Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
ADVERTISEMENT
Advertise with us

दुनियाभर में रियल-टाइम ट्रांजेक्शन में 49% हिस्सेदारी भारत की: रिपोर्ट

रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि दुनियाभर में कई नए बाजार प्रवेशकर्ता तेजी से अपनी पकड़ बना रहे हैं. दुनियाभर के कानून निर्माता और केंद्रीय बैंक रियल-टाइम पेमेंट्स के आर्थिक लाभ लेने और अपने नागरिकों के लिए वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने की दृढ़ता के साथ इसे अपनाने पर जोर दे रहे हैं.

दुनियाभर में रियल-टाइम ट्रांजेक्शन में 49% हिस्सेदारी भारत की: रिपोर्ट

Tuesday May 07, 2024 , 7 min Read

हाइलाइट्स

2023 में वैश्विक स्तर पर 266.2 अरब पर पहुंची रियल-टाइम लेनदेन की संख्या, जो सालाना आधार पर 42.2% की वृद्धि है

दुनियाभर में रियल-टाइम लेनदेन में 49% हिस्सेदारी भारत की रही, इसके बाद ब्राजील (14%), थाइलैंड (8%), चीन (7%) और दक्षिण कोरिया (3%) का स्थान है

रिपोर्ट में दुनिया के पांच सबसे सफल रियल-टाइम पेमेंट्स मार्केट भारत, ब्राजील, इंडोनेशिया, मलेशिया और नीदरलैंड से मिले निष्कर्ष सामने आए

2023 में सालाना 42.2% की वृद्धि के साथ 266.2 अरब रियल-टाइम ट्रांजेक्शन के साथ वैश्विक स्तर पर रियल-टाइम पेमेंट्स की वृद्धि सस्टेनेबल (टिकाऊ) स्तर पर पहुंच गई है. अग्रणी डाटा एवं एनालिटिक्स कंपनी Global Data के साथ साझेदारी में अग्रणी मिशन क्रिटिकल रियल-टाइम पेमेंट्स सॉफ्टवेयर ACI Worldwide द्वारा प्रकाशित 2024 प्राइम टाइम फॉर रियल-टाइम रिपोर्ट में यह बात सामने आई है.

पिछली रिपोर्टों में दुनियाभर में रियल-टाइम पेमेंट्स और कंज्यूमर अपटेक के आर्थिक लाभों पर प्रकाश डाला गया था. इस साल की रिपोर्ट यानि पांचवें संस्करण में दुनिया के कुछ प्रमुख रियल-टाइम पेमेंट्स मार्केट का गहराई से विश्लेषण किया गया है. यह रिपोर्ट उन कारकों पर प्रकाश डालती है, जिनके कारण ये देश सफल एंड-टू-एंड रियल-टाइम पेमेंट्स इकोसिस्टम बनाने में सक्षम हुए हैं. रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि दुनियाभर में कई नए बाजार प्रवेशकर्ता तेजी से अपनी पकड़ बना रहे हैं. दुनियाभर के कानून निर्माता और केंद्रीय बैंक रियल-टाइम पेमेंट्स के आर्थिक लाभ लेने और अपने नागरिकों के लिए वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने की दृढ़ता के साथ इसे अपनाने पर जोर दे रहे हैं.

वैश्विक स्तर पर, 2028 तक 575.1 अरब रियल-टाइम पेमेंट्स का अनुमान है, जो 2023-2028 के बीच 16.7% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) दर्शाता है. 2028 तक, वैश्विक स्तर पर सभी इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट्स में रियल-टाइम पेमेंट्स का हिस्सा 27.1% होने का अनुमान है.

2023 में 129.3 अरब लेनदेन के साथ भारत वैश्विक स्तर पर रियल-टाइम पेमेंट्स बाजार में अग्रणी रहा है. लेनदेन की यह संख्या दुनिया के शीर्ष 10 में से शेष रियल-टाइम पेमेंट्स मार्केट के कुल लेनदेन से भी अधिक है. भारत में किए गए सभी इलेक्ट्रॉनिक भुगतानों में से 84% अब रियल-टाइम में होते हैं.

ब्राजील में 2023 में 37.4 अरब रियल-टाइम पेमेंट्स के साथ 77.9% की उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई. ब्राजील लैटिन अमेरिका में निर्विवाद रूप से रियल-टाइम के मामले में अग्रणी है. इस क्षेत्र के रियल-टाइम लेनदेन में इसकी हिस्सेदारी 75% है. अन्य लैटिन अमेरिकी देश ब्राजील की राह पर चलने के लिए रियल-टाइम पेमेंट्स की पहल को आगे बढ़ा रहे हैं. 2023 से 2028 के दौरान पेरू और कोलंबिया में क्रमशः 51.2% और 42.6% के साथ क्षेत्र में सबसे अधिक सीएजीआर रहने का अनुमान है.

एशिया प्रशांत (एपीएसी) सबसे बड़ा रियल-टाइम पेमेंट्स मार्केट है. 2023 में यहां 185.8 अरब लेनदेन हुए, जो इस क्षेत्र के सभी इलेक्ट्रॉनिक भुगतानों का 24.0% है. आकार के हिसाब से शीर्ष पांच रियल-टाइम पेमेंट्स मार्केट में से चार के साथ एपीएसी क्षेत्र में 2028 तक 351.5 अरब से अधिक रियल-टाइम लेनदेन का अनुमान है, जो 2023 से 2028 के बीच 13.6% का सीएजीआर दिखाता है.

पश्चिम एशिया वैश्विक स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ने वाला रियल-टाइम पेमेंट्स मार्केट है. सऊदी अरब, बहरीन और यूएई जैसे स्थापित बाजारों की कड़ी में जुड़ते हुए ओमान, कुवैत और कतर ने भी 2023 में योजनाओं की शुरुआत की. क्षेत्र में 2023 से 2028 के बीच सीएजीआर 28.8% रहने का अनुमान है और इस आधार पर 2028 तक लेनदेन 85.5 करोड़ से बढ़कर 3.0 अरब होने की उम्मीद है.

49pc-of-all-real-time-transactions-worldwide-were-made-in-india-aci-worldwide-report

सांकेतिक चित्र

फरवरी, 2024 में पारित यूरोपीय संघ (ईयू) इंस्टैंट पेमेंट्स रेगुलेशन से यूरोपीय संघ के 27 सदस्य देशों सहित सिंगल यूरो भुगतान वाले क्षेत्रों में इंस्टैंट पेमेंट्स बढ़ने की उम्मीद है. 2028 तक यूरोप में सभी इलेक्ट्रॉनिक भुगतानों में इंस्टैंट पेमेंट्स का हिस्सा 13% होने का अनुमान है, जो 2023 में 8% था.

उत्तरी अमेरिका इस मामले में विकास की दृष्टि से उल्लेखनीय है. 2023 में अमेरिका में फेडनाउ सर्विस की लॉन्चिंग के साथ 2023 से 2028 में अनुमानित सीएजीआर 27.1% है.

अफ्रीका में रियल-टाइम पेमेंट्स के मामले में निर्विवाद रूप नाइजीरिया अग्रणी है, जो विकास के हिसाब से प्रमुख बाजार है. यहां 2023 में 7.9 अरब लेनदेन हुए. 2023 में सभी इलेक्ट्रॉनिक भुगतानों में रियल-टाइम की हिस्सेदारी 82.1% थी.

पहली बार, इस वर्ष की रिपोर्ट ने दुनियाभर में सबसे सफल रियल-टाइम पेमेंट्स मार्केट्स में से पांच – भारत, ब्राजील, इंडोनेशिया, मलेशिया और नीदरलैंड में इस व्यवस्था को गति देने वाले कारकों और उपयोग की उन परिस्थितियों का गहराई से विश्लेषण किया है, जिनसे ये देश कारोबारी बदलाव और उपभोक्ताओं के जीवन को बेहतर बनाने की शक्ति के साथ रियल-टाइम पेमेंट्स का इकोसिस्टम विकसित करने में सक्षम हुए हैं.

बात चाहे सरकारी आदेश की हो या उद्योग की सहमति की, रियल-टाइम पेमेंट्स की व्यवस्था सभी के सहयोग से ही फलती-फूलती है. वित्तीय संस्थानों, भुगतान सेवा प्रदान करने वाले संस्थानों, केंद्रीय बैंकों व सरकारी संस्थानों, व्यापारियों और थर्ड पार्टी स्टेकहोल्डर्स को रियल-टाइम पेमेंट्स के लिए सफल व्यवस्था बनाने एवं इसके संचालन की दिशा में मिलकर काम करना चाहिए.

सबसे सफल रियल-टाइम पेमेंट्स मार्केट्स में फिनटेक को गति देने वाले माहौल को बढ़ावा दिया जा रहा है. शोध से पता चलता है कि फिनटेक कंपनियां और छोटे बैंक दुनिया के प्रमुख देशों में रियल-टाइम पेमेंट्स के लिए व्यवस्था तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. दुनियाभर में तेजी से बढ़ते रियल-टाइम पेमेंट्स मार्केट्स में प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए बड़े बैंकों को अपनी रणनीतियों का पुनर्मूल्यांकन करने और फिनटेक कंपनियों के साथ नई साझेदारी बनाने की आवश्यकता होगी.

रियल-टाइम पेमेंट्स को बढ़ावा देने के लिए व्यापारियों द्वारा इसे अपनाए जाने की जरूरत है. उदाहरण के लिए, भारत सरकार ने मर्चेंट डिस्काउंट रेट को हटा दिया और सभी व्यापारियों को यूपीआई से भुगतान स्वीकारने में सक्षम बनाने के लिए क्यूआर कोड जारी किए, जिससे सभी छोटे-बड़े व्यापारियों को यूपीआई से भुगतान स्वीकार करने के लिए सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया जा सका.

रियल-टाइम पेमेंट्स उन देशों में फलता-फूलता है, जहां उपयोग के नए मामलों को उपभोक्ताओं या व्यवसायों द्वारा बड़े पैमाने पर अपनाया गया. बात चाहे यूटिलिटी या टैक्स बिल की हो, यात्रा टिकट या सड़क टोल, सब्सक्रिप्शन पेमेंट या साप्ताहिक किराने की दुकान में भुगतान करने की, सबसे सफल देशों में उपभोक्ता अब इन सभी के लिए रियल-टाइम पेमेंट कर रहे हैं.

अपने देश की सीमा से परे भुगतान के लिए रियल-टाइम का विस्तार करने के प्रयास अंततः सफल हो रहे हैं और एशियाई देश इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. भारत की लोकप्रिय यूपीआई योजना का उपयोग करके अब मलेशिया, इंडोनेशिया, संयुक्त अरब अमीरात और फ्रांस में भुगतान किया जा सकता है. वहीं, मलेशिया के ड्यूटीनाउ के उपयोगकर्ता अब इंडोनेशिया, सिंगापुर, थाइलैंड और चीन में क्यूआर कोड से रियल-टाइम पेमेंट्स कर सकते हैं.

रियल-टाइम पेमेंट्स में धोखाधड़ी की चुनौती: जेनरेटिव एआई के कारण धोखाधड़ी के मामले और तरीके बदल रहे हैं, लेकिन उद्योग इन चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है. एआई आधारित नई एंटी-फ्रॉड टेक्नोलॉजी एवं तरीकों के साथ मिलकर उपभोक्ता अधिकारों की पहल, शिक्षा से जुड़े कार्यक्रम और सरकारी हस्तक्षेपों ने प्रभाव दिखाना प्रारंभ कर दिया है.

ACI Worldwide के रियल-टाइम पेमेंट्स के ग्लोबल हेड क्रेग रैमसे ने कहा, “इस वर्ष की रिपोर्ट सफलता के उन प्रमुख कारकों पर प्रकाश डालती है, जिन्होंने कुछ देशों को रियल-टाइम पेमेंट्स की दिशा में आधुनिकीकरण की राह पर आगे बढ़ने और उपभोक्ताओं एवं व्यवसाओं के लिए लाभ की राह बनाने में सक्षम बनाया. वर्तमान समय में रियल-टाइम पेमेंट्स के लिए सहयोग जरूरी है. इसमें नई पीढ़ी की कंपनियों को बैंकों से प्रतिस्पर्धा करने, सहयोग करने या दोनों के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. दुनिया में सबसे सफल रियल-टाइम पेमेंट्स योजनाओं, विशेष रूप से भारत एवं ब्राजील में, उपयोग के ऐसे मामले भी शामिल हैं जो कल्पना से परे लोकप्रिय साबित हुए हैं.”

ACI Worldwide के चीफ प्रोडक्ट ऑफिसर डेबी गुएरा ने कहा, “रियल-टाइम पेमेंट्स और विशेष रूप से देश की सीमा से परे पेमेंट्स ही भुगतान का भविष्य हैं. इनसे भुगतान से संबंधित बाधाएं दूर होती हैं, वित्तीय प्रणाली में नकदी बढ़ती है और अंततः आर्थिक विकास एवं वित्तीय समावेशन बढ़ता है. बैंकों को इस पर विचार करना चाहिए कि क्या वे रियल-टाइम पेमेंट्स को गति देने के लिए वास्तव में अधिकतम प्रयास कर रहे हैं और क्या उनकी प्रतिबद्धता को न्यूनतम तक सीमित करने का मतलब भुगतान के भविष्य में उनकी संभावित हिस्सेदारी को सीमित करना भी है.”

यह भी पढ़ें
मार्च में बैंकों ने MSME को 24.6 लाख करोड़ रुपये का लोन दिया: RBI डेटा