गांवों से पलायन रोकने के लिए 50 दिन का अतिरिक्त रोजगार देने वाला पहला राज्य बना छत्तीसगढ़
सौ की जगह 150 दिन का रोजगार देकर चार लाख 70 हजार परिवारों को दी राहत
यह लेख छत्तीसगढ़ स्टोरी सीरीज़ का हिस्सा है...
गांवों में पानी की समस्या और सिंचाई के बेहतर प्रबंध के लिए मनरेगा के तहत ही जल संवर्धन एवं संरक्षण के कार्य किए गए। पिछले 11 वर्षों में 21 हजार 37 नए तालाब बनाए गए और 56 हजार 397 तालाबों का जीर्णोद्धार कराया गया।
प्रदेश के सात ग्राम पंचायत जिनमें दुर्ग के मचांदुर, डौंडी के खैरवाही, राजनांदगांव छुईखदान के गातापार, बालोद डौंडी लोहारा के खुरथुली, रायपुर आरंग के फरफाैद, बलरामपुर के पोढ़ी और दुर्ग पाटन के टेमरी को भी इनाम मिला।
गरीब किसानों को गांव में ही रोजगार देने की नीयत से शुरू की गई महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना में सौ दिन काम देने का प्रावधान था। सरकार ने इसमें 50 दिन अतिरिक्त जोड़े और इसका खर्च खुद वहन कर रही है। पिछले पांच सालों में लगभग चार लाख 70 हजार परिवारों को इसका फायदा मिला है। इसके लिए 279.55 करोड़ रुपए खर्च किए गए। यही नहीं गर्भवती महिला श्रमिकों को मातृत्व अवकाश भत्ता भी दिया जा रहा है। इस तरह सरकार ने ग्रामीण महिलाओं की पीड़ा समझी और विभाग के जरिए इसका समाधान निकाला।
गांवों में पानी की समस्या और सिंचाई के बेहतर प्रबंध के लिए मनरेगा के तहत ही जल संवर्धन एवं संरक्षण के कार्य किए गए। पिछले 11 वर्षों में 21 हजार 37 नए तालाब बनाए गए और 56 हजार 397 तालाबों का जीर्णोद्धार कराया गया। इसी तरह 3369 चेक डेम, 81 एनीकट, 1278 तटबंध, 2637 स्टाप डेम आदि का निर्माण करया गया। सिंचाई के लिए नहर-नालियां भी बनवाई गईं ताकि खेतों तक पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। दुर्बल वर्ग की निजी जमीन पर डबरी, भूमि सुधार, कुआं, बकरी शेड और नाडेप टंकी आदि जैसे काम भी हुए।
इस योजना के तहत ही राजीव गांधी सेवा केंद्र, आंगनबाड़ी भवन, पंचायत भवन, खेल मैदान, मिनी स्टेडियम आदि भी बनाए गए। कुल मिलाकर गांव के विकास में इस योजना की खासी भूमिका रही। इसीलिए तो प्रदेश में बेहतर क्रियान्वयन के लिए केंद्र सरकार ने 11 जिलों पुरुस्कृत किया। इसमें कोरिया, बिलासपुर, रायपुर, जगदलपुर, सरगुजा, कांकेर, राजनांदगांव, नारायणपुर, दंतेवाड़ा, धमतरी और सुकमा को उत्कृष्ठ क्रियान्वयन पुरस्कार दिए गए। प्रदेश के सात ग्राम पंचायत जिनमें दुर्ग के मचांदुर, डौंडी के खैरवाही, राजनांदगांव छुईखदान के गातापार, बालोद डौंडी लोहारा के खुरथुली, रायपुर आरंग के फरफाैद, बलरामपुर के पोढ़ी और दुर्ग पाटन के टेमरी को भी इनाम मिला।
ये तो थी मनरेगा की बात। इसे छोड़कर गांव के विकास पर केंद्रित कई योजनाएं संचालित की गईं। जैसे गांवों के बीच सड़कों का जाल बिछाने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के साथ मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना भी लागू की गई। पीएमजीएसवाय के तहत 14 वर्षों में 10 हजार 664 करोड़ खर्च कर 30 हजार 257 किमी की छह हजार 657 बनाई गईं और इससे आठ हजार 684 बसाहटों को लाभ हुआ। ठीक ऐसे ही सीएमजीएसवाय के तहत 250 से अधिक आबादी वाली बसाहटों को जोड़ा गया। वहीं मुख्यमंत्री ग्राम गौरवपथ योजना के अंतर्गत 877 करोड़ की लागत से छह हजार 193 सड़कों का निर्माण किया गया। काम दिया, सिंचाई की व्यवस्था की, गांव तक पहुंचने के लिए रास्ता बना दिया।
अब बारी थी सिर पर छत देने की। इसके लिए प्रधानमंत्री आवास योजना लागू की गई ताकि गांव के गरीब काे उसका अपना घर दिया जा सके। योजना के तहत 2016-17 में दो लाख छह हजार 372 और 2018-19 में एक लाख 84 हजार 546 मकान बनाने का लक्ष्य रखा गया। इसमें से 2017-18 तक एक लाख 33 हजार 731 पक्के मकान बनाए जा चुके हैं। सामान्य जिलों के लिए आवास निर्माण इकाई लागत एक लाख 20 हजार और अनुसूचित जिलों के लिए इकाई लागत एक लाख 30 हजार रुपए है। गांवों को सीधे विकास से जोड़ने और रहन-सहन में तब्दीली के लिए सांसद आदर्श ग्राम योजना के जरिए कई अन्य काम भी हुए। गांवों में स्वच्छता के प्रति जागरूकता लाने के लिए स्वच्छ भारत मिशन छत्तीसगढ़ भी संचालित किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में अस्वच्छता की सामाजिक बुराई को दूर करने के लिए दो अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन का शुभारंभ किया। इसके बाद मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ को अक्टूबर 2018 तक स्वच्छ राज्य बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
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