बेटे के फेल होने पर पिता ने दी पार्टी, कहा परीक्षा में फेल होना जिंदगी का अंत नहीं
पिता ने बेटे के फेल होने पर कुछ इस तरह मनाया जश्न...
मध्य प्रदेश के एक पिता ने दसवीं की परीक्षा में फेल हुए अपने बेटे को पार्टी देकर सबको न केवल चौंका दिया बल्कि उन तमाम अभिभावकों को एक सीख भी दि कि जिंदगी में एग्जाम के अलावा और भी बहुत कुछ है और इन एग्जाम्स में फेल होना जिंदगी का अंत नहीं है।
आज के दौर में जब किशोर नंबर कम आने या फेल होने पर मौत को गले लगा लेते हैं या अवसाद में चले जाते हैं वहां एक पिता का यह कहना वाकई घुटते हुए माहौल में ताजी हवा का झोंका सा लगता है।
गर्मियों का ये मौसम हमारे-आपके लिए भले ही नीरस लगता हो, लेकिन बोर्ड एग्जाम देने वाले बच्चों के लिए यह वाकई एक्साइटमेंट वाला वक्त होता है। एक तो एग्जाम्स के रिजल्ट आने होते हैं और दूसरा इन रिजल्ट से उनके आगे का रास्ता तय होता है। हर साल की तरह इस बार भी बोर्ड एग्जाम के रिजल्ट आने शुरू हो गए हैं और हर बार की तरह अच्छे नंबर लाने वाले बच्चों और टॉपर्स की बातें हो रही हैं। लेकिन एग्जाम में कई सारे बच्चे ऐसे भी होते हैं जो किन्हीं वजहों से फेल हो जाते हैं। हमारे मन में बचपन से फेल होने को लेकर इतना डर भर दिया जाता है कि हम फेल नाम सुनकर ही कांपने लगते हैं।
इस हाल में अगर बच्चों को सही से सपोर्ट न मिले तो वे गलत कदम भी उठा सकते हैं। ऐसा अक्सर होता है और आपको बोर्ड रिजल्ट के मौसम में आत्महत्या की खबरें भी सुनाई पड़ती ही होंगी। मध्य प्रदेश के एक पिता ने दसवीं की परीक्षा में फेल हुए अपने बेटे को पार्टी देकर सबको न केवल चौंका दिया बल्कि उन तमाम अभिभावकों को एक सीख भी दि कि जिंदगी में एग्जाम के अलावा और भी बहुत कुछ है और इन एग्जाम्स में फेल होना जिंदगी का अंत नहीं है। मध्य प्रदेश के सागर जिले के रहने वाले सुरेंद्र कुमार व्यास पेशे से कॉन्ट्रैक्टर हैं। उनके बेटे आशु ने इस बार एमपी बोर्ड से दसवीं की परीक्षा दी थी।
लेकिन रिजल्ट आने पर पता चला कि वह फेल हो गया है। इस हालत में आशु को खरी खोटी सुनाने की बजाय उसे पार्टी दे दी। उन्होंने कहा, 'परीक्षाओं के अलावा भी जिंदगी होती है। मेरे बेटे ने अपनी कोशिश की यही क्या कम है।' आज के दौर में जब किशोर नंबर कम आने या फेल होने पर मौत को गले लगा लेते हैं या अवसाद में चले जाते हैं वहां एक पिता का यह कहना वाकई घुटते हुए माहौल में ताजी हवा का झोंका सा लगता है। बेटे के फेल होने के बाद सुरेंद्र ने मिठाई ऑर्डर की और पटाखे भी दगाए। उन्होंने मेहमानों को बुलाकर उन्हें खाना भी खिलाया।
सुरेंद्र ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा, 'मैं बस अपने बेटे को प्रोत्साहित करना चाहता था। मैं नहीं चाहता था कि वह हिम्मत हारे। इसीलिए मैंने छोटे से कार्यक्रम का आयोजन किया। मैं लोगों को बताना चाहता हूं कि इन छोटे-छोटे एग्जाम्स से अपने बच्चों की प्रतिभा का आकलन मत कीजिए। एग्जाम में फेल होने का मतलब ये नहीं है कि वे कुछ करने के लायक नहीं हैं।' उन्होंने कहा कि उनका बेटा अगली बार और अच्छे से तैयारी करेगा और सफलता अर्जित करेगा।
इस पर आशु ने कहा, 'मैं सोच नहीं सकता कि पापा मेरे लिए इतना कर सकते हैं। मैं प्रोमिस करता हूं कि अगली बार और अच्छे से पढ़ाई करूंगा और अच्छे नंबर से पास होकर दिखाऊंगा।' मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने हाल ही में दसवीं के रिजल्ट घोषित किए हैं। इस बार एमपी बोर्ड के कुल 66 प्रतिशत बच्चों ने सफलता अर्जित की है।
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