आबादी वाला देश बनने का अनुमान है, इस तरह यह चीन की जनसँख्या को पार कर रहा है। वर्ष 2017 में विश्व जनसंख्या दिवस का विषय "परिवार नियोजन: लोगों का सशक्तिकरण एवं राष्ट्रों का विकास” रहा है। परिवार नियोजन लोगों को अपनी इच्छानुसार बच्चों के जन्म एवं गर्भधारण के अंतराल निर्धारण करने की सुविधा देता है। इसे गर्भनिरोधक विधियों और बांझपन के उपचार के उपयोग के माध्यम से प्राप्त किया जाता है।

विकासशील देशों में लगभग 225 मिलियन महिलाएं, जो कि गर्भावस्था से बचना चाहती हैं, वो सुरक्षित और प्रभावी परिवार नियोजन विधियों का उपयोग नहीं कर पाती हैं। नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे (2015-16) के अनुसार बिहार में टोटल फर्टिलिटी रेट सबसे अधिक है। नेशनल फर्टिलिटी रेट 2.2 है जबकि बिहार की टोटल फर्टिलिटी रेट यानी कुल प्रजनन दर 3.4 है। देश के सात ऐसे राज्य हैं, जिनके 145 जिलों में टीएफआर रेट अधिक है। जहां तक जातिगत आधार पर आबादी बढ़ने की रफ्तार है, साल 2050 तक भारत दुनिया की सबसे ज़्यादा मुस्लिम आबादी वाला देश बन जाएगा हालांकि भारत में हिन्दू ही बहुसंख्यक होंगे, लेकिन मुस्लिम आबादी के मामले में भारत इंडोनेशिया को पछाड़ देगा।

इसके साथ ही तब तक दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी आबादी हिन्दुओं की हो जाएगी। यह खुलासा पीईडब्ल्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट के जरिये हुआ है। अभी दुनिया में तीसरी बड़ी आबादी किसी धर्म को नहीं मानने वालों की है। रिसर्च सेंटर की ओर से जारी आंकड़े के मुताबिक 2050 तक दुनियाभर में हिन्दू आबादी 34 फीसदी बढ़ जाएगी और 2050 तक करीब एक अरब से 1.4 अरब तक होगी। वहीं हिन्दुओं की आबादी तीसरे नंबर पर आकर पूरी दुनिया की आबादी का 14.9 फीसदी हो जाएगी। अनुमान के मुताबिक, दुनिया की कुल आबादी में मुस्लिम आबादी ज्यादा तेजी से बढ़ेगी जबकि हिन्दुओं और ईसाइयों की आबादी बढ़ने की रफ़्तार सामान्य रहेगी।

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