खूबसूरती दोबारा लौटा देती हैं डॉ.रुचिका मिश्रा
त्वचा की समस्या से जूझ रहे पीड़ितों, दुखियारों के लिए जयपुर की डॉ.रुचिका मिश्रा का हुनर ईश्वर के वरदान से कम नहीं...
चेहरे की खूबसूरती बरकरार रखने और उसकी साफ-सफाई के लिए लोग तमाम तरह के कृत्रिम उपाय अपनाते हैं। उन उपायों से फायदा भी होता है, लेकिन तभी तक जब तक कि आप उसे अपना रहे हों और कुछ महीनों बाद ही चेहरे पर दूसरी नई समस्याएं छा जाती हैं। ऐसे पीड़ितों, दुखियारों और ज़रूरतमंदों के लिए जयपुर की डॉ.रुचिका मिश्रा का हुनर ईश्वर के वरदान से कम नहीं...
त्वचा संबंधी बीमारी से किसी की सूरत बिगड़ चुकी हो या किसी हादसे में कोई अंग-भंग हो चुका हो, डॉ.रुचिका मिश्रा अपने हुनर से बेहतर चिकित्सा देकर उसका भविष्य खुशियों से भर देती हैं। कैंसर सरवाइवर या दुर्घटना का शिकार हो या हादसे में अपना सुंदर चेहरा खो चुका कोई व्यक्ति, डॉ. मिश्रा उसके लिए किसी नियामत से कम नहीं हैं। वह बताती हैं कि मैक्सिलोफेशियल एक बेहतर ऑप्शन है। बिना किसी ऑपरेशन के सिर्फ दो-तीन बार की सिटिंग में कोई भी डेमेज ऑर्गेंस के बदले एक बेहतर ऑप्शन पा सकता है।
कोई नहीं चाहता कि उसके चेहरे की खूबसूरती खो जाए। जिसके साथ ऐसी कोई अनहोनी होती है, अपने मन की पीड़ा वही भोगता और जानता है। यहां तक कि चेहरे पर काले दाग-धब्बे भी सुंदरता विकृत कर देते हैं और इससे खासतौर से महिलाएं अपने फ्रेंड सर्किल में हीन भावना महसूस करती हैं। लोग चेहरे को साफ करने के लिए तमाम तरह के कृत्रिम उपाय अपनाते हैं। इनसे फायदा तो होता है लेकिन कुछ महीनों बाद उनके चेहरे पर यह समस्या फिर से छा जाती है। ऐसे पीड़ितों, दुखियारों के लिए जयपुर की डॉ.रुचिका मिश्रा का हुनर ईश्वर के वरदान से कम नहीं होता है। अपने चिकित्सा प्रयोगों से वह बदसूरत चेहरे की खूबसूरती दोबारा लौटा देती हैं।
डॉ. रुचिका मिश्रा राजस्थान यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट और राजीव गांधी यूनिवर्सिटी से उच्च शिक्षा प्राप्त हैं। साथ ही इंटरनेशनल कांग्रेस ऑफ इंप्लेंटोलॉजिस्ट हैं। राजस्थान डेंटल कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.मिश्रा वर्तमान में जयपुर में प्रेक्टिस करती हैं। आर्टिफिशल बॉडी पार्ट्स में सुपरस्पेशिलिटी रखने वाली डॉ. मिश्रा राजस्थान में अपनी तरह का पहला ऐसा सेंटर चला रही हैं, जहां हादसे में अपने अंग-प्रत्यंग खो चुके लोगों को उनकी खोई शक्ल-सूरत लौटा देने की वह योग्यता रखती हैं। किसी त्वचा संबंधी बीमारी से किसी की सूरत बिगड़ चुकी हो या किसी हादसे में किसी का अंग-भंग हो चुका हो, डॉ.मिश्रा अपने हुनर से बेहतर चिकित्सा देकर उसका भविष्य खुशियों से भर देती हैं। कोई कैंसर सरवाइवर हो या हादसे में अपना सुंदर चेहरा खो चुका कोई व्यक्ति, डॉ. मिश्रा उसके लिए किसी नियामत से कम नहीं हैं।
ये भी पढ़ें,
74 वर्षीय स्नेहलता पेंशन के पैसों से चलाती हैं गरीब बच्चों का एक अनोखा स्कूल
बेशक कैंसर का इलाज अब संभव है, लेकिन लंबे इलाज और थैरेपीज में स्किन कई बार डेमेज हो जाती है। खासकर गले की स्किन। कैंसर में फेस का शेप भी बदल जाता है, लेकिन अगर एक्सीडेंट या किसी बीमारी की वजह से डेमेज हुई स्किन फिर से अपना पुराना रूप हासिल कर ले तो पेशेंट का कॉन्फिडेंस भी लौट आता है।
लोगों के लिए यह कुबूल करना आसान नहीं होता कि उन्हें कैंसर हो गया, लेकिन जब वह अपनी बीमारी से उबर जाते हैं, तो एक और जंग खुद से ही लड़ने लगते हैं। डेमेज हुए अंगों के साथ अवेयरनेस की कमी के कारण वे जी भी लेते हैं। ऐसे में मैक्सिलोफेशियल एक बेहतर ऑप्शन है। जहां बिना किसी ऑपरेशन के सिर्फ दो-तीन बार की सिटिंग में अपने डेमेज ऑर्गेंस के बदले एक बेहतर ऑप्शन पा सकते हैं।जयपुर प्रोस्थोडोंटिस्ट सेंटर की डायरेक्टर डॉ. रुचिका मिश्रा बताती हैं, कि इस सेंटर में डेमेज हुई स्किन और ऑर्गेन के लिए मेडिकल ग्रेड सिलिकॉन का प्रयोग किया जाता है। इसके जरिए आर्टिफिशियल कान, नाक, अंगुली, हाथ और पैर की सुविधा पेशेंट्स को मिलती है। वह बताती हैं कि अब तक डेमेज हुए ऑर्गेन के सॉल्यूशन के लिए जयपुर में किसी तरह की सुविधा नहीं थी। हां, पुणे और बेंगलुरु में इस तरह के कई सेंटर्स हैं।
ऐसी भी सूचनाएं हैं कि अमेरिका एलन मीडोज प्रोस्थेटिक हैंड फाउण्डेशन ऐसे कृत्रिम हाथ उपलब्ध करा रहा है, जिन्हें शरीर से आसानी से पृथक किया जा सकता है। ये कृत्रिम हाथ मजबूत और बहुत टिकाऊ होते हैं। लगभग चार सौ ग्राम वजन वाले इन कृत्रिम हाथों से न केवल दस से बारह किलोग्राम तक का वजन उठाया जा सकता है, वरन हाथ में विशेष रूप से तैयार की गई दो अंगुलियों को हिलाया जा सकता है, जबकि शेष तीन अंगुलिया स्थायी रहती हैं, ताकि हिलने वाली अंगुली से आवश्यक काम किये जा सकें।