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पायलट परिवार: दादा से लेकर मां-बाप और उनके बच्चे भी उड़ाते हैं प्लेन

पायलट परिवार: दादा से लेकर मां-बाप और उनके बच्चे भी उड़ाते हैं प्लेन

Monday August 14, 2017 , 3 min Read

विमान उड़ाने जैसा पेशे में कम ही लोग होते हैं जिनकी आने वाली पीढ़ियां उसी पेशे में आगे बढ़ने का फैसला करते हैं। ऐसी ही दिल्ली की एक भसीन फैमिली है जो इसी पेशे में अपना करियर आगे बढ़ा रही है। 

भसीन परिवार

भसीन परिवार


दिल्ली की भसीन फैमिली को 3 पीढ़ियों से विमान उड़ाने का गौरव हासिल हुआ है। इस परिवार के 5 सदस्य (पहले दादा, फिर माता-पिता और अब दोनों बच्चे) 100 साल से विमान उड़ा रहे हैं।

इस परिवार के दादा और अग्रणी रहे कैप्टन जयदेव भसीन देश के उन सात पायलटों में एक थे जो 1954 में कमांडर बने थे। उनकी बहू निवेदिता जैन और उनके पति कैप्टन रोहित भसीन को दो युवा कमांडरों - रोहन और निहारिका भसीन का माता-पिता होने का गर्व है।

ऐसे कई परिवार होते हैं जो अपने पुश्तैनी पेशे को ही अपना लेते हैं और उनकी आने वाली पीढ़ियां भी उसी पेशे में रम जाती हैं। बिजनेस, वकालत, डॉक्टरी ऐसे ही कुछ पेशे हैं। लेकिन विमान उड़ाने जैसा पेशे में कम ही लोग होते हैं जिनकी आने वाली पीढ़ियां उसी पेशे में आगे बढ़ने का फैसला करते हैं। ऐसी ही दिल्ली की एक भसीन फैमिली है जो इसी पेशे में अपना करियर आगे बढ़ा रही है। दिल्ली की भसीन फैमिली को 3 पीढ़ियों से विमान उड़ाने का गौरव हासिल हुआ है। इस परिवार के 5 सदस्य (पहले दादा, फिर माता-पिता और अब दोनों बच्चे) 100 साल से विमान उड़ा रहे हैं।

चमकदार सफेद कमीज, ऊंची टोपी, फ्लाइट बैग, कंधे पर चार पट्टियां और उड़ान भरने का जुनून... ये सब अनोखे भसीन परिवार की तीन पीढ़ियों की पहचान बन चुकी है। इस परिवार के पांच सदस्यों - माता-पिता, दो बच्चों और दिवंगत दादा को सौ साल उड़ान भरने का अनुभव है। इस परिवार के दादा और अग्रणी रहे कैप्टन जयदेव भसीन देश के उन सात पायलटों में एक थे जो 1954 में कमांडर बने थे। उनकी बहू निवेदिता जैन और उनके पति कैप्टन रोहित भसीन को दो युवा कमांडरों - रोहन और निहारिका भसीन का माता-पिता होने का गर्व है।

54 वर्षीय निवेदिता महज 20 साल की थीं जब उन्हें पायलट के तौर पर नियुक्ति पत्र मिला। छब्बीस साल की उम्र में उन्हें बोइंग 737 पर कमान मिली और वह दुनिया में जेट विमान की सबसे कम उम्र की महिला कैप्टन बनीं।

बेटी निहारिका (26) कहती हैं, 'जब मां काम पर जाने के लिए तैयार होती थीं, मैं उन्हें निहारती थी और एक दिन वाकई उनकी तरह ड्रेस में दिखना चाहती थी।' निहारिका ने अपना जीवनसाथी भी एक पायलट को चुना है। पिता के मुताबिक, हम महीने में पांच-छह दिन साथ गुजार पाते हैं। बच्चों को एक्स्ट्रा फ्यूल रखने, खराब मौसम में लैंड न करने की नसीहत देते हैं। भसीन दंपती ने साथ-साथ उड़ान नहीं भरी है मगर पिता-पुत्र ऐसा कम से कम 10 बार कर चुके हैं।

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