"स्टार्टअप्स को विश्वस्तरीय व्यवस्था देने की कोशिशें जारी"
औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग :डीआईपीपी: के सचिव अमिताभ कान्त ने स्वीकार किया कि भारत में स्टार्टअप के लिए व्यवस्था ‘जटिल और मुश्किल’ है। उन्होंने कहा कि सरकार देश की कराधान, पेटेंट और पंजीकरण व्यवस्था में सुधार के लिए बड़े स्तर पर काम कर रही है।
कान्त ने सीआईआई के एक कार्यक्रम में कहा,
‘‘स्टार्ट अप्स के लिए व्यवस्था जटिल और मुश्किल है। भारत में सफल होने वाले स्टार्ट अप में से 60 से 65 प्रतिशत बाद में सिंगापुर चले जाते हैं। ऐसे में इन स्टार्ट अप को वापस लाने के लिए एक विश्वस्तरीय व्यवस्था की जरूरत है।’’
भारत को स्टार्ट अप के लिए कारोबार को बेहद सुगम स्थान बनाने की जरूरत बताते हुए कान्त ने कहा कि सरकार कई प्रकार की नियामकीय मंजूरियों को समाप्त करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा,
‘‘यदि आप दुनिया के किसी हिस्से को देखें, तो एंजल निवेशक स्टार्ट अप का समर्थन करते हैं। हमें उन्हें प्रोत्साहन देने की जरूरत है। हम जरूरत से ज्यादा नियामकीय जरूरतों को समाप्त करने का प्रयास कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा कि देश का ई-कामर्स बाजार जो इस समय 10 अरब डालर :66,000 करोड़ रुपये: है, संभवत: 2017 तक बढ़कर 100 अरब डालर और एक दशक में 250 अरब डालर पर पहुंच जाएगा।
पीटीआई