Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

कैसे सुनील ने अपनी व्यक्तिगत हानि को दूसरों की सहायता करने वाले आॅनलाइन मंच में तब्दील किया

कैसे सुनील ने अपनी व्यक्तिगत हानि को दूसरों की सहायता करने वाले आॅनलाइन मंच में तब्दील किया

Friday January 22, 2016 , 7 min Read

टीम वाईएसहिंदी

लेखकः तौसिफ आलम

अनुवादकः पूजा


किसी भी व्यवसाय को प्रारंभ करने के इच्छुक लोगों को विभिन्न स्त्रोतों से प्रेरणा मिलती है। सुनील सूरी के मामले में ऐसा करने का एक शानदार कारण व्यक्तिगत नुकसान के बाद आया। पेशे से साॅफ्टवेयर इंजीनियर सुनील की जिंदगी में उस समय बहुत बड़ा बदलाव आया जब उनकी माँ का मृत्यु ब्रेस्ट कैंसर के चलते हो गई और इसके बाद उनके पिता भी मधुमेह की बीमारी चलते बसे। इसके बाद खाना और स्वास्थ्य उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गए जब उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि अगर उनके पिता का आहार नियमित दिशानिर्देेशन और निगरानी मे होता तो हो सकता है उनका जीवन औश्र अधिक लंबा हो जाता।

image


इसी जुनून के चलते और अपने पिता को श्रद्धांजलि देने के इरादे से सुनील ने स्वदेश मेन्यू प्लानर के नाम से एक एप्लीकेशन के निर्माण का फैसला किया। उन्होंने इसे माध्यम से एक ऐसे मंच को तैयार करने की परिकल्पना की जिसपर लोग अपनी डाइट प्लान को अपलोड कर सकते हैं औश्र फिर इसके बाद डाइटीशियन उनकी जांच करके उन्हें सुधार सकते हैं। उन्होंने इस एप्लीकेशन को मात्र दो महीने के अल्प समय में ही तैयार कर दिया लेकिन दुर्भाग्य से छः महीने तक उनकी इस निःशुल्क एप्लीकेशन पर किसी ने ध्यान भी देना गवारा नहीं समझा।

आखिरकार जब हालात बद से बद्तर हो गए तब उन्होंने अपना रास्ता बदलने की सोची। हालांकि तब भी भोजन और स्वास्थ्य उनके जुनून का केंद्र बिंदु रहे। अब वे अपने उपयोगकर्ताओं को मेन्यू प्लानर उपयोग करने के लिये कहने के बजाय एक बार उनके संपर्क में आने पर फल और सब्जियां बेचते हैं और साथ ही उन्हें निःशुल्क रूप से मेन्यू प्लानर उपयोग करने की सलाह देते हैं।

उन्हें यह बहुत अच्छे से पता था कि फल और सब्जियां बेचना काफी मेहनत का काम है जिसमेेें काफी गलाकाट प्रतियोगिता है और इस क्षेत्र में कदम रखने वाले स्टार्टअप नियमित रूप से असफल हो रहे हैं। आखिरकार वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि बाजार में कदम रखने और व्यापार करने के लिये उके सामने सिर्फ यही एक रास्ता है क्योंकि वे व्यापार के सूचीबद्ध सिद्धांत वाले माॅडल को नहीं अपना सकते थे जिसमें नुकसान मिलने की अधिक संभावना थी। ऐसे में जब एक तरफ तमाम दूसरे स्टार्टअप उसी दिन उत्पाद की डिलीवरी करने के माॅडल पर काम कर रहे थे उन्होंने उसके बिल्कुल विपरीत जाने की ठानी।

जून 2015 में उन्होंने फलफूल (Falphool) की शुरुआत एक ऐसे आॅनलाइन मंच के रूप में की जो पहले दिन शाम को फलों और सब्जियों के आॅर्डर लेता और अगले दिन उत्तर पश्चिमी दिल्ली में उनकी डिलीवरी करता।

फलफूल के 41 वर्षीय संस्थापक सुनील सूरी कहते हैं, ‘‘इस मंच के माध्यम से उपभोक्ता और कंपनी दोनों को ही फायदा हुआ है। हमारा अपव्यय लगभग शून्य है। काम प्रारंभ करने के कुछ ही महीनों बाद जैसे-जैसे उपभोक्ताओं की मांग में इजाफा हुआ हमनें समय के साथ दवाओं, पौधों और किराने के सामान को उपलब्ध करवाना भी प्रारंभ कर दिया।’’

वे आगे बताते हैं कि मात्र 6 महीने के अल्प समय में वे करीब 3000 उपभोक्ताओं को अपने साथ जोड़ने में सफल रहे हैं और वर्तमान में प्रतिदिन करीब 45 उपभोक्ता उनकी इस सेवा का लाभ उठा रहेे हैं। वे अपने इस उद्यम को इकलौते ऐसे मंच के रूप में पाते हैं जो अपने उपभोक्ताओं को फलों, सब्जियों, पौधों, दवाओं और किराने के सामान से संबंधित तमाम सुविधाएं उपलब्ध करवा रहा है।

वे अपने इस मंच में अबतक तकरीबन 7 से 8 लाख रुपये का निवेश कर चुके हैं। सूरी बताते हैं कि वे प्रतिदिन करीब 20 हजार रुपये का व्यापार करने में सफल हो रहे हैं। ‘‘उपभोक्ताओं को अपनी ओर आकर्षित करने के लिये हम कागज के पर्चों और मुंहजुबानी प्रचार पर निर्भर कर रहे हैं और अबतक उनके ये तरीके काफी कारगर साबित हुए हैं।’’

वर्ष 2015 के नवंबर महीने में उपभोक्ताओं की मांग पर उनके इस मंच ने विभिन्न उपभोक्ताओं के लिये नए प्रकार की छूट देनी भी प्रारंभ की है। ‘‘तब तक हमनें अपने उपभोक्ताओं को किसी भी प्रकार की छूट इत्यादि देने के बारे में विचार तक नहीं किया था। हालांकि, हमनें सोच-विचार करने का फैसला किया और अगले एक सप्ताह के भीतर एक मालिकाना एल्गोरिद्म तैयार करते हुए 22 विभिन्न श्रेणियों को चिन्हांकित किया और विभिन्न उपभोक्ताओं को विविध अंतिम कीमत देनी प्रारंभ की।’’

वे आगे कहते हैं कि यह एक ऐसी विघटननकारी एल्गोरिद्म साबित होगी जो बी2सी सेगमेंट में बेहद क्रांतिकारी बदलाव लाने में कामयाब रहेगी। इस विधि को अपनाने के बाद उनके इस मंच पर दोबारा सामान लेने आने वाले उपभोक्ताओं की संख्या में 74 प्रतिशत तक की बढ़त हुई है और यह आंकड़ा दिन-प्रतिदिन बढ़ ही रहा है।

योग्यतम की उत्तरजीविता

भारतीय खुदरा बाजार में किराने का सामान कुल बाजार मूल्य की 60 प्रतिशत से भी अधिक की हिस्सेदारी रखता है क्योंकि भोजन यहां की एक मुख्य आवश्यकता है। सलाहकार कंपनी टेक्नोपार्क के एक अध्ययन के अनुसार वर्तमान में भारत में खाद्य और किराना उद्योग 383 बिलियन डाॅलर से भी अधिक का है और वर्ष 2020 तक इसके 1 ट्रिलियन डाॅलर के आंकड़े को पार कर जाने की उम्मीद है

बिग बास्केट, जाॅपनाऊ, ग्रोफर्स, पेपरटेप, जुगने इस क्षेत्र कुछ अगुवा प्रतिस्पर्धियों में एक कुछ चुनिंदा नाम हैं। भारत के शीर्ष पांच आॅनलाइन किराना स्टार्टअप 173.5 मिलियन डाॅलर का निवेश पाने में सफल रहे हैं जिसमें से 120 मिलियन डाॅलर का निवेश तो इसी वर्ष हुआ है। बिग बास्केट और ग्रोफर्स क्रमशः 85.8 मिलियन और 54.5 मिलियन डाॅलर का निवेश पाने में सफल रहे हैं।

जब इन दिग्गजों सेमिलने वाली प्रतिस्पर्धा के बारे में पूछा गया तो सुनील का कहना था कि इस क्षेत्र में सक्रिय अन्य खिलाड़ी व्यवसाय को संचालित करने के लिये निवेशकों से मिले हुए पैसे को बहुत अधिक मात्रा में खर्च कर रहे हैं। हालांकि वे बिना अधिक पैसा खचर्च किये और नुकसान उठाए अपना व्यवसाय सफलतापूर्वक संचालित करने में सफल हो रहे हैं। उनका कहना है कि वे जनवरी 2016 तक ब्रेक-ईवन बिंदु को पाने में सफल होंगे।

सुनील कहते हैं, ‘‘हम एक ऐसे व्यापार माॅडल का पालन कर रहे हैं जो हमारे व्यसाय का समर्थन करता है। हम उतपादों को अगले दिन उपभोक्ता तक पहुंचाते हैं। उसी दिनन डिलीवरी करने के लिये हम अपने उपभोक्ताओं से प्रति आॅर्डर 45 रुपये अतिरिक्त लेते हैं।’’

हाल के और भविष्य के घटनाक्रम

हाल ही में इस मंच ने कई ऐसे छोटे और मझोले किराना दुकानदारों के साथ भागीदारी की है जो अपने उपभोक्ताओं को विविध प्रकार की छूट इत्यादि प्रदान करते हैं और बहुत जल्द ही ये दुकानदार फलफूलडाॅटकाॅम के माध्यम से अपनेे उत्पादों को बेचना प्रारंभ करेंगे। संभावित उपभोक्ता अपने नजदीकी क्षेत्र में मिलने वाली छूट इत्याति के बारे में जानकारी ले सकते हैं। हालाकि वर्तमान में ये केवल द्वारका में काम कर रहे हैं।

कुछ दिन पूर्व ही फलफल ने रेसिपी साझा करने वाले एक खंड का प्रारंभ किया है। इसके माध्यम से रसोईये या फिर खानसामें या ग्रहणियां दूसरों के साथ अपने व्यंजन बनाने की विधि साझा करके दूसरों को स्वस्थ रहने में मदद कर सकते हैं।

इसके अलावा इनका इरादा जून 2016 तक अपने व्यापार का विस्तार दिल्ली, नोएडा और गुड़गांव तक करने का है। सुनील कहते हैं, ‘‘इसके अलावा अब वह समय आ गया है जब हमें मेन्यू प्लानर में बदलाव करते हुए इसे दोबारा नए सिरे से सामने लाना है क्योंकि अब हमारे पास नियमित उपभोक्ता हैं और हम लगातार व्यापार कर रहे हैं। हम आने वाले कुछ महीनों में इसे एक बार दोबारा नए सिरे से सामने लाएंगे और सह कुछ ऐसा होगा जो अपने आप में बेहद खास होगा।’’