3,300 किमी पटरियों के किनारे दीवार बनाकर दुर्घटनाओं को रोकेगा भारतीय रेलवे
भारतीय रेलवे की यह 3,000 करोड़ रुपये की परियोजना न सिर्फ रेल की पटरियों पर होने वाली जानलेवा दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाएगी बल्कि ट्रेनों की गति में भी तेजी लाने में काफी सहायक साबित होगी।

सांकेतिक तस्वीर (साभार- बिजनेस टुडे)
वैज्ञानिक अनिल काकोडकर की अगुवाई वाली एक उच्च-स्तरीय सुरक्षा समिति की एक रिपोर्ट में अनधिकार प्रवेश के कुछ कारणों का उल्लेख किया गया है जिनमें प्रमुख बाड़ और बैरिकेडिंग की कमी और फुटओवर ब्रिजों की अनुपस्थिति को प्रमुख माना गया है।
60 लोगों की जान लेने और उससे भी अधिक को घायल करने वाली, पंजाब के अमृतसर में जोदा फाटक पर हुई दर्दनाक रेल दुर्घटना को अभी सिर्फ एक ही महीना बीता है। दुर्घटना का कारण? विपरीत दिशाओं में पटरियों पर तेज गति से आ रही दो ट्रेन। करीब 300 लोग रेल की पटरियों पर खड़े होकर रावण को जलते हुए देख रहे थे कि तभी तेज गति से आ रही जालंधर-अमृतसर डीएमयू ने उन्हें रौंद दिया जिससे भारी हानि हुई। इसी बीच अपनी जान बचाने को पटरी से कूदे लोग दूसरी तरफ से आ रही अमृतसर-हावड़ा एक्स्प्रेस की चपेट में आ गए और अपनी जान से हाथ धो बैठे।
ऐसी त्रासदियों पर लगाम लगाने और रेल की पटरियों को गैरकानूनी तरीके से पार करने जैसी समस्याओं को संबोधित करने के लिये भारतीय रेलवे ने दिसंबर 2019 के अंत तक 3,300 किलोमीटर के रेलवे ट्रेक के साथ दीवारों का निर्माण करने का फैसला किया है।
आरसीसी (सीमेंट कंक्रीट) से बनी यह दीवार 2.7 मीटर ऊँची होगी और इसके निर्माण में 3,000 करोड़ रुपये की लागत आएगी। पटरियों पर होने वाली दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के अलावा यह दीवार ट्रेनों को 160 किमी प्रति घंटे की गति पर दौड़ने में भी सहायक साबित होगी।
इस दीवार को मुख्यतः ऐसी पटरियों के किनारे बनाया जाएगा जहां दुर्घटनाएं होने की अधिक संभावना है। बिजनस टुडे की खबर के मुताबिक, ऐसी ही एक दीवार का निर्माण 967 किमी के दिल्ली और मुंबई के केंद्रीय स्टेशनों, दिल्ली-हावड़ा के बीच और 901 किमी के गोल्डन क्वार्डिलेटरल और उसके डायगोनल्स के बीच होगा।
इसके अलावा यह योजना दिल्ली-एनसीआर के क्षेत्र को भी सुरक्षित करेगी। रेलवे बोर्ड के सदस्य-इंजीनियरिंग, विश्वेश चौबे ने एक आधिकारिक बयान में कहा, 'हमने प्रमुख रूप से अतिसंवेदनशील क्षेत्रों में अतिक्रमण को रोकने, जानवरों के पटरियों पर आने और अनधिकार प्रवेश को रोकने के लिये इन दीवारों के निर्माण का फैसला किया है। उदाहरण के लिये किसी बड़े जानवर से टक्कर रेल को पटरियों से उतार सकती है और हम इससे बचना चाहते हैं।'
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिक अनिल काकोडकर की अगुवाई वाली एक उच्च-स्तरीय सुरक्षा समिति की एक रिपोर्ट में अनधिकार प्रवेश के कुछ कारणों का उल्लेख किया गया है जिनमें प्रमुख बाड़ और बैरिकेडिंग की कमी और फुटओवर ब्रिजों की अनुपस्थिति को प्रमुख माना गया है।
देशभर के रेलवे जोनों को ऐसे खतरनाक दुर्घटना संभावित क्षेत्रों और मार्गों की पहचान करने के लिये कहा गया है जहां प्रमुख रेलवे स्टेशनों के नजदीक लोग अक्सर रेल की पटरियों को पार करते हैं। दिल्ली-मुंबई-कलकत्ता-चेन्नई स्वर्णिम चतुर्भुज के 800 किमी विस्तार के किनारे की दीवार जून 2019 तक पूरी होने की संभावना है। भारतीय रेलवे का दावा है कि शेष 2,500 किमी के रास्ते को दिसंबर 2019 तक पूरा कर लिया जाएगा।
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