एक कलेक्टर की अनोखी पहल ने ब्यूरोक्रेसी में आम आदमी के भरोसे को दी है मजबूती
चाहे वो उत्तराखंड में लड़कियों की स्कूली दिक्कतों को समझने वाले डीएम मंगेश हों या ईमानदारी से अपनी ड्यूटी निभाने वाली यूपी की एसपी। ऐसे तमाम उदाहरण हर महीने सामने आते रहते हैं जब प्रशासनिक अधिकारी जनता का दिल जीतते रहते हैं।
तमिलनाडु के तिरुनवेली जिले में तैनात कलेक्टर संदीप नंदुरी ने की वॉल ऑफ काइंडनेस की शुरुआत।
नंदुरी ने एक दिन अखबार पढ़ते हुए एक आर्टिकल देखा जिसमें ईरान में इस तरह की पहल का जिक्र था, जिसे पढ़ने के बाद इस पहल की अपने राज्य में भी शुरुआत करने के बारे में सोचा।
जब हम बात सिविल ऑफिसर्स की करते हैं, ब्यूरोक्रेसी की करते हैं तो कहीं न कहीं लोगों का माइंडसेट बन चला है कि वो एक अपर क्लास के लोग हैं जिनका आम जनता के सरोकारों से कोई मतलब नहीं है। लेकिन समय-समय पर कुछ ऑफिसर्स ऐसा कर जाते हैं कि हमें ब्यूरोक्रेसी की महान विरासत पर फिर से विश्वास होने लगता है। चाहे वो उत्तराखंड में लड़कियों की स्कूली दिक्कतों को समझने वाले डीएम मंगेश हों या ईमानदारी से अपनी ड्यूटी निभाने वाली यूपी की एसपी। ऐसे तमाम उदाहरण हर महीने सामने आते रहते हैं जब प्रशासनिक अधिकारी जनता का दिल जीतते रहते हैं। ऐसा ही एक प्रशंसनीय काम किया है तमिलनाडु के तिरुनवेली जिले में तैनात कलेक्टर संदीप नंदुरी ने।
वॉल ऑफ काइंडनेस
गरीबी हमारे देश की सबसे प्रतिकूल समस्याओं में से एक है, जो समाज के एक निश्चित खंड को उनके मूलभूत अधिकारों से दूर कर रही है। आर्थिक रूप से कमजोर तबके को सर्दी गर्मी बरसात से बचने के लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। उनकी ये दशा को देखकर व्यथित तिरुनेलवेली जिले के कलेक्टर संदीप ने एक मुहिम की शुरुआत की है। जिसमें उन्होंने दीवार पर एक पेंटिग को बनवाया है जिसमें एक लड़की आंखों को बंदकर दोनों हाथों को जोड़े हुए नजर आ रही है। और लड़की के बालों में पीले रंग के फूल भी लगे हुए हैं। दीवार के सबसे ऊपर मोटे-मोटे अक्षरों में लिखा है- वॉल ऑफ कांइडनेस।
क्या है पूरी योजना?
संदीप की इस पहल से इलाके की सड़को को सुंदरता भर मात्र से रंगना नहीं है। इसके बजाय, दीवार लोगों के लिए वंचितों के लिए वस्तुओं का दान करने के लिए एक जगह के रूप में कार्य करती है। लड़की के बाल पर पीले फूल इसलिए लगे हुए हैं कि लोग गरीबों के लिए कपड़े लटका सकें। इसके अलावा जिला कलेक्टर ने दीवार पर अलमारियों को भी बनाया है ताकि लोग जरुरतमंदों के लिए जूते, खिलौने भी रख सकें। एक अंग्रेजी बेवसाइट को दिए गए इंटरव्यू में नंदुरी ने बताया कि एक दिन अखबार पढ़ते हुए मैनें एक आर्टिकल पढ़ा जिसमें ईरान में इस तरह की पहल का जिक्र था। जिसको पढ़ने के बाद इस पहल की अपने राज्य में भी शुरुआत करने की सोची।
जनता ने दिखा रही है उत्साह
इस परियोजना के क्रियान्वयन के लिए और चित्रकारों को चित्रों पर काम करने के लिए एक हफ्ते और 1.15 लाख रुपये की लागत लगी।परियोजना के शुरू होने के सिर्फ चार दिनों में ही लोगो की जबरदस्त प्रतिक्रिया देखने को मिली है। एक माह तक नागरिकों की प्रतिक्रिया देखने के बाद इसे अन्य सार्वजनिक क्षेत्रों में भी विस्तारित किया जाएगा। दीवार का उद्घाटन होने के बाद से ही स्थानीय लोग गरीबों की मदद के लिए अपनी अप्रयुक्त वस्तुओं को दान करने के लिए यहां आ रहे हैं | इसी तरह की पहल अन्य भारतीय राज्यों में भी शुरू हुई है, जिनमें हैदराबाद, जयपुर, चंडीगढ़, भोपाल और दिल्ली शामिल हैं।
-प्रज्ञा श्रीवास्तव