ऑर्गैनिक खेती से इस गांव के लोगों ने बदल डाला अपने जीने का अंदाज

एक सतत जीवन के लिए नई जमीन तैयार कर रहा केरल का एक गाँव...

ऑर्गैनिक खेती से इस गांव के लोगों ने बदल डाला अपने जीने का अंदाज

Monday July 09, 2018,

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एक तरफ जहां भारत में होने वाली अधिकांश फसलों के लिए उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग किया जा रहा है, वहीं केरल का एक गांव कार्बनिक खेती की ओर लौटने की स्वस्थ प्रथाओं का प्रयोग कर रहा है।

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प्रत्येक घर ने मॉडल्स के माध्यम से यह दिखाया गया कि कैसे एक जगह को साफ रखने के लिए आसानी से स्वच्छता प्रणाली अपनाई जा सकती है। इसके अलावा वहां पर पोषित की जा रही गाय की एक लुप्तप्राय प्रजाति कासरगोड कुलन के बारे में भी विस्तार से बताया गया।

केरल में कोझिकोड के पास वेंगेरी में कार्बनिक खेती को पुनर्जीवित करने की एक समुदाय की पहल, आज एक स्थायी जीवनशैली में परिवर्तित होती जा रही है। एक तरफ जहां भारत में होने वाली अधिकांश फसलों के लिए उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग किया जा रहा है, वहीं केरल का एक गांव कार्बनिक खेती की ओर लौटने की स्वस्थ प्रथाओं का प्रयोग कर रहा है। ग्रीन एक्टिविस्ट और 'निरावु' के प्रोजेक्ट डायरेक्टर बाबू परमबाथ VillageSquare.in से कहते हैं कि खेती का मूल उद्देश्य केवल उगाना और काटना नहीं है। यह हमारे जीवन चक्र को पूरा करने का प्रयास है। निरावु की इस पहल से हम यही लोगों को बताना चाहते हैं।

निरावु का अर्थ है पूर्णता। यह कार्बनिक खेती और प्रकृति-अनुकूल गतिविधियों से संबंधित एक समूह है, जिसे कोझिकोड के बाहरी इलाके में एक छोटे सा गांव वेंगेरी में 101 घरों के निवासियों ने एक समुदाय के रूप में शुरू किया था।

2006 में, केरल के तत्कालीन मुख्यमंत्री वी एस अच्युतानंदन ने राज्य के स्वर्ण जयंती वर्ष भाषण में सामाजिक कार्यकर्ताओं से केरल के विकास पर ध्यान केंद्रित करने का अनुरोध किया था। इन शब्दों को ध्यान में रखते हुए, वेंगेरी के कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पास के ही में प्रोविडेंस विमेन कॉलेज के राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) छात्रों की मदद से एक सर्वेक्षण करने की योजना बनाई।

चौंकाने वाले निष्कर्ष

इसके बाद 100 छात्रों की मदद से 1824 घरों का सर्वेक्षण किया गया। सर्वेक्षण में कई लोग गंभीर बीमारियों से पीड़ित मिले, इनमें सात कैंसर रोगी भी थे। 12 साल पहले वेंगेरी जैसे कम प्रदूषित गांव में यह आंकड़ा काफी डराने वाला था। सात में से पांच कैंसर रोगी महिलाएं थीं, पड़ताल में सामने आया कि धूम्रपान और मद्यपान के अलावा प्लास्टिक कचरा, चावल और सब्जियों में रासायनिक कीटनाशकों की उपस्थिति भी इस कैंसर का कारण हैं।

कभी कृषि आधारित रहने वाले वेंगेरी में धीरे धीरे लोग अन्य व्यवसायों की तरफ बढ़ गए थे। गांव के निवासियों से बात करने पर सामने आया कि खेती में रुचि कम हुई और गांव में कचरे के ढ़ेर बढ़ने लगा। सर्वे कर रही टीम को लगभग हर घर के पीछे मिले कचरे के ढ़ेर ने चौंका दिया और इस तरह यहां की असली तस्वीर सामने आई।

बड़े लक्ष्य का बीज

इसके बाद टीम ने लोगों को कचरे को दूर करने के लिए सुझाव देना शुरू किया। टीम ने उन्हें समझाया कि जैव अपशिष्ट का उपयोग खाद के रूप में करें और जो जैव अपशिष्ट न हो, उसे अलग कर लें। लोगों के सहयोग से चीजें आसान हो गईं। गैर-अपघटन योग्य अपशिष्ट को विभिन्न रीसाइक्लिंग इकाइयों को भेजा जाने लगा।

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धीरे धीरे 101 परिवार 'निरावु' नाम के बैनर तले आईं और 2009 में इसे पंजीकृत कराया। प्रत्येक परिवार ने सब्जी के अलावा चावल की खेती को दोबारा शुरू किया। खाद के लिए कीटनाशकों की जगह गोबर और जैव अपशिष्ट का इस्तेमाल किया जाने लगा।

सपने को पोषित करना

कृषि विभाग के असहयोग के बाद पुराने किसानों से पारंपरिक बीज एकत्रित किए गए। नए मजदूर लाने के बजाए लोगों ने अपने खेतों में स्वयं मेहनत की। पानी की कमी को दूर करने के लिए निरावु सदस्यों ने सार्वजनिक तालाब को साफ कर पाइप कनेक्शन की व्यवस्था की।

बीटी ब्रिन्जल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के समय निरावु ने 100,000 पारंपरिक बैंगन के पौधे पैदा करके आंदोलन में भाग लिया। बाद में इस बैंगन किस्म को वेंगी ब्रिन्जल के रूप में प्रमाणित किया गया।

कार्बनिक वार्ड

इसके परिणाम भी जल्द देखने को मिले। 2010 में, राज्य के मुख्यमंत्री ने जैविक नीति घोषित करने के लिए वेंगेरी को स्थान के रूप में चुना। इस बार निरावु ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहुंच बनाई। कई एक्टिविस्ट और समूह जो इस ओर कार्य कर रहे हैं, वेंगेरी में हो रहे इस चमत्कार को देखने आए। इसके साथ ही निरावु ने कई अनुदान और समर्थन प्राप्त किए। इससे पहले इस वार्ड को कार्बनिक वार्ड भी घोषित किया गया।

जीवन का जैविक तरीका

इसके बार निरावु ने अपने 101 सदस्य घरों को मॉडल में तब्दील कर मिडोरी नाम से एक एक्सपो जारी किया। जापानी शब्द मिडोरी का अर्थ है हरियाली। प्रत्येक घर ने मॉडल्स के माध्यम से यह दिखाया गया कि कैसे एक जगह को साफ रखने के लिए आसानी से स्वच्छता प्रणाली अपनाई जा सकती है। इसके अलावा वहां पर पोषित की जा रही गाय की एक लुप्तप्राय प्रजाति कासरगोड कुलन के बारे में भी विस्तार से बताया गया।

सभी के लिए समान छाया

निरावु ने दो साल पहले ही एक रेजिडेंट एसोसिएशन से पांच प्रमुख डिवीजनों वाली पंजीकृत कंपनी के रूप में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है। सफल कार्बनिक खेती और शून्य अपशिष्ट प्रणाली के अलावा, निर्वाण ने जल संसाधनों को बनाए रखने और वर्षा जल संचयन द्वारा जल संरक्षण के क्षेत्र में भी कार्य करना शुरू कर दिया है। इसके अलावा सौर पैनल्स, बायोगैस, एलईडी बल्ब आदि के उपयोग को प्रोत्साहित कर ऊर्जा संरक्षण भी शुरू किया गया है।

निरावु आज कई अपशिष्ट प्रबंधन कार्यक्रमों का समर्थन करता है। कालीकट अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और आईआईएम कोझिकोड इसके कुछ प्रमुख ग्राहक हैं। कई स्कूल और कॉलेज, स्थानीय निकाय और कार्यालय भी उनसे तकनीकी सहायता चाहते हैं।

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