Brands
YSTV
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory
search

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

Videos

ADVERTISEMENT

अपनी पहली ही फिल्म के लिए नेशनल अवॉर्ड जीतने वाली शबाना आज़मी

अपनी पहली ही फिल्म के लिए नेशनल अवॉर्ड जीतने वाली शबाना आज़मी

Wednesday September 20, 2017 , 6 min Read

पांच-पांच नेशनल अवॉर्ड प्राप्त करने वाली शबाना किसी के परिचय की मोहताज नहीं हैं। प्रयोगात्मक सिनेमा के भरण-पोषण में उनका योगदान उल्लेखनीय है। शबाना आजमी हिंदी सिनेमा की ऐसी मंझी हुई अदाकारा हैं जो खुद को हर अभिनय के अनुरूप उसी साचे ढल जातीं हैं। 

साभार: ट्विटर

साभार: ट्विटर


शबाना ने एक्ट्रेस बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए एफटीआईआई पुणे जाने का तय किया। जब उन्होंने अपना ये फैसला अपने अब्बा को बताया तो उनके अब्बा ने कहा, 'आप यद‍ि मोची भी बनना चाहें तो भी मुझे उसमें कोई ऐतराज नहीं, लेकिन आप वादा करें कि आप सबसे बेहतरीन मोची बनकर दिखाएंगी।'

नाट्य मंच के लिए काम करने के दौरान ही शबाना ने फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कुछ डिप्लोमा फिल्में देखीं। इनमें से एक फिल्म थी 'सुमन' जिसमें जया बच्चन के किरदार को देख वह काफी प्रभावित हुईं थी और इसके बाद उन्होंने फैसला किया कि वह एक्टिंग में ही अपना करियर बनाएंगी।

पांच-पांच नेशनल अवॉर्ड प्राप्त करने वाली शबाना किसी के परिचय की मोहताज नहीं हैं। प्रयोगात्मक सिनेमा के भरण-पोषण में उनका योगदान उल्लेखनीय है। शबाना आजमी हिंदी सिनेमा की ऐसी मंझी हुई अदाकारा हैं जो खुद को हर अभिनय के अनुरूप उसी साचे ढल जातीं हैं। शबाना आजमी बॉलीवुड की बेहतरीन अभिनेत्रियों में से एक हैं। या फिर यूं कह लिजीए शबाना आजमी खुद ही अभिनय की एक स्कूल हैं। उन्होंने हिंदी फिल्मों में तरह तरह के रोल अदा किये हैं। मासूम में मातृत्व की कोमल भावनाओं को जीवंत किया तो वहीं, गॉड मदर में प्रभावशाली महिला डॉन की भूमिका भी निभाकर लोगो को हैरत मे डाल दिया। भारतीय सिनेमा जगत की सक्षम अभिनेत्रियों की सूची में शबाना आजमी का नाम सबसे ऊपर आता है।

उन्होंने अपने करियर की शुरुआत थिएटर से की थी। कहा जाता है गर्ल्स स्कूल में शबाना को उनकी पर्सनैलि‍टी देखते हुए लड़कों के रोल दिए जाते थे। अपना नाट्य मंच शुरू करने के बाद जब इसे हर साल अवॉर्ड मिलने लगे तो शबाना अपने कॉलेज के प्रशासन के पास गईं और उन्होंने प्रशासन से अपने नाट्य मंच की आर्थिक सहायता के लिए बात की, लेकिन प्रशासन ने मदद के तौर पर केवल 10 रुपए दिए। इसे देख शबाना को काफी गुस्सा आ गया और उन्होंने प्रशासन को 10 रुपए लौटाते हुए कहा कि यह हमारी तरफ से कॉलेज डॉनेशन समझ कर रख लो। नाट्य मंच के लिए काम करने के दौरान ही शबाना ने फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कुछ डिप्लोमा फिल्में देखीं। इनमें से एक फिल्म थी 'सुमन' जिसमें जया बच्चन के किरदार को देख वह काफी प्रभावित हुईं थी और इसके बाद उन्होंने फैसला किया कि वह एक्टिंग में ही अपना करियर बनाएंगी।

एक फिल्म में शबाना आजमी

एक फिल्म में शबाना आजमी


एक महान विरासत की होनहार मशालवाहक-

शबाना ने एक्ट्रेस बनने के अपने सपने को पूरा करने के लिए एफटीआईआई पुणे जाने का तय किया। जब उन्होंने अपना ये फैसला अपने अब्बा को बताया तो उनके अब्बा ने कहा, 'आप यद‍ि मोची भी बनना चाहें तो भी मुझे उसमें कोई ऐतराज नहीं, लेकिन आप वादा करें कि आप सबसे बेहतरीन मोची बनकर दिखाएंगी।' इसके बाद शबाना को जल्द ही एफटीआईआई से बैस्ट स्टूडैंट की स्कॉलरश‍िप मिल गई। शबाना ने स्टूडैंट रहते ही दो फिल्में साइन कर ली थीं। इनमें एक थी ख्वाजा अहमद अब्बास की फासला और दूसरी कांतिलाल राठौर की पर‍िणय। कोर्स खत्म होते ही उन्होंने इसकी शूटिंग शुरू कर दी थी।

शबाना आजमी को बेहतरीन एक्टिंग के लिए 5 बार बेस्ट एक्ट्रेस के तौर पर नैशनल अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है और नेशनल अवॉर्ड दिलवाने वाली फिल्में थीं, अंकुर(1975), अर्थ (1983), खंडहर(1984), पार(1985) और गॉडमदर (1999) थी। शबाना आजमी को भारत सरकार की तरफ से 1988 में 'पद्मश्री' और 2012 में 'पद्म भूषण' सम्मान दिया गया। शबाना 120 से अधिक हिंदी और बंगाली फिल्में कर चुकी हैं। शाबना को पांच बार नेशनल अवॉर्ड दिया जा चुका है। शबाना आजमी को लगातार तीन साल 1983 से 1985 तक फिल्म 'अर्थ', 'कंधार' और 'पार' के लिए नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। इसके बाद शबाना को फिल्म 'गॉडमदर' के लिए 1999 में भी नेशनल अवॉर्ड मिला। 

जब सिनेमा को मिला शबाना नाम का हीरा-

18 सितंबर 1950 को शायर व गीतकार कैफ़ी आज़मी और थिएटर अभिनेत्री शौकत आज़मी के घर के घर जन्मी शबाना आज़मी ने जब जया बच्चन की फिल्म सुमन देखी, उन्होंने तब तय कर लिया था कि उन्हें अभिनेत्री बनना है। हालांकि वो थिएटर्स करती थीं। कॉलेज में उन्होंने अपने सीनियर फारुख शेख के साथ मिलकर हिंदी प्ले के लिए मंच भी बनवाया था। कॉलेज की तरफ से उन्हें इसके लिए पैसे नहीं मिलते थे, फिर भी ऐक्टिंग के प्रति शबाना की दीवानगी ने इस मंच को जीवित रखा और उन्होंने और उनके दोस्तों ने मिलकर पैसे लगाए। 

फिल्म 'मैं आजाद हूं' की शूटिंग के वक्त राजकोट में शबाना और अमिताभ

फिल्म 'मैं आजाद हूं' की शूटिंग के वक्त राजकोट में शबाना और अमिताभ


एफटीआईआई में उन्होंने एडमिशन लिया और उन्हें वहां बेस्ट स्टूडेंट की स्कॉलरश‍िप भी मिल गई। शबाना को उनकी पहली ही फिल्म अंकुर के लिए नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। निशांत, स्पर्श, मंडी, मासूम, पेस्टन जी, अमर अकबर एंथोनी, परवरिश, मैं आजाद हूं जैसी लगभग 120 हिंदी और बंगाली फिल्मों में बेहतरीन अभिनय की मिसाल कायम की है शबाना आजमी ने। फिल्म नीरजा में भी उनके अभिनय की सराहना हुई थी। 

सहृदय महिला और मुखर राजनेता-

उन्होंने सकारात्मक भूमिकाओं से लेकर नकारात्मक भूमिकाएं बखूबी पर्दे पर चित्रित की। शबाना की गिनती ऐसी अभिनेत्रियों में शुमार है, जिन्होंने अपनी खूबसूरती और अभिनय से सभी को अपना दीवाना बना दिया। उन्हें फिल्मों में उनकी अलग-अलग भूमिकाओं को सराहा गया। रोमांटिक किरदार हो या नाकारात्मक भूमिका सभी को उन्होंने बेहतरी से जिया। हाल ही में उन्होंने ‘नीरजा’, ‘चॉक एंड डस्टर’, ‘जज्बा’ जैसी फिल्मों में काम किया है। 

शबाना सामाजिक कार्यो में भी बढ़-चढ़ कर भाग लेती रही हैं। इसके अलावा उन्हें सेल्फी लेने में जरा रुचि नहीं है। कार्यक्रमों में वह इस तरह के कृत्यों से दूर ही रहती हैं। उन्होंने अब तक के अपने फिल्मी करियर में अपने हर चुनौतीपूर्ण भूमिकाओं को शानदार तरीके से पर्दे पर पेश किया है। फिलहाल अब वह धारवाहिकों में अपने अभिनय का सिक्का मनवाने जा रही हैं। शबाना आजमी जी टीवी के धारावाहिक ‘एक मां जो लाखों के लिए बन गई अम्मा’ में जीनत का किरदार निभाते दिखाई देंगी। शबाना आजमी 1997 में राज्यसभा की सदस्य भी चुनी गई थीं। देश-दुनिया में चलने वाले तमाम मसलों पर वो बेबाकी से अपनी राय रखती हैं।

ये भी पढ़ें: सौंदर्य और अभिनय की वो मल्लिका जिन्हें कभी भद्दी नाक वाली कहकर रिजेक्ट कर दिया गया था