होटल में टेबल की बुकिंग ऑनलाइन करायें, शान से जायें, जम कर खाएं
हर महीने 8-10 हजार टेबल बुक करती है Dineoutअक्टूबर, 2012 में शुरू किया कारोबारदिल्ली से कारोबार कर रही है Dineout
सोचिये आप अति व्यस्त समय में किसी को एक अच्छे रेस्टोरेंट में ले जाकर पार्टी देना चाहते हैं और वहां पर सभी सीटें फुल हों तो आपकी क्या स्थिति होगी। ऐसे हालात का सामना आपको ना करना पड़े इसके लिए आपके पास है Dineout। ये एक वेब आधारित किसी भी रेस्टोरेंट में टेबल बुक करने का बढ़िया साधन है। जिसने पिछले छह महिने के दौरान दिल्ली में विभिन्न रेस्टोरेंट में औसतन हर महीने 8 से 10 हजार टेबल बुक की हैं। इनके काम के विस्तार को देखते हुए कई रेस्टोरेंट मालिक इनके सम्पर्क में हैं।
Dineout की स्थापना विवेक कपूर और साहिल जैन ने की। अक्टूबर, 2012 में अपना काम शुरू करने से पहले इन लोगों ने 1लाख रुपये का निवेश किया। इन लोगों के मुताबिक दिल्ली में चल रहे रेस्टोरेंट इनको अपना प्रमुख सहयोगी बताते हैं क्योंकि Dineout उनके कारोबार में और इजाफा करता है। यही कारण है कि कई रेस्टोरेंट मालिक अब इनकी ओर खींचे चले आ रहे हैं। इन लोगों के मुताबिक आज के दौर में लोगों का घर से बाहर खाना, खाना आम बात है ऐसे में लोगों के लिए मनपसंद जगह ढूंढने में मदद करने के साथ साथ वो उनको बढ़िया डील भी देते हैं। विवेक के मुताबिक इस बाजार में अगर उनको एक छोटा हिस्सा भी मिल जाए तो भी काफी बड़ा है। विवेक उन लोगों के शुक्रगुजार हैं जो उनके साथ शुरूआत से जुड़े और समय समय पर अच्छे बुरे की राय देते रहते हैं। इन लोगों के बीच आपसी समझ और बढ़िया तालमेल का ही नतीजा है कि ये अपने काम को कुशलता पूर्वक कर रहे हैं।
दूसरे उद्यमों की तरह Dineout के सामने मुख्य समस्या अपने यहां अच्छे लोगों की भर्ती को लेकर है। ये लोग अपने साथ चुनिंदा लोगों को जोड़ना चाहते हैं। इनका कहना है कि ये साफगोई से अपना काम करते हैं और इनको तलाश है ऐसे ही लोगों की जो इनके काम को आगे ले जा सकें। यही वजह है कि Dineout के ज्यादातर काम सह-संस्थापक खुद ही मिलकर करते हैं। इसके अलावा रेस्टोरेंट का काम काफी असंगठित है जिस तरीके से इन लोगों ने रेस्टोरेंट को अपने साथ जोड़ा है ये काफी मुश्किल काम है यही वजह है कि इनको लगातार समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
Dineout के सह-संस्थापक साहिल जैन के मुताबिक शुरुआती निवेश को ये लोग कारोबार को बढ़ाने और प्रौद्योगिकी पर खर्च कर चुके हैं। इसके अलावा इन लोगों ने 20 प्रतिशत अपनी मार्केटिंग पर खर्च किया साथ ही मुंबई, पुणे और बेंगलौर में दुकाने लीं। Dineout वेबसाइट के अलावा ऐप में भी उपलब्ध है जो विभिन्न तरह के ऑफर भी देता है। साहिल के मुताबिक उनकी योजना इस काम के लिए करीब 3 करोड़ डॉलर जुटाना चाहते हैं ताकि वो इस पैसे का इस्तेमाल मुख्य रूप से मार्केटिंग के साथ अपने यहां और लोगों को रखने में खर्च कर सकें।
विवेक इस बात को लेकर खुश हैं कि उन्होने WebSparks में जीत हासिल की। उनके मुताबिक ये उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने में मददगार साबित होगा। उनका कहना है कि 40 दूसरी कंपनियों से मुकाबला जीतने के बाद उनकी कंपनी में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हुआ है और ये उनके लिए बड़े सम्मान की बात है कि इस मुहिम को चलाने वाले लोग काफी सम्मानित हैं।