75 Years Of Independence: रुपये-सोने से पेट्रोल के दाम तक, जानिए 75 सालों में हमने क्या खोया क्या पाया
आजादी के 75 साल पूरे हो गए हैं. इन सालों में हमने बहुत कुछ पाया है तो काफी कुछ खोया भी है. आइए जानते हैं इन 75 सालों में क्या-क्या बदला.
आज भारत को आजाद हुए 75 साल पूरे (75 years of Independence) हो गए हैं. इन 75 सालों में भारत ने कई तरह के दौर देखे. तमाम उतार-चढ़ाव के साथ हमने कभी बड़ी-बड़ी उपलब्धियां हासिल कीं तो कभी टेंशन देने वाले आंकड़े देखे. इस वक्त देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. ऐसे में बहुत से लोग ये भी जानना चाहते होंगे कि आखिर इन 75 सालों में हमने क्या पाया और क्या खोया. यानी आजादी मिलने के बाद इन 75 सालों में हम कहां से कहां पहुंच गए. आइए देखते हैं इसकी एक झलक.
34 करोड़ से हम हो गए 134 करोड़ से भी ज्यादा
1947 में देश आजाद होने के बाद पहली बार 1951 में जनगणना हुई थी. उस समय भारत की आबादी करीब 36 करोड़ थी और अनुमान लगाया गया कि 1947 में भारत की आबादी करीब 34 करोड़ रही होगी. 2011 की जनगणना में भारत की आबादी 121 करोड़ को पार कर चुकी है. अनुमान लगाया जा रहा है कि इस वक्त भारत की आबादी 134 करोड़ से भी अधिक हो चुकी है.
90 रुपये का सोना हुआ 50 हजार का
भारत को सोने की चिड़िया यूं ही नहीं कहा जाता था, यहां सोने का भंडार था ही बहुत अधिक. हर घर में खूब सोना होता था. आज भी भारत के लोगों के पास दुनिया में सबसे अधिक सोना है. आजादी के दौरान भारत में सोना करीब 90 रुपये प्रति तोला यानी प्रति 10 ग्राम के भाव से मिलता था. आज के वक्त में सोना 50 हजार रुपये प्रति तोला हो चुका है.
पेट्रोल की कीमत 27 पैसे से बढ़कर हुई 100 रुपये से भी ज्यादा
जब देश आजाद हुआ था, उस दौरान भारत में पेट्रोल की कीमत करीब 27 पैसे प्रति लीटर थी. आज की तारीख में पेट्रोल 100 रुपये के करीब हो गया है. कई राज्यों में तो इसकी कीमत 100 रुपये से भी अधिक हो चुकी है.
100 से 59 हजार तक पहुंचा सेंसेक्स
बीएसई पर सेंसेक्स की शुरुआत 1 जनवरी 1986 को हुई थी. सेंसेक्स में 30 कंपनियां लिस्टेड हैं. 1986 में सेंसेक्स की शुरुआत 100 अंक से हुई थी और आज की तारीख में यह 59 हजार अंक तक पहुंच चुका है.
इन 75 सालों में गिरता ही गया रुपया
आजादी के दौरान भारत का रुपया डॉलर के मुकाबले बहुत अधिक मजबूत हुआ करता था. उस वक्त भारत के 4 रुपये अमेरिका के एक डॉलर के बराबर थे. रुपये में पिछले सालों में इतनी गिरावट आई है कि आज की तारीख में एक डॉलर भारत के करीब 80 रुपये के बराबर हो गया है.
कमाई में हुआ कितना इजाफा?
1950-51 के दौरान प्रति व्यक्ति सालाना आय करीब 274 रुपये हुआ करती थी. पिछले लगभग 7 दशकों में प्रति व्यक्ति आय सैकड़ों गुना बढ़कर 1.50 लाख रुपये सालाना से भी अधिक हो गई है. 1970-71 में यह करीब 823 रुपये थी और 1990-91 में यह लगभग 6,270 रुपये पर पहुंची थी. 2010-11 में यह आंकड़ा 58,500 रुपये के करीब जा पहुंचा था. हालांकि, इन दिनों महंगाई जिस स्तर पर है, उसकी तुलना में पिछले 7 दशकों में बढ़ी हुई कमाई बेहद कम है.
गरीबी का आलम... 27 करोड़ लोग अभी भी गरीब
जब देश आजाद हुआ उस वक्त करीब 25 करोड़ लोग गरीबी रेखा से नीचे थे. यह संख्या उस वक्त की आबादी का करीब 80 फीसदी था. बीएस मिन्हास आयोग की योजना आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक 1956-57 के दौरान 21.5 करोड़ लोग गरीब थे. 2011-12 के आंकड़े बताते हैं कि इस दौरान गरीबी रेखा से नीचे जिंदगी बिताने वालों की संख्या 26.9 करोड़ हो गई. यानी करीब 22 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे. बता दें अगर शहर में रहने वाला व्यक्ति हर महीने 1000 रुपये से ज्यादा कमाता है या गांव में रहने वाला शख्स हर महीने 816 रुपये से ज्यादा कमाता है, तो वह गरीबी रेखा से नीचे नहीं माना जाता है. देखा जाए तो आजादी के दौरान 80 फीसदी आबादी गरीब थी, लेकिन आज सिर्फ 22 फीसदी आबादी ही गरीबी रेखा से नीचे है.
बेरोजगारी का क्या है हाल
आजादी के दौरान का बेरोजगारी का आंकड़ा मौजूद नहीं है, लेकिन 1972-73 में नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस ने पहला सर्वे किया था. उस वक्त बेरोजगारी दर 8.35 फीसदी थी. आखिरी बार इसके आंकड़े 2020-21 में आए हैं, जिसके अनुसार यह दर 4.2 फीसदी है.
जीडीपी ने लगाई तगड़ी छलांग
सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी से किसी भी देश की आर्थिक हालत का पता चलता है. कहा जाता है कि जब अंग्रेज भारत आए थे तो जीडीपी करीब 22 फीसदी थी, लेकिन जब तक वापस गए तब तक यह दर महज 3 फीसदी बची. 1950-51 में भारत की जीडीपी 2.93 लाख करोड़ रुपये की थी, जो आज की तारीख में 50 गुना से भी अधिक बढ़कर 147 लाख करोड़ रुपये तक जा पहुंची है.