जानिए कौन हैं रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के नए गवर्नर शक्तिकांत दास
आर्थिक मामलों पर गहरी पकड़ रखने वाले शक्तिकांत दास 1980 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। वे मूल रूप से ओडिशा के रहने वाले हैं और तमिलनाडु में उन्होंने अपनी सेवाएं दी हैं।
बीते पांच सालों से रिजर्व बैंक में किसी गैर ब्यूरोक्रेट को ही गवर्नर नियुक्त किया जा रहा था। डी. सुब्बा राव आखिरी ऐसे गवर्नर थे जो ब्यूरोक्रेट की पृष्ठभूमि से आए थे।
दो दिन पहले रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल के इस्तीफा देने के बाद सरकार ने नया गवर्नर नियुक्त कर दिया है। आर्थिक मामलों के सचिव शशिकांत दास को देश के केंद्रीय बैंक का नया गवर्नर नियुक्त किया गया है। वे RBI के 25वें गवर्नर के तौर पर कार्यभार संभालेंगे। आर्थिक मामलों पर गहरी पकड़ रखने वाले शक्तिकांत 1980 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। वे मूल रूप से ओडिशा के रहने वाले हैं और तमिलनाडु में उन्होंने अपनी सेवाएं दी हैं। 2016 में जब नरेंद्र मोदी सरकार ने नोटबंदी की घोषणा की थी, तो बहुत कम सरकारी अफसरों को इसकी जानकारी थी। वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों को देखने वाले सचिव शक्तिकांत दास उन अधिकारियों में से एक थे।
बाद में नोटबंदी को विस्तार से समझाने के लिए शक्तिकांत सरकार का चेहरा बने थे। उन्होंने नोटबंदी को लेकर मीडिया के कड़े सवालों का सामना किया था। तत्कालीन उर्जित पटेल ने नोटबंदी के मसले पर चुप्पी साध ली थी जिस पर शक्तिकांत ने कहा था, 'यह मायने नहीं रखता है कि कौन बोल रहा है। मैं मीडिया के सामने व्यक्तिगत हैसियत से नहीं बल्कि सरकार की तरफ से बोल रहा हूं।'
बीते पांच सालों से रिजर्व बैंक में किसी गैर ब्यूरोक्रेट को ही गवर्नर नियुक्त किया जा रहा था। डी. सुब्बा राव आखिरी ऐसे गवर्नर थे जो ब्यूरोक्रेट की पृष्ठभूमि से आते थे। 2016 में जब रघुराम राजन की विदाई हो रही थी तो नए गवर्नर के तौर पर शक्तिकांत का नाम भी सामने आ रहा था, लेकिन फिर सरकार ने उस वक्त डेप्युटी गवर्नर रहे उर्जित पटेल को गवर्नर बना दिया था। उन्हें वित्त मंत्रालय का प्रमुख सचिव बनने का मौका मिल सकता था, लेकिन उनके ही बैचमेट अशोक लवासा को बाद में यह जिम्मेदारी मिल गई।
इतना ही नहीं शक्तिकांत को भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड का चेयरमैन भी बनाने की बातें सामने आई थीं, लेकिन राजनीतिक गलियारों में असहमति के स्वर उठने के बाद उनका नाम लिस्ट से हट गया था। लाइव मिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक उस वक्त बीजेपी के नेता सुब्रमण्यन स्वामी ने उनका विरोध किया था। स्वामी का कहना था कि शक्तिकांत पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंरबरम के आदमी हैं। हालांकि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शक्तिकांत का बचाव किया था।
रिजर्व बैंक के बीते दो गवर्नरों रघुराम राजन और उर्जित पटेल के संबंध सरकार से कुछ खास अच्छे नहीं रहे हैं। रघुराम राजन को वर्तमान सरकार ने दोबारा मौका नहीं दिया था वहीं उर्जित पटेल RBI की धारा 7 को लेकर सरकार से असहमत थे। दरअसल रिजर्व बैंक ने ने 12 बैंकों को इंस्टैंट ऐक्शन की कैटेगरी में डाल दिया था। इससे बैंकों के नए कर्ज देने, नई ब्रांच खोलने और डिविडेंट देने पर एक तरह से प्रतिबंध लग गया। सरकार RBI द्वारा ब्याज़ दरें न घटाने से नाखुश थी। रिज़र्व बैंक इसे अपना सर्वाधिकार मानता है, जिस पर सरकार से तनातनी हुई।
सरकार ने RBI से अधिक डिविडेंड देने को भी कहा था और आपात स्थिति के लिए अतिरिक्त रिजर्व रखने की जरूरत पर सवाल उठाया था। सरकार की ओर से RBI के कामकाज में एक और बड़ा दखल उस समय सामने आया था जब सरकार ने RBI के कॉर्पोरेट गवर्नेंस की समीक्षा करने की मांग की थी। इसके साथ ही सरकार का कहना था कि बोर्ड ऑफ डायरेक्ट की फैसले लेने में भूमिका बढ़नी चाहिए। इन सभी मुद्दों को लेकर बात धारा 7 तक पहुंच गई थी। जिसके मुताबिक केंद्र सरकार को जनहित में रिजर्व बैंक को निर्देश जारी करने का अधिकार होता है।
लेकिन दिलचस्प बात यह है कि 1934 में रिजर्व बैंक की स्थापना के बाद आज तक इसका इस्तेमाल नहीं हुआ। इसे लेकर कहा जा रहा था कि धारा-7 के इस्तेमाल से RBI की स्वायत्तता पर खतरा आ सकता है। धारा 7 प्रबंधन से संबंधित है। आरबीआई कानून, 1934 की धारा 7(1) कहती है कि केंद्र सरकार रिजर्व बैंक के गवर्नर के साथ विचार विमर्श के बाद जनहित में समय-समय पर केंद्रीय बैंक को निर्देश जारी कर सकती है।
हालांकि अब नए गवर्नर शक्तिकांत दास के कार्यभार संभालने के बाद RBI की अगली बैठक 14 दिसंबर को होने वाली है। इस मीटिंग में संचालन सुधार समेत विभिन्न अहम मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है। वित्त सचिव सुबोध गर्ग ने इस मुद्दे को लेकर कहा है, "फिलहाल 14 दिसंबर को ही बैठक होनी है। यदि आरबीआई कोई और फैसला लेता है तो हमें पता चल जायेगा।"
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