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डकैतों के इलाके में ग्रामीण महिलाओं को रोजगार दे रहा है 'खाडिजी'

मध्य प्रदेश स्थित KhaDigi की कहानी

डकैतों के इलाके में ग्रामीण महिलाओं को रोजगार दे रहा है 'खाडिजी'

Wednesday November 28, 2018 , 6 min Read

उमंग श्रीधर मध्यप्रदेश के गांवों से कपड़े को सोर्स करके एक कदम आगे ले जा रही हैं। उनका उद्यम इस क्षेत्र में महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त भी बनाता है। KhaDigi की कहानी उमंग के छोटे शहर और उनके बड़े सपनों से शुरू होती है।

कताई करने वाली महिलाएं

कताई करने वाली महिलाएं


KhaDigi को अभी तक मिली प्रतिक्रिया जबरदस्त रही है और कंपनी ने अब तक लगभग 15,000 मीटर के कपड़े का उत्पादन किया और बेचा है। इसके अलावा उन्हें कई रिपीट ऑर्डर मिले हैं। 

उमंग श्रीधर द्वारा स्थापित, KhaDigi हैंडीक्रॉफ्ट कपड़ों की कंपनी है जो विभिन्न प्रकार की खादी को ऐसे रीजन से सोर्स करती है जो कभी डकैतों के लिए कुख्यात थी। दरअसल कभी गांधीवादी दर्शन और भारत के राजनीतिक वर्ग की प्रतीक रही खादी आज न केवल भारत बल्कि दुनिया में तेजी से फैशन ट्रेंड के रूप में अपनी पहुंच बना रही है। न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी खादी के कपड़े कैटवॉक से लेकर हाई-एंड बुटीक और हाई-स्ट्रीट स्टोर तक हर जगह एक अपनी जगह बना रहे हैं। अब देश में खादी क्रांति का नेतृत्व युवा महिला उद्यमी कर रही हैं। उनमें से एक हैं KhaDigi की भोपाल स्थित उमंग श्रीधर।

उमंग श्रीधर मध्यप्रदेश के गांवों से कपड़े को सोर्स करके एक कदम आगे ले जा रही हैं। उनका उद्यम इस क्षेत्र में महिलाओं को वित्तीय रूप से सशक्त भी बनाता है। उमंग ग्रामीण इलाके की ऐसी महिलाओं को सशक्त कर रही हैं जिनके पास रोजगार के साधन नहीं है और जीविका के लिए सिर्फ खेती पर भी निर्भर नहीं रह सकती। 54 वर्षीय धनवंती बाई ऐसी ही महिला हैं। वह एक ऐसे क्षेत्र में बड़ी हुई जहां महिलाओं को बिना पुरुषों के बाहर जाने की इजाजत नहीं थी। लगभग 1995 में, उसने कताई की कला सीखी, जिसके सहारे आज वह जीविका अर्जित करने लायक बन पाईं। KhaDigi में काम करने वाली कई ऐसी महिलाएं हैं जिनकी कहानी धनवंती जैसी ही है।

छोटे शहर की लड़की के बड़े सपने

KhaDigi की कहानी उमंग के छोटे शहर और उनके बड़े सपनों से शुरू होती है। मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में एक छोटे से गांव किशनगंज में एक रूढ़िवादी परिवार में पैदा हुईं, उमंग का कहना है कि उनके माता-पिता हमेशा चाहते थे कि उनके बच्चे पढ़ाई करें और अच्छा प्रदर्शन करें। स्कूली शिक्षा के बाद, उमंग ने दिल्ली विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया जहां उन्होंने पढ़ाई में काफी अच्छा प्रदर्शन किया। दिल्ली विश्वविद्यालय से उमंग ने बी.कॉम आनर्स की पढ़ाई पूरी की।

उमंग कहती हैं, "मैंने हमेशा गांव में पैदा होने के लिए खुद को बहुत भाग्यशाली माना। क्योंकि इससे मुझे वास्तविक तरीके से चीजों का अनुभव हुआ और इसी वजह से मुझे सामाजिक उद्यमी बनने और ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के लिए विशेष रूप से काम करने का यह सपना देखना पड़ा।" उमंग के दो सपने थे, पहला ये कि वे खादी को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाना चाहती थीं और दूसरा ग्रामीण क्षेत्रों की उन महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए काम किया जाए जो विषम परिस्थिति और पुरूष प्रधान समाज के कारण दबी-सहमी सी जीनवयापन करने को मजबूर है।

उमंग श्रीधर

उमंग श्रीधर


इन्हीं सपनों को पूरा करने की जिद ने KhaDigi की नींव रखी, सपनों को पूरा करने के परिणामस्वरूप 2013 में शुरू हुई इनोवेटिव हैंडीक्रॉफ्ट कपड़ों की कंपनी मध्यप्रदेश के गांवों से काम करती है। दिलचस्प बात यह है कि KhaDigi नाम दो तत्वों से मिलकर बना है- भारत का सबसे पारंपरिक कपड़ा खादी और डिजिटल से, जिसके सहारे खादी आज तेजी के साथ आगे बढ़ रहा था। 2015 में कपड़ा मंत्रालय द्वारा आयोजित एक प्रतियोगिता में उमंग ने खादी और डिजिटल दोनों को जोड़कर खादी पर डिजिटल प्रिंटिंग प्रोसेस का कॉन्सेप्ट शुरू किया।

उमंग आगे बताती हैं, "वर्तमान में, हम मुरैना के जौरा (मध्य प्रदेश) में प्रसिद्ध डकैतों का क्षेत्र कहे जाने वाले इलाके में महिलाओं के साथ काम करते हुए सूत कात रहे हैं। वहां हमने 70 महिला कलाकारों को रोजगार दिया है। इसके अलावा हम महेश्वर में कपड़े बुनाते हैं, जो महेश्वरी साड़ियों के लिए सबसे ज्यादा जाना जाता है। हम एक बी 2 बी कपड़ा कंपनी हैं, जो केवल उद्योग के लिए कपड़े और कॉर्पोरेट उपहार प्रदान करते हैं। हमारे ग्राहकों में गौरंग शाह और आयुष कासलीवाल और साथ ही रिलायंस जैसे डिजाइनर शामिल हैं।"

KhaDigi बुनाई और कताई में इस क्षेत्र में महिलाओं को प्रशिक्षण देकर उनको रोजगार के लायक बनाते हैं। उमंग आगे कहती हैं, "चूंकि उद्योग टिकाऊ फैशन की तरफ बढ़ रहा है इसलिए खादी और प्राकृतिक हैंडमेड कपड़े की मांग बहुत अधिक है। लेकिन उद्योग अत्यधिक असंगठित है, और इसलिए उपलब्धता सीमित है। हम सीधे रिटेलर्स और डिजाइनरों को बेचते हैं जो टिकाऊ फैशन पर काम करते हैं।"

छोटे शहर के फायदे

उमंग का मानना है कि एक छोटे से शहर में शुरू करने के अपने फायदे हैं। वे कहती हैं, "बड़ी होते हुए मैंने देखा कि मेरे गांव की महिलाएं और बच्चे संघर्ष कर रहे हैं। मैंने स्नातक करने के बाद सोचा कि मैं उनके लिए क्या कर सकती हूं।" मुझे विश्वास है कि लोकल में रहना अच्छा है क्योंकि हम उन लोगों को जानते हैं जो हमारे लिए काम करते हैं और किसी भी मुद्दे से जुड़ा समाधान खोजने के लिए हमारे पास उनका पूर्ण समर्थन होता है। इसके अलावा, शुरुआत में किसी के भी पास निवेश करने के लिए इतने पैसे भी नहीं होते हैं इसलिए लोकल में रहना अच्छा होता है।"

KhaDigi को उमंग ने एक बूटस्ट्रैप कंपनी के रूप में शुरू किया लेकिन अब जयपुर स्थित स्टार्टअप केंद्र में ओएसिस नाम के एक स्टार्टअप द्वारा संभाला जा रहा है। इसके अलावा, कुछ व्यक्तिगत निवेशक KhaDigi को विभिन्न क्लस्टर में उत्पादन केंद्र स्थापित करने में भी मदद कर रहे हैं। उमंग को अक्सर ग्रामीण क्षेत्रों में ट्रैवल करने और काम करने के खिलाफ चेतावनी दी गई थी। वे कहती हैं, "मुझे ट्रेन से अकेले यात्रा न करने के लिए कहा गया क्योंकि रेलवे स्टेशन सुरक्षित नहीं हैं। लेकिन मैंने की, और इसे पूरी तरह से सुरक्षित पाया, और मैंने पाया कि लोग किसी भी समय मेरी मदद करने के लिए तैयार थे।"

काम पर बारीकी से नजर रखतीं श्रीधर

काम पर बारीकी से नजर रखतीं श्रीधर


उमंग को उनके परिवार से जो समर्थन मिला है वह उनके लिए काफी महत्वपूर्ण है। वे कहती हैं, "मेरे माता-पिता हमेशा सहायक रहे हैं और यही मायने रखता है। लेकिन हाँ, लोग मुझे एक महत्वाकांक्षी महिला के रूप में देखते हैं और आश्चर्य करते हैं कि मैं अपने जुनून के साथ कितना दूर तक जाऊंगी। उनकी इस चिंता ने मुझे अपने सपने की ओर कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित किया।"

KhaDigi को अभी तक मिली प्रतिक्रिया जबरदस्त रही है और कंपनी ने अब तक लगभग 15,000 मीटर के कपड़े का उत्पादन किया और बेचा है। इसके अलावा उन्हें कई रिपीट ऑर्डर मिले हैं। औसतन, यह एक महीने में 7.5 लाख रुपये की कमाई कर लेता है। KhaDigi की भविष्य की योजनाओं के बारे में उमंग का कहना है कि वे 2020 के अंत तक राज्य भर में 10 केंद्र स्थापित करना चाहती हैं और हजारों तक पहुंच बनाना चाहती हैं।

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