बेटी की मौत की खबर भी नहीं डिगा पाई कर्तव्य से, UPP के सिपाही ने घायल व्यक्ति की बचाई जान
यूपी पुलिस के एक हेड कॉन्स्टेबल भूपेंद्र तोमर ने अपनी बेटी की मौत की खबर सुनने के बाद भी तुरंत घर न जाकर नम आंखों से अपनी ड्यूटी निभाई और एक मदद के लिए तड़प रहे व्यक्ति की जान बचाई।
टीम के बाकी पुलिसकर्मियों को जब यह बात पता चली तो उन्होंने भूपेंद्र को वापस घर छोड़ने के लिए कहा। लेकिन भूपेंद्र ने ड्राइवर से कहा कि वह गाड़ी न मोड़े और सीधे उस घायल व्यक्ति के पास ले चले। उन्होंने कहा कि जो इंसान मर रहा है उसे पहले बचाना है।
आपमें से अधिकतर लोगों के मन में पुलिस की एक नकारात्मक छवि बनी हुई होगी, लेकिन कोई ये नहीं जानने की कोशिश करता कि हमारी सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले पुलिस किन परिस्थितियों में काम करते हैं। बीते महीने 23 फरवरी को उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में हुई घटना आपको पुलिस की संवेदनशीलता और बहादुरी का अहसास करवा देगी। यूपी पुलिस के एक हेड कॉन्स्टेबल भूपेंद्र तोमर ने अपनी बेटी की मौत की खबर सुनने के बाद भी तुरंत घर न जाकर नम आंखों से अपनी ड्यूटी निभाई और एक मदद के लिए तड़प रहे व्यक्ति की जान बचाई।
23 फरवरी की सुबह रोज की तरह यूपी पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल भूपेंद्र तोमर (57) अपनी टीम के साथ यूपी-100 की गाड़ी से गश्त कर रहे थे। वे सभी बड़ागांव इलाके के आस-पास ही थे कि उन्हें एक कॉल के जरिए सूचना मिली कि वहीं पास में एक व्यक्ति हमले में घायल हो गया है और सड़क पर पड़ा तड़प रहा है। इतनी सूचना पाकर पुलिस की टीम घटनास्थल की ओर रवाना हो गई। लेकिन इसी बीच रास्ते में ही टीम का नेतृत्व कर रहे भूपेंद्र तोमर के घर से फोन आया कि उनकी 27 वर्षीय बेटी की असमयिक मृत्यु हो गई है। यह सुनकर भूपेंद्र को गहरा आघात लगा और उनकी आंखों से आंसू छलकने लगे।
टीम के बाकी पुलिसकर्मियों को जब यह बात पता चली तो उन्होंने भूपेंद्र को वापस घर छोड़ने के लिए कहा। लेकिन भूपेंद्र ने ड्राइवर से कहा कि वह गाड़ी न मोड़े और सीधे उस घायल व्यक्ति के पास ले चले। उन्होंने कहा कि जो इंसान मर रहा है उसे पहले बचाना है। अपने आंसुओं को पोंछते हुए वह गंभीर रूप से घायल व्यक्ति तक पहुंचे और उसे उठाक अस्पताल पहुंचाया। इसके बाद वह अपने घर गए। घायल व्यक्ति जानवरों का डॉक्टर था। डॉक्टरों ने उसकी जान बचा ली। उस व्यक्ति ने भूपेंद्र को लाख-लाख शुक्रिया अदा किया।
बिजनौर जिले के निवासी भूपेंद्र ने कहा, 'जो इंसान जिंदगी के लिए तड़प रहा हो उसे बचाना हमारी प्राथमिकता थी। मुझे नहीं लगता कि मैंने कुछ खास किया है।' उनकी बेटी ज्योति सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, मेरठ में नर्स का काम करती थी। पिछले साल ही उसकी शादी 28 वर्षीय सौरभ से हुई थी। अचानक वॉशरूम में फिसलकर गिरने से उसकी मौत हो गई। इस असमयिक मौत से पूरे परिवार को गहरा आघात लगा। उस दुर्भाग्यूर्ण दिन को याद करते हुए भूपेंद्र बताते हैं कि उन्हें फोन के जरिए बताया गया कि उनकी बेटी नहीं रही। लेकिन वे अपनी टीम के साथ रामपुर मनिहारन-बड़ागांव रोड पर सिरसिरी गांव के लिए जा रहे थे।
उन्होंने कहा, 'मुझे पता था कि हमें पहले उस घायल व्यक्ति की जान बचानी है।' भूपेंद्र के इस बहादुरीपूर्ण काम पर पुलिस विभाग के आला अधिकारियों ने उन्हें सम्मानित भी किया। पूरे प्रदेश में उनकी प्रशंसा की जा रही है। राज्य के पुलिस विभाग के मुखिया डीजीपी ओपी सिंह ने भूपेंद्र को फोन किया और शोकाकुल परिवार को हरसंभव सहायता देने का आश्वासन दिया। सहारनपुर रेंज के डीआईजी शरद सचान और सहारनपुर के एसएसपी बब्लू कुमार ने भूपेद्र को सम्मानित किया। लखनऊ में भी उन्हें बुलाया गया था। उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग ने हमेशा उनका सहयोग किया है, इस रवैये पर वे अभिभूत हैं।
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