घरेलू नुस्खों ने दी एक नयी चमक
दादी माँ के नुस्खे हो या आयुर्वेदिक उपचार हम सब उससे भली -भाती परिचित हैं. सभी घरों में छोटी मोटी स्वस्थ सम्भन्दि समस्याएं एक आम बात हैं और इन समस्याओं का हम सब के पास कुछ न कुछ घरेलू उपचार ज़रूर होता ही है. ऐसा ही कुछ श्रेया ने भी किया. श्रेया शरण को शुरू से ही आर्टिफिअल प्रोडक्ट्स व परफ्यूम आदि से एलर्जी थी और वह अक्सर अपने घरेलू नुस्खों के प्रयोग करती रहती थी. हालाँकि कुछ प्रयोग असरदार नहीं होते थे पर कुछ उनके लिए अमृत के समान साबित हुआ करते थे. धीरे उन्होंने अपने इन्हीं नुस्खों को अपने दोस्तों, सोशल मीडिया व समाज के साथ शेयर करना शुरू कर दिया. यह करते ही उनके पास लोगो की ओर से पूछताछ की कतार लग गयी. उन्हें तब एहसास हुआ की समाज व बाज़ार में प्राकृतिक स्किनकेयर उत्पादों की वास्तव में काफी जरूरत है. वे आगे कहती हैं कि बस फिर क्या था उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और पूर्ण रूप से साबुन बनाने, स्किन केयर योगों और भारत में सौंदर्य प्रसाधन उद्योग के बारे में सीखना प्रारम्भ कर दिया. अथक अनुसंधान और प्रयोग के साथ २०१० में वह खुद को त्वचा की देखभाल के उत्पादों को बनाने के बारे में अध्ययन शुरू कर चुकी थी. आज २७ साल की श्रेया ने इस भाग दौड़ भरी दुनिया में कही न कही अपने नुस्खों से अपनी पहचान बना ली है. उनके घरेलु व प्राकृतिक नुस्खों को समाज ने बेशुमार प्यार दिया व ऐसा सराहा की श्रेया की ख़ुशी का कोई ठिकाना न रहा और जो चीज़ घर में एक प्रयोग व छेडछाड के माध्यम से शुरू हुई थी २०१२ में उसने बर्स्ट ऑफ़ हैप्पीनेस का आकार ले लिया.
वे कहती हैं कि बर्स्ट ऑफ़ हैप्पीनेस के उत्पाद ग्राहक की मांग पर निर्भर करते हैं और तभी उनकी चरणों में वृद्धि हुई. वे आगे बताती हैं कि वह समय पर ग्राहकों की ज़रुरत का सर्वेक्षण कराती रहती हैं ताकि वह अपने ग्राहकों की ज़रुरत समझ सकें और उसके हिसाब से उत्पाद विकसित कर सकें.
श्रेया अपनी जीवन में कभी भी बनावटी चीजो को महत्व नही देती थी उन्हें अपने घर के बनाये हुए नुस्खे ही भाते थे तेल उनका ऐसा पदार्थ था जिन्हे वह अपने घरेलु नुस्खों में कही न कही इस्तमाल करती थी व् उन्होंने अपने प्रोडक्ट को लेकर इतनी छानबीन करी की जिससे वह अपने हर ग्राहक को खुश कर सके और उनकी त्वचा व् स्वास्थ्य से सम्वधित प्रश्नो के उत्तर बखूबी दे सके.
आर्मी परिवार में जन्मी श्रेया का बचपन अलग शहरों में गुज़रा अगर एक शहर की बात करें तो उनके लिए पुणे ही उन का घर है. श्रेया ने पुणे से अपनी बी.ऐ इकोनॉमिक्स करी और पी.जी.डी.एम. ज़ेवियर इंस्टिट्यूट से किया. सिम्बायोसिस इंस्टिट्यूट से एम.बी.ऐ. इन मार्केटिंग करते वक्त वह अपने हमसफ़र से जा मिली और शादी के बाद भी उन्होंने कहीं शहरों का दोहरा किया. वह वर्तमान में चेरी ब्लेयर महिलाओं के सलाह कार्यक्रम (छोटे व्यवसायों के साथ महिलाओं के लिए एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम) में एक मेनटी हैं और अपने व्यवसाय के सामाजिक प्रभाव को बढ़ाने के लिए श्रेया उन गरीब महिलओ को अपने केंद्र का हिस्सा बनाने का अवसर देती हैं जो कभी स्कूल न जा सकी हो. वे कहती हैं कि शुरू में उन महिलाओ का उस केंद्र में नई तकनीको को समझ पाना थोड़ा मुस्किल था लेकिन श्रेया ने उन्हें अपने तरीको से समझने का सलीका सिखाया और आज महिलाए अपना हर कार्य बखूबी सम्भाल रही है.
हर सफल व्यक्ति कि तरह श्रेया का भी यह सफर किसी मायने में आसान नहीं रहा. उनका यह सपना चुनौतियों से भरा हुआ था और ज़िंदगी के हर पड़ाव में उन्हें मुस्किलो का सामना करना पड़ा. वे बताती हैं कि उनके दोस्तों और परिवार वालो ने उनका हर कदम पर साथ दिया. उनके ग्राहक भी उनके लिए एक बहुत बड़े स्तोत्र बने. अपने अनुभव से खुश होकर ग्राहक अपने तजुर्बों को सोशल मीडिया पर बांटते थे तब श्रेया की ख़ुशी में चार चाँद लग जाते और उन्हें जीवन में आगे बढ़ने का एक नया होसला मिलता और अपनी ग्राहकों की कसौटियों पर खरा उतरने का यह जूनून उन्हें और आगे ले जाता|उनका अगला पड़ाव बच्चो के प्रोडक्ट्स का है जिन्हे वह प्राकृतिक तरीको कि बदौलत जल्द ही दुनिया के सामने लाएंगी.