इस 64 वर्षीय महिला की मेहनत से 8 घंटे में हुआ था 3034 लीटर ब्लड डोनेशन, गिनीज बुक में दर्ज
8 घंटे में 3034 लीटर ब्लड का इंतजाम करने वालीं लता अमाशी...
दो साल पहले रोटरी क्लब बेंगलुरु ने कर्नाटक में 13 अलग-अलग जगहों पर रिकॉर्ड 3,034 लीटर खून एकत्रित करके अपना नाम इतिहास में दर्ज करा दिया था। इस कार्य को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में जगह मिली। यह रिकॉर्ड इतना बड़ा है कि इसे अभी तक तोड़ा नहीं गया है। इस काम को संपन्न कराने में 64 साल की लता अमाशी का भी एक बड़ा योगदान रहा है...
लता ने बताया कि एक बार डेंगू से पीड़ित दस साल के एक बच्चे को खून की जरूरत थी। लता ने उस बच्चे के लिए ब्लड का इंतजाम कराया। इससे बच्चा बेहद खुश हुआ और वह लता को परी आंटी कहकर बुलाने लगा।
दो साल पहले रोटरी क्लब बेंगलुरु ने कर्नाटक में 13 अलग-अलग जगहों पर रिकॉर्ड 3,034 लीटर खून एकत्रित करके अपना नाम इतिहास में दर्ज करा दिया था। इस कार्य को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में जगह मिली। यह रिकॉर्ड इतना बड़ा है कि इसे अभी तक तोड़ा नहीं गया है। इस काम को संपन्न कराने में 64 साल की लता अमाशी का भी एक बड़ा योगदान रहा है। वह पिछले 17 सालों से मानवता की सेवा में अपना योगदान दे रही हैं। लता की पैदाइश और परवरिश दिल्ली की है। लेकिन उनके माता-पिता कर्नाटक से थे। समाज सेवा की प्रेरणा के बारे में बताते हुए वह कहती हैं कि उन्होंने अपने पिता से मानवता की सेवा करने की प्रेरणा ली है।
लता के भीतर बचपन से ही दूसरों की मदद करने का स्वभाव विकसित हो रहा था। उनकी मां और पिता दोनों समाजसेवी थे। उनके पिता संयुक्त राष्ट्र संघ में काम करते थे। इससे लता को बेशुमार प्रेरणा मिलती थी। पढ़ाई पूरी होने के बाद लता एक बैंक में नौकरी करने लगीं। वह सिंडिकेट बैंक में सीनियर मैनेजर के तौर पर काम करती थीं। लेकिन बाद में कुछ पारिवारिक वजह से उन्होंने नौकरी छोड़ दी और बाद में बेंगलुरु यूनिवर्सिटी में लेक्चरर की नौकरी करने लगीं। गरीबों के लिए काम करने की दिशा में यहीं से शुरुआत हुई। बेंगलुरु आने से पहले वे एक अलग क्लब की सदस्य थीं। उस ग्रुप से जुड़कर वह कमजोर दृष्टि के लोगों के लिए काम करती थीं। उन्होंने आठ साल में 30,000 से भी ज्यादा गरीबों की सर्जरी करवाईं।
वह बताती हैं कि किसी की आंखों की रौशनी लौटाने में मदद करने पर जो खुशी मिलती है वो कभी बयां नहीं की जा सकती। किसी की मदद करना, उसके चेहरे पर खुशी लाना सबसे बड़ा सुख होता है। अभी लता रोटरी क्लब से जुड़ी हुई हैं। यह क्लब मानवता की सेवा के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त है। लेकिन लता को कभी रक्तदान कार्यक्रम कराने का अनुभव नहीं था। संयोग से उन्हें इस काम की जिम्मेदारी मिल गई थी। उन्होंने भी इस जिम्मेदारी को पूरे दिल से निभाने का फैसला किया। उन्होंने अपनी जिंदगी दूसरों की सेवा में लगा दी है इसलिए उन्हें इस काम को सफलतापूर्वक करा देने का भरोसा था।
लता ने बताया कि एक बार डेंगू से पीड़ित दस साल के एक बच्चे को खून की जरूरत थी। लता ने उस बच्चे के लिए ब्लड का इंतजाम कराया। इससे बच्चा बेहद खुश हुआ और वह लता को परी ऑन्टी कहकर बुलाने लगा। उसने कहा कि अपने जन्मदिन के मौके पर वह लता ऑन्टी के हाथ से बना केक खाएगा। उस दौरान वह आईसीयू में भर्ती था। लता उस बच्चे के लिए केक से गईं और आईसीयू में ही डॉक्टर से विशेष अनुमति लेकर केक काटा गया। यह काम दस मिनट में हो गया। लेकिन एक दिन बाद ही उसकी मौत की खबर मिली। लड़के की मां ने लता को अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए बुलाया। मां ने लता से कहा कि उन्होंने उनके बेटे के लिए खून का इंतजाम किया है इसलिए वह भी परिवार का हिस्सा हैं। यह सुनकर लता की आंखें भर आईं और उन्होंने रक्तदान की अहमियत समझ ली। आज वह ब्लड डोनेशन कमिटी की प्रेसिडेंट भी हैं।
यह भी पढ़ें: पुणे की महिला ने साड़ी पहन 13,000 फीट की ऊंचाई से लगाई छलांग, रचा कीर्तिमान