Brands
YS TV
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

Videos

सिर्फ शहर ही नहीं, गांवों से भी यूजर जुटाना है 'शेयर इट इंडिया' का अगला लक्ष्य

सिर्फ शहर ही नहीं, गांवों से भी यूजर जुटाना है 'शेयर इट इंडिया' का अगला लक्ष्य

Saturday December 16, 2017 , 6 min Read

चीन आधारित इस कंपनी को 2012 में शुरू किया गया था। फिलहाल इसके साथ दुनियाभर के 1.2 बिलियन यूजर्स जुड़े हैं। भारत इनके लिए सबसे मुख्य बाजार है और भारत के करीब 350 मिलियन उपभोक्ता कंपनी से जुड़े हैं।

मोबाइल स्पार्क्स कार्यक्रम में जैसन

मोबाइल स्पार्क्स कार्यक्रम में जैसन


 वैंग बताते हैं कि भारत में बाजार बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। भारतीय बाजार डिजाइन और ऐप के क्षेत्र में अधिक से अधिक मौके पैदा कर रहा है। वैंग कहते हैं कि यूजर्स की समस्याओं और जरूरतों से ही ये मौके पनप रहे हैं।

'शेयर इट' को भारत में ढाई साल पहले शुरू किया गया। तब तक बाजार में जियो नहीं आया था औ उस वक्त तक भारत में इंटरनेट कनेक्टिविटी की हालत भी कुछ खास अच्छी नहीं थी। 

पूरी दुनिया में कहीं भी अगर डेटा ट्रांसफर सर्विस का जिक्र हो, तो 'शेयर इट' का नाम जरूर आएगा। हाल ही में बेंगलुरू में हुए 'योर स्टोरी' के मोबाइल वर्क्स 2017 इवेंट में कंपनी के वाइस प्रेजिडेंट और भारत में कंपनी के ऑपरेशन्स के मैनेडिंग डायरेक्टर जेसन वैंग ने भी शिरकत की। इस मौके पर वैंग ने बताया कि कैसे उनकी कंपनी ने भारतीय बाजार में अपनी खास पहचान बनाई और लोकप्रियता हासिल की।

अपनी बात में वैंग ने इस बात पर खास जोर दिया कि भारत के संदर्भ में उनकी कंपनी इस वक्त 100 मिलियन यूजर्स का टारगेट हासिल करने पर नजर गड़ाए हुए है। साथ ही, उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इस यूजर बेस में सिर्फ मेट्रो शहर ही नहीं छोटे शहर और ग्रामीण इलाके भी शामिल हैं और उनपर भी खास तवज्जो है। वैंग ने कहा, 'भारत में मेट्रो शहरों में लोगों के पास बहुत से विकल्प हैं, लेकिन छोटे इलाकों में प्रीमियर सर्विसों की संख्या बेहद सीमित है। ऐसे में बड़े शहरों में 1 मिलियन डॉलर खर्च करना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन छोटे शहरों और गांवों में इतनी राशि खास अहमियत रखती है। वैंग मानते हैं कि ई-कॉमर्स जैसी सुविधाएं शहरों के लिए ही बेहतर हैं।

चीन आधारित इस कंपनी को 2012 में शुरू किया गया था। फिलहाल इसके साथ दुनियाभर के 1.2 बिलियन यूजर्स जुड़े हैं। भारत इनके लिए सबसे मुख्य बाजार है और भारत के करीब 350 मिलियन उपभोक्ता कंपनी से जुड़े हैं। वैंग बताते हैं कि भारत में बाजार बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। भारतीय बाजार डिजाइन और ऐप के क्षेत्र में अधिक से अधिक मौके पैदा कर रहा है। वैंग कहते हैं कि यूजर्स की समस्याओं और जरूरतों से ही ये मौके पनप रहे हैं।

'शेयर इट' को भारत में ढाई साल पहले शुरू किया गया। तब तक बाजार में जियो नहीं आया था औ उस वक्त तक भारत में इंटरनेट कनेक्टिविटी की हालत भी कुछ खास अच्छी नहीं थी। इन सबके बावजूद स्मार्टफोन या स्मार्ट डिवाइस भारत में काफी प्रचलित थे। वैंग कहते हैं कि जिन लोगों के पास बेहतर नेटवर्क और इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं थी, उनकी जरूरतें भी अच्छी कनेक्टिविटी के साथ रह रहे लोगों के जैसे ही थीं। वैंग का मानना है कि हर जगह के लोगों की जरूरतें और सुविधाओं की चाह एक जैसी ही होती हैं। वैंग का कहना है कि उन्होंने प्रोडक्ट डिजाइनिंग के दौरान, खराब कनेक्टिविटी और ज्यादा डिमांड वाले क्षेत्रों को खासतौर पर ध्यान में रखा। वैंग कहते हैं कि ऐप्स को यूजर फ्रेंडली रखना बेहद जरूरी है।

'आइडिया से ज्यादा महत्वपूर्ण है एग्जिक्यूशन'

वैंग कहते हैं कि भारतीय बाजार के पास कमाल के नए आइडिया होते हैं, लेकिन कठिन हिस्सा है उन्हें साकार रूप देना। वैंग ने कहा कि आइडिया खोजने से ज्यादा चुनौतीपूर्ण काम है, उसका सही एग्जिक्यूशन। बाकी ऐप्स और 'शेयर इट' की फंक्शनिंग में बहुत ज्यादा अंतर नहीं है। इसके बावजूद इतनी तेजी से लोकप्रियता पाने की वजह बताते हुए वैंग कहते हैं कि 'शेयर इट' की खासबात है, उसका तेज और बेहतर एग्जिक्यूशन। मेट्रो यूजर्स हों या फिर ग्रामीण इसमें कोई फर्क नहीं आता। भारतीय बाजार, 'शेयर इट' की प्राथमिकता में सबसे ऊपर रहता है। करीब 700 मिलियन फाइल्स रोजाना ट्रांसफर होती हैं।

100 मिलियन ट्रैफिक चाहिए तो सिर्फ यही है तरीका!

वैंग कहते हैं कि कंपनी की पहली प्राथमिकता है अच्छा प्रोडक्ट और उसके बाद यूजर्स जुटाना। वैंग ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि 2 से 3 मिलियन लोगों तक का पेड ट्रैफिक जुटाना आसान काम है, लेकिन 100 मिलियन लोगों के ट्रैफिक के लिए यह तरीका संभव नहीं। वैंग ने इस बात पर फेसबुक और यूट्यूब जैसे बड़े नामों का उदाहरण भी दिया। वैंग ने कहा कि क्या इन्होंने पैसे देकर इतनी बड़ी संख्या में ट्रैफिक हासिल किया है। वैंग मानते हैं कि आप प्रमोशन पर पैसा खर्च कर सकते हैं, लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी है प्रोडक्ट क्वालिटी और यूजर्स के फीडबैक के हिसाब से उसमें बदलाव करना।

मोबाइल स्पार्क्स के कार्यक्रम में जैसन

मोबाइल स्पार्क्स के कार्यक्रम में जैसन


भारत-चीनः कहां एक ऐसे और कहां अलग

चीन, 'शेयर इट' का घरेलू मार्केट है और उसका सबसे प्रमुख बाजार है भारत। वैंग मानते हैं कि इन दोनों देशों के बाजार में कुछ समानताएं भी हैं। दोनों देशों के पास बड़ी और युवा आबादी हैं और दोनों ही दुनिया की तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्थाएं हैं। दोनों ही देशों में तेजी से शहरीकरण हो रहा है और दोनों ही देशों के लोग प्रोडक्ट प्राइसिंग को लेकर बेहद संवेदनशील हैं यानी ज्यादातर लोग किफायती उत्पादों की ओर रुख करना ही पसंद करते हैं।

वैंग कहते हैं कि समानताओं का कॉलम यहीं खत्म होता है। भारतीय बाजार एक मोबाइल-फर्स्ट मार्केट है और विकास में भी आगे रहता है। भारत में कल्चर और भाषाओं की विविधता के चलते यहां का बाजार बहुत ही अनऑर्गनाइज्ड है। ऐसे में बड़ी फंडिंग के बावजूद यह बाजार चुनौतियों से भरा है। वैंग मानते हैं कि ऐसे मार्केट के लिए इनोवेशन बेहद मुश्किल काम है। वैंग बताते हैं कि सालों पहले जब यूपीआई और ईकेवाईसी जैसे स्टार्टअप्स ने शुरूआत की थी, उस वक्त चीनी ऑन्त्रप्रन्योर्स के सामने बहुत बड़ी चुनौती थी कमजोर इन्फ्रास्ट्रक्चर की।

वैंग का मानना है कि सफलता की दौड़ में भारत, चीन के करीने नहीं अपनाएगा, बल्कि खुद अपने रास्ते गढ़ेगा। वैंग ने कहा, 'मैं भारत के विकास का हिस्सा बनना चाहता हूं।'

वैंग ने अपनी बात खत्म करते हुए कहा कि 'शेयर इट' को टेक और यूजर्स को समझने में महारत है, लेकिन उनकी कंपनी लोकल सर्विस और कॉन्टेन्ट मुहैया कराने में उतनी कुशल नहीं है। वैंग ने कहा कि इस बात को ध्यान में रखते हुए कंपनी आर्थिक सहयोग, ट्रैफिक सपोर्ट और नॉलेज सपोर्ट के जरिए उनके लोकल पार्टनर्स की क्षमताओं को और अधिक विकसित करने का प्रयास कर रही है।

यह भी पढ़ें: बैटरी से चलने वाली 2.90 करोड़ की कार पहुंची इंडिया, मुंबई में हुआ रजिस्ट्रेशन