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#Breasts4Babies: क्या आप सिर पर कंबल डालकर या टॉयलट में खाना खाते हैं?

'गृहलक्ष्मी' के कवरपेज पर बच्चे को स्तनपान कराती मॉडल जीलू जोसेफ की छपी फोटो से हुए बवाल के बाद...

#Breasts4Babies: क्या आप सिर पर कंबल डालकर या टॉयलट में खाना खाते हैं?

Tuesday March 13, 2018 , 4 min Read

'गृहलक्ष्मी' के कवरपेज पर बच्चे को स्तनपान कराती मॉडल जीलू जोसेफ की फोटो छापी गई थी। इससे कई लोगों की 'भावनाएं' आहत हो गईं। लेकिन कई महिलाओं और प्रगतिशील लोगों ने इस विरोध को गैरजरूरी बताया।

संयुक्ता, जीलू जोसेफ और रक्षा

संयुक्ता, जीलू जोसेफ और रक्षा


#Breasts4Babies हैशटैग से फेसबुक और ट्विटर पर कई महिलाओं ने अपनी बात रखी है और इस पत्रिका के समर्थन में आ गई हैं। वहीं कई महिलाओं ने तो खुले तौर पर स्तनपान कराते बच्चे के साथ तस्वीर भी साझा की हैं।

हाल ही में एक मलयाली पत्रिका के कवरपेज पर स्तनपान कराती मॉडल की एक तस्वीर सामने आई थी, जिस पर काफी विवाद भी हुआ। केरल के एक वकील ने मॉडल और पत्रिका पर अश्लीलता फैलाने के आरोप में केस दर्ज करा दिया। वकील विनोद मैथ्यू का कहना है कि इस तस्वीर से अश्लीलता फैलती है। तो क्या वकील साहब के कहने का ये मतलब था कि पब्लिक प्लेस पर बच्चे को स्तनपान न कराया जाए? 'गृहलक्ष्मी' के कवरपेज पर बच्चे को स्तनपान कराती मॉडल जीलू जोसेफ की फोटो छापी गई थी। इससे कई लोगों की 'भावनाएं' आहत हो गईं। लेकिन कई महिलाओं और प्रगतिशील लोगों ने इस विरोध को गैरजरूरी बताया।

सोशल मीडिया पर इसके बाद कई कैंपेन शुरू किए गए, जिनमें स्तनपान को जनसाधारण के बीच सामान्य मानने की बात कही गई है। इसका समर्थन करने वाले लोगों का कहना है कि ऐसे कैंपेन से लोगों में स्तनपान से जुड़े टैबू खत्म होंगे। #Breasts4Babies हैशटैग से फेसबुक और ट्विटर पर कई महिलाओं ने अपनी बात रखी है और इस पत्रिका के समर्थन में आ गई हैं। वहीं कई महिलाओं ने तो खुले तौर पर स्तनपान कराते बच्चे के साथ तस्वीर भी साझा की हैं।

फेसबुक पर श्रेया कृष्णन ने कहा, 'स्तनपान का सिर्फ इतना मतलब होता है कि एक बच्चा कैसे अपना भोजन ले रहा है। जो ये सोचते हैं कि बच्चे को सिर्फ ढंककर ही भोजन दिया जा सकता है क्या वे लोग अपने सर को कंबल से ढंककर खाना खाते हैं? खासतौर पर गर्मी के महीने में।' उन्होंने आगे कहा कि ऐसा कोई नहीं करता है, फिर आप एक छोटे से नवजात बच्चे से कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि वो ढंककर अपना भोजन ले। श्रेया ने कहा कि अगर हम उनकी मदद नहीं कर सकते है तो कम से कम उनके लिए परेशानी का सबब तो न बनें। सार्वजनिक जगह पर स्तनपान से किसी की भावनाएं नहीं आहत होनी चाहिए और न ही इसे अश्लीलता भरी निगाहों से देखा जाना चाहिए।

यह पूरा कैंपेन स्त्री के स्तन को हर वक्त कामुक भरी निगाहों से देखने वालों की मानसिकता बदलने के लिए शुरू किया गया है। फेसबुक पर 'ब्रेस्टफीडिंग सपोर्ट फॉर इंडियन मदर्स' नाम के एक पेज से यह कैंपेन शुरू हुआ जिसमें लगभग 63,000 सदस्य जुड़े हैं। ग्रुप से जुड़े सदस्य मलयाली पत्रिका गृहलक्ष्मी के इस कैंपेन के समर्थन में आ गए हैं। फेसबुक पर फ्लाइट में अपने बच्चे को स्तनपान कराते वक्त की तस्वीर साझा करते हुए चेतना मृलाणिनी ने कहा, 'मैंने अपने दोनों बच्चों को जरूरत पड़ने पर हमेशा दूध पिलाया है, चाहे वह कोई भी जगह रही हो। मुझे फर्क नहीं पड़ता कि मैं पब्लिक प्लेस में हूं या कहीं और।'

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चेतना ने कहा, 'जब बच्चों को दूध पिलाने की जरूरत महसूस होती है तो कोई मां प्राइवेट जगह क्यों खोजे? या वो टॉइलट में अपने बच्चे को दूध क्यों पिलाए? क्या आप भूख लगने पर टॉयलट में जाकर खाना खाते हैं?' उन्होंने कहा कि इस मानसिकता को बदलने की जरूरत है। यह पितृसत्ता का ही एक रूप है। फेसबुक पर ही रक्षा राघवन कहती हैं, 'हम सभी स्तनधारी प्राणी हैं और बच्चे को दूध पिलाना उसकी मूलभूत जरूरत है।' उन्होंने यह भी कहा कि कई बार मांओं के पास बच्चे का मुंह या स्तन ढंकने का विकल्प नहीं होता है, उस स्थिति में क्या वे अपने बच्चे को भूखा रहने दें?

फेसबुक पर ही संयुक्ता बर्धन ने कहा कि जब कोई महिला पब्लिक प्लेस पर अपने बच्चे को दूध पिला रही हो तो उसे घूरा नहीं जाना चाहिए। यह एक सामान्य सी प्रक्रिया है कि वह अपने बच्चे को दूध पिला रही है। उन्होंने कहा, 'मेरे बच्चे को जब भी जरूरत पड़ी मैंने उसे स्तनपान कराया, फिर चाहे वो मॉल, फ्लाइट, हॉस्पिटल, शादी समारोह या सिनेमा हॉल ही क्यों न रहा हो।' संयुक्ता कहती हैं कि किसी भी मां को अपने बच्चे को दूध पिलाने के लिए शौचालय में जाने की जरूरत नहीं है।

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