तो मोटापा ही बन जाएगा डायबिटीज का इलाज !
शोधकर्ताओं ने अनूठा और सरल तरीका ढूंढ रहे हैं। एक पॉलिमर स्पंज को मोटापे वाली ऊतकों में स्थापित करके। डायबिटिज टाइप-2 से ग्रसित चूहे पर इसका प्रयोग किया गया, इस प्रयोग ने वजन और ब्लड शुगर लेवल दोनों को कम दिया।
शोधकर्ताओं ने अमेरिका केमिकल सोसायटी की 254वीं राष्ट्रीय मीटिंग और प्रदर्शनी में यह नतीजे रखे। वहां के एक वैज्ञानिक डॉक्टर मिशेल गोवर ने बताया कि 'हम मधुमेह को एक ऊतक इंजीनियर के रूप ले रहे हैं। जब लोग बेतरतीब खाने लगते हैं, व्यायाम नहीं करते और चिंता में डूबे रहते हैं तब उनका वजन बढ़ जाता है।
दिमाग, लिवर और मांसपेशियों जैसे प्रमुख अंगों को ठीक से काम करने के लिए समुचित ग्लुकोज की जरूरत होती है। लेकिन डायबिटीज की वजह से उनके काम करने की योग्यता क्षीण होने लगती है। इन अंगों को खून से शर्करा नहीं मिलता जिससे शरीर को ऊर्जा नहीं मिल पाता और जल्दी थकान हो जाती है।
शोधकर्ता मधुमेह उपचार के लिए अनूठा तरीका खोज रहे हैं। एक नया तरीका सामने आया है, पॉलीमर स्पंज को मोटापे वाली चर्बी में लगाना। इस शोध के दौरान मोटे चूहों में डायबिटीज की दूसरी श्रेणी के लक्षण पैदा किए गए और फिर मोटापे को ही डायबिटिज की दवा के तौर पर आजमाया गया। इससे वजन और ब्लड शुगर का स्तर दोनों कम हो गया। डायबिटीज की बीमारी को नियंत्रित करना मुश्किल है, बहुत सारी दवाईयां खाना, इंसुलिन लेना, ब्लड शुगर को लगातार चेक करना, डाइट चेंज करना और व्यायाम करना जैसे कठोर नियम का पालन उपचार के दौरान करने होते हैं। अब शोधकर्ताओं ने अनूठा और सरल तरीका ढूंढ रहे हैं। एक पॉलिमर स्पंज को मोटापे वाली ऊतकों में स्थापित करके। डायबिटिज टाइप-2 से ग्रसित चूहे पर इसका प्रयोग किया गया, इस प्रयोग ने वजन और ब्लड शुगर लेवल दोनों को कम दिया।
शोधकर्ताओं ने अमेरिका केमिकल सोसायटी की 254वीं राष्ट्रीय मीटिंग और प्रदर्शनी में यह नतीजे रखे। वहां के एक वैज्ञानिक डॉक्टर मिशेल गोवर ने बताया कि 'हम मधुमेह को एक ऊतक इंजीनियर के रूप ले रहे हैं। जब लोग बेतरतीब खाने लगते हैं, व्यायाम नहीं करते और चिंता में डूबे रहते हैं तब उनका वजन बढ़ जाता है। जब शरीर में वसा ज्यादा जमा हो जाता है, तब शरीर के दूसरे हिस्से काम करने में असमर्थ होने लगते हैं। उन्हें दोबारा पहले की तरह दुरुस्त करने की कोशिश का जा रही है।'
शरीर की चर्बी बन सकती है काम की चीज
कुछ साल पहले डॉक्टरों और विशेषज्ञों ने माना कि वसा एक अंत: स्त्रावी अंग है जबकि लम्बे समय तक ये माना जाता रहा कि ये सिर्फ बेकार ऊर्जा का स्त्रोत है। यह एक ऐसा यौगिक छोड़ता है जो ऊर्जा और पाचन क्रिया को नियंत्रित करता है और दूसरे अंगों को ग्लूकोज और इंसुलिन प्रदान करता है। दिमाग, लिवर और मांसपेशियों जैसे प्रमुख अंगों को ठीक से काम करने के लिए समुचित ग्लुकोज की जरूरत होती है। लेकिन डायबिटीज की वजह से उनके काम करने की योग्यता क्षीण होने लगती है। इन अंगों को खून से शर्करा नहीं मिलता जिससे शरीर को ऊर्जा नहीं मिल पाता और जल्दी थकान हो जाती है। इसके परिणास्वरूप खून में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ने लगती है और हायपरग्लाइसेमिया की शिकायत होने लगती है। हायपरग्लाइसेमिया कई अंगों के लिए जहर का काम करता है।
पॉलीमर स्पंज की मदद से इलाज संभव
मनोवैज्ञानिकों और अंत: स्त्रावी ग्रंथियों के विशेषज्ञों की मदद से साउथ कैरोलिना के गोवर लैब में एक प्रयोग किया गया। माइकल हेंडली नाम के एक मेडिकल स्टूडेंट इसकी अगुवाई कर रहे थे। इस प्रयोग में शरीर के दूसरे अंगों की वसा और ऊतकों को फिर से काम करने लायक बनाने की कोशिश शुरू हुई। मोटे चूहों को प्रयोग का आधार बनाया गया। डायबिटीज के पहले चरण के उपचार के लिए उनमें पॉलीमर स्पंज लगाया गया और फिर ये देखा गया कि उसके मोटापे पर इसका कितना असर पड़ा। चूहों पर इस प्रयोग का कोई नकारात्मक असर नहीं दिखा। जिस पॉलीमर को स्पंज के रूप में इस्तेमाल किया गया वो पहले से कई प्रत्यारोपण की चीजों में इस्तेमाल हो किया जा चुका था।
अब शोधकर्ता इस बात का अध्ययन करने की कोशिश कर रहे है कि कैसे इस पॉलीमर स्पंज ने मोटापा और ब्लड शुगर दोनों को कम कर दिया। इसके बाद वो इसे और भी अधिक प्रभावशाली बनाने की ओर काम करेंगे। शोधकर्ता इस्तेमाल होने वाले स्पंज के असर को और बेहतर करने के लिए बायोएक्टिव अणुओं का इस्तेमाल कर रहे हैं। एक और अध्ययन में ये भी पता चला कि रेड वाइन पॉलीमर स्पंज के असर को और बेहतर बना देता था। शोधकर्ता गोवर ने कहा कि हम वसा ऊतकों में जैविक सामानों को इस्तेमाल करना चाहते हैं जिसका असर शरीर के दूसरे हिस्सों तक आसानी से पहुंच सके और पूरे शरीर को फायदा पहुंचा सके।
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