IIM ग्रैजुएट ने डेयरी उद्योग शुरू करने के लिए छोड़ दी कारपोरेट कंपनी की नौकरी
सपना यदि अपना बिज़नेस शुरू करने का है, तो आपको लॉजिकल माइंड से सोचना होगा। लॉजिकल माइंड कहेगा कि सबसे पहले पूंजी होनी चाहिए। फिर दिमाग में सवाल आएगा, कितनी पूंजी? फिर प्रश्न उठेगा, पूंजी का इस्तेमाल कैसे हो? और यहां से शुरुआत होती है बिज़नेस शुरू करने वाली तकनीकी जानकारियों की और उन्हीं तकनीकी जानकारियों को इकट्ठा कर कारपोरेट कंपनी में कार्यरत राजस्थान की अंकिता कुमावत ने शुरू कर दिया एक ऐसा डेयरी उद्योग कि उनकी गिनती होने लगी राज्य के कामयाब उत्पादकों में।
कारपोरेट सेक्टर की व्हाइट कॉलर जॉब और आरामदेह जीवन छोड़ना अंकिता के लिए आसान तो नहीं था, लेकिन उन्होंने ये रिस्क लिया और आज हर महीने लाखों कमाने के साथ-साथ कईयों को दे रही हैं रोजगार।
अंकिता के पिता भी सरकारी इंजीनियर रहे हैं। जब उन्होंने डेयरी के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाने के विषय में सोचना शुरू किया तो सबसे पहले उनके सामने पूंजी का प्रश्न खड़ा हुआ। मददगार के रूप में उन्हें अपने पिता ही नजर आए। बात आगे बढ़ी। पिता ने सहयोग के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर सेवा से मिली कुछ राशि डेयरी में भी लगा दी।
बिज़नेस में भी बेहतर काम की शुरुआत किसी भी वक्त की जा सकती है। एक बिजनेस मैन/वुमन की तरह सोचने के कई तरीके होते हैं। हमारे दिमाग के तीन हिस्से होते हैं कॉन्शस माइंड, सब कॉन्शस माइंड और लॉजिकल माइंड। जब हम अपने पैरों पर खड़े होने के लिए सोचना शुरू करते हैं, तो कॉन्शस माइंड लॉजिक पर काम करता है। वह हर चीज़ को तर्क की कसौटी पर रख कर देखता है। वही सब कॉन्शस माइंड फीलिंग्स पर भी काम करता है। मान लीजिए, आपका सपना अपना बिज़नेस शुरू करना है, तो आपको लॉजिकल माइंड से सोचना होगा। लॉजिकल माइंड कहेगा कि सबसे पहले पूंजी होनी चाहिए। फिर दिमाग में सवाल आएगा, कितनी पूंजी? फिर प्रश्न उठेगा, उसका कैसे इस्तेमाल करना होगा? यहां से उस बिजनेस की तकनीकी जानकारियां प्राप्त करने की शुरू होती है। इसी तरह की शुरुआत कर राजस्थान की अंकिता कुमावत आज राज्य के कामयाब डेयरी उत्पादकों में गिनी जाती हैं।
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अंकिता कुमावत भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) कोलकाता से पोस्ट ग्रेजुएट हैं। इन दिनों वह अपने पैतृक गांव में मातृत्व डेयरी और आर्गेनिक फूड कंपनी चला रही हैं। इससे पहले वह कॉर्पोरेट कंपनी की अच्छे पैकेज वाली नौकरी करती थीं, जिसे अपना उद्योग शुरू करने के लिए छोड़ दिया। अंकिता के पिता भी सरकारी इंजीनियर रहे हैं। जब उन्होंने डेयरी के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाने के विषय में सोचना शुरू किया तो सबसे पहले उनके सामने पूंजी का प्रश्न खड़ा हुआ।
मददगार के रूप में उन्हें अपने पिता ही नजर आए। बात आगे बढ़ी। पिता ने सहयोग के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर सेवा से मिली कुछ राशि डेयरी में भी लगा दी। वह बताती हैं, कि अपना प्रोडक्ट पहले वह काउंटर से बेचती थीं और आगे चलकर होम डिलीवरी करने लगीं। अब अंकिता सिर्फ डेयरी प्रोडक्ट ही नहीं, बल्कि अॉरगेनिक फल, सब्जी, मसाला, शहद आदि भी अपने ग्राहकों तक पहुंचा रही हैं। शुरु के दिनो में अच्छी कमाई नहीं हो रही थी। बाद के दिनो में हालात सुधरने लगे।
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अपने पिता के साथ अंकिता सिर्फ डेयरी एवं अन्य तरह के प्रोडक्ट ही नहीं बेंच रही हैं, बल्कि मिलावटखोरी के खिलाफ भी उनकी पहल बेमिसाल है। सबसे अच्छी बात है कि उनके इलाके और आसपास के लोग शुद्ध सामानों के लिए उनके ही ठिकाने पर पहुंचते हैं।
यह अक्सर देखा गया है कि सफलता से मिली चीजें अक्सर खत्म हो जाती हैं या पुरानी हो जाती हैं या उसका मज़ा खत्म होने लगता है, लेकिन उसे पाने के लिए जिन कलाओं को आपने सीखा होता है वह कलाएं कभी खत्म नहीं होतीं। फेमस मोटिवेशनल फिलॉस्फर जिम रॉन कहते हैं, कि "आपको अपने लक्ष्य इतने बड़े बनाने चाहिए कि उस लक्ष्य को प्राप्त करने के दौरान आप महान बन जाएं।" जब भी आप कोई बड़ा लक्ष्य लेते हैं, तो इस बात का ध्यान रखें कि उससे दूसरों को बहुत ज्यादा फायदा हो। लोग भी ऐसी चीजों का हिस्सा बनना चाहते हैं, जिससे समाज को फायदा पहुंच रहा हो। अपने लक्ष्य को छोटे-छोटे हिस्सों में बांट दें। शुरू से ही लक्ष्य इतने छोटे होने चाहिए कि आप उसे पूरा करने के लिए लगने वाले पैसे और वक्त का अंदाजा लगा सके। अंकिता ने अपने कारोबार को इसी तरह से रफ्तार दी है। वो इसका सशक्त उदाहरण हैं।
अंकिता कहती हैं, कि "ऐसा कोई काम नहीं, जिसे महिलाएं नहीं आज़मा सकती हैं। इस दिशा में कामयाबी के ढेर सारे नतीजे सामने भी आते रहते हैं। आज मैं अपनी मेहनत और लगन से अपने बेहतर भविष्य को रच रही हूं।"
आज की जनरेशन अपनी ज़िंदगी में कुछ अलग करना पसंद करती है। कॉर्पोरेट सेक्टर में वाइट कॉलर जॉब और आरामदेह जीवन छोड़ना अंकिता के लिए भी आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने रिस्क लिया और अपनी मेहनत और लगन के बल पर लाखों कमाने लगीं। अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए उन्हें किसी के सामने हाथ फैलाने की ज़रूरत नहीं पड़ती। अपने डेयरी/अॉरगेनिक उद्योग को बेहतर से बेहतरीन बनाने के साथ-साथ अंकिता कई लोगों को इस काबिल भी बना रही हैं, जो अपनी ज़रूरतों को अपनी कमाई से पूरा कर सकें, यानि की कईयों को रोज़गार भी दे रही हैं।