हरियाणा में मधुमक्खी पालन के लिए प्लान, 2022 तक 50 हजार टन उत्पादन का लक्ष्य
हरियाणा सरकार खाद्यान्न के साथ शहद उत्पादन में बढ़ोत्तरी के लिए बड़ा प्रयास शुरू कर रही है। इस योजना के तहत प्रदेश के 18 जिलों में 18 बी ब्रीडर तैयार किए जाएंगे, जो हर साल मधुमक्खियों की 3000 कॉलोनी तैयार करेंगे।
हरियाण खाद्यान को 5 साल में 15000 कॉलोनी तैयार कर मधुमक्खी तैयार करनी होंगी, जिसे दूसरे किसान भी ले सकेंगे और प्रदेश में 2022 तक शहद का उत्पादन सालाना 10 हजार टन से 50 हजार टन करने की योजना है।
भविष्य में इस शहद की गुणवत्ता को बढ़ाने के प्रयास होंगे और अंतर राष्ट्रीय मानकों पर यह पहले की तरह खरा उतरता रहेगा। इससे प्रदेश के 16.17 लाख किसान परिवारों की आय में बढ़ोत्तरी होगी।
मधुमक्खी पालन किसानों की आय दोगुनी करने के प्रयास में एक बड़ी भूमिका निभा सकता है। यह ऐसा उद्योग है जिसमें किसान मामूली लागत लगाकर खेती करते-करते ही बेहतर लाभ कमा सकते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए हरियाणा सरकार खाद्यान्न के साथ शहद उत्पादन में बढ़ोत्तरी के लिए बड़ा प्रयास शुरू कर रही है। इस योजना के तहत प्रदेश के 18 जिलों में 18 बी ब्रीडर तैयार किए जाएंगे। जो हर साल ये मधुमक्खी की 3,000 कॉलोनी तैयार करेंगे। 5 साल में इन्हें 15,000 कॉलोनी तैयार कर मधुमक्खी तैयार करनी होंगी। इन्हें दूसरे किसान भी ले सकेंगे और प्रदेश में 2022 तक शहद का उत्पादन सालाना 10 हजार टन से 50 हजार टन करने की योजना है।
हर ब्रीडर के लिए चार लाख रुपए अनुदान का बजट निर्धारित किया जाएगा। प्रदेश में तैयार होने वाला शहद खाड़ी और यूरोपियन देशों में सप्लाई हो सकेगा, इससे न केवल किसान की आय बढ़ेगी, बल्कि 36.25 लाख हेक्टेयर में उगने वाली विभिन्न फसलों के उत्पादन में भी मधुमक्खियों के बढ़ने से लाभ मिलेगा। यही नहीं हर साल मधुमक्खी पालकों को राज्य स्तरीय एक लाख का व जिला स्तरीय 51 हजार रुपए का इनाम दिया जाएगा।
आंकड़े बताते हैं कि खाड़ी-यूरोपियन देशों में शहद की काफी खपत होती है। वे प्रदेश में उगाए जाने वाले जांडी, सरसों के फूलों के अलावा सफेदे, सूरजमुखी, बरसीम, बेरी, अरहर के फूलों से तैयार शहद को अधिक तवज्जो देते हैं। भविष्य में इस शहद की गुणवत्ता को बढ़ाने के प्रयास होंगे और अंतर राष्ट्रीय मानकों पर यह पहले की तरह खरा उतरता रहेगा। इससे प्रदेश के 16.17 लाख किसान परिवारों की आय में बढ़ोत्तरी होगी।
मधुमक्खी पालन विशेषज्ञ जयकुमार श्योराण के अनुसार बागवानी विभाग की ओर से प्रदेश भर में सर्वे कराकर पता लगाया जाएगा कि किस जिले या गांव में कौन व्यक्ति कब से मधुमक्खी पालन के काम में लगा है। वह कितना दक्ष है। फिर उसी के माध्यम से वैज्ञानिक तरीके से मधुमक्खी पालन कराया जाएगा। यहीं से दूसरे किसानों को मधुमक्खियां दी जाएंगी, ताकि प्रदेश में शहद का उत्पादन बढ़ाया जा सके।
हरियाणा देश में शहद उत्पादन में सातवें नंबर पर है। यहां करीब छह लाख कॉलोनी मधुमक्खी हैं। रामनगर कुरुक्षेत्र में साढ़े 10 करोड़ रुपए की लागत से एकीकृत मधुमक्खी विकास केंद्र बनाया जा रहा है, यह एक नवंबर से पहले काम करना शुरू कर देगा, यहां किसानों को मधुमक्खी शहद उत्पादन, इसके अन्य उत्पादन व पैकिंग आदि के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाएगी। प्रदेश में फिलहाल करीब 1500 किसान ही मधुमक्खी पालन के लिए रजिस्टर्ड हैं। जबकि करीब 6000 किसान इस कारोबार से जुड़े हुए हैं। किसानों की संख्या 2022 तक 15000 तक करने की योजना है, जबकि शहद उत्पादन 10 हजार एमटी से बढ़ाकर प्रति वर्ष 50 हजार टन ले जाने की योजना बनाई गई है।
हरियाणा बागवानी विभाग के मिशन डायरेक्टर डॉ. बीएस सेहरावत ने बताया कि परपरागण से सरसों में 30-50 फीसदी, फलदार पौधों में 100 से 200 फीसदी तक बढ़वार होती है। दूसरी फसलों में 15 से 30 फीसदी तक मधुमक्खी द्वारा परागण कर बढ़ोत्तरी होती है। 18 जिलों में 18 बी ब्रीडर तैयार किए जाएंगे। सर्वे के बाद इन्हें बागवानी विभाग की ओर से 4 लाख रुपए अनुदान दिया जाएगा। ये किसान मधुमक्खी तैयार कर दूसरे किसानों को देंगे। शहद का उत्पादन अगले पांच साल में पांच गुना तक बढ़ाए जाने की योजना है।
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