21,000 करोड़ रुपये जनधन खाते में जमा हुए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी के कदम के बाद जनधन खातों में भारी उछाल देखने को मिल रहा है।
उल्लेखनीय है, कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा की जिसके तहत 500 व 1000 रुपये के मौजूदा नोटों को चलन से बाहर कर दिया गया। हर ओर नकारात्म खबर देखने सुनने के बावजूद सरकार के नोटबंदी के कदम के बाद जनधन खातों में भारी उछाल देखने को मिल रहा है। इन खातों में अब तक 21,000 करोड़ रुपये की भारी भरकम राशि जमा कराई गई है। सूत्रों ने बताया है, कि बीते 13 दिन में बैंकों में जनधन खातों में भारी राशि जमा कराई जा चुकी है।
इसके बाद जिन राज्यों में सर्वाधिक जमाएं देखने को मिली हैं उनमें ममता बनर्जी के शासन वाला पश्चिम बंगाल अव्वल है। इसके बाद कर्नाटक का नंबर आता है। निकासी के बाद इन खातों में कुल जमा या बकाया 66,636 करोड़ रुपये है। वहीं नौ नवंबर को इस तरह के लगभग 25.5 करोड़ बैंक खातों में जमाएं 45,636.61 करोड़ रुपये थीं।
देश में बैंकिंग को बढावा देने के लिए 28 अगस्त 2014 को प्रधानमंत्री जन धन योजना की शुरुआत की गई थी। इस तरह के खातों में अधिकतम 50,000 रुपये जमा करवाए जा सकते हैं।
उधर दूसरी तरफ ओडिशा के कई हिस्सों में राष्ट्रीयकृत बैंकों में अब तक निष्क्रिय रहे प्रधानमंत्री जनधन योजना (पीएमजेडीवाई) खाते नोटबंदी के बाद सक्रिय हो गये हैं और उनमें भारी मात्रा में धन जमा कराये जा रहे हैं। डाकघरों में भी चलन से बाहर हो चुके नोट अधिक मात्रा में जमा किये जा रहे हैं।
अधिकारियों ने बताया कि ऐसा प्रतीत होता हैस, कि नोटबंदी ने निष्क्रिय पड़े खातों को नया जीवन दिया है। केंद्रपाड़ा और जगतसिंहपुर जिलों में 3.75 लाख जन धन खाते खुले हुये हैं।
ओड़िशा में केंद्रपाड़ा में सबसे ज्यादा 59.50 फीसदी घर बैंक से जुड़े हुये हैं और इसके बाद जगतसिंहपुर का नंबर आता है जहां 58 फीसदी घर बैंक की सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। नोटबंदी के बाद पीएमजेडीवाई खाता धारकों के अपने खातों को सक्रिय करने और उनमें धन जमा कराने के लिए बैंक काउंटरों पर लाइन में लग रहे हैं। जिन खातों में जमा राशि शून्य थी उनमें अचानक से धन का प्रवाह बढ़ गया है।
राष्ट्रीयकृत बैंक के एक अधिकारी ने बताया, जनधन खातों में भारी मात्रा में धन की वृद्धि हुई है। हालांकि इन खातों में जमा कराने की राशि 50,000 रुपये तक सीमित है। लेकिन अब इन खातों में इससे अधिक राशि जमा हो गई हैं। अधिकारी ने बताया कि इन खातों में ज्यादातर चलन से बाहर हो चुके नोट जमा किये जा रहे हैं जिससे इस बात का संदेह है कि असामाजिक तत्व अपने काले धन को सफेद करने के लिए गरीबों और सीधे-साधे लोगों के खातों का इस्तेमाल कर रहे हैं। हम इस तरह के खातों की विस्तृत सूची तैयार कर रहे हैं। इस तरह के खातों की सूची संबंधित अधिकारियों को सौंपी जाएगी। कुछ दिन पहले ही आरबीआई ने चेतावनी दी थी, कि किसी भी अनधिकृत तरीके से नोटों की अदला बदली और जमा कराने का काम करना गैरकानूनी है और इसके खिलाफ सख्त दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। आरबीआई ने अपने एक बयान में कहा था, कि ‘ऐसी खबरें हैं कि कई लोग दूसरे लोगों के लिए नोटों की अदला-बदली करा रहे हैं। कुछ लोग अन्य लोगों के पैसे अपने बैंक खातों में जमा करा कर उनकी मदद भी कर रहे हैं।’ साथ ही आरबीआई ने इस बात का खुलासा किया था, कि प्रधानमंत्री जन धन योजना खातों का भी इसके लिए इस्तेमाल किया जा रहा है, जिस पर कड़ी कार्रवायी की जायेगी।
जितनी जल्दी अर्थव्यवस्था डिजिटल अर्थव्यवस्था बनती है, बर्बादी कम होगी, उत्पादकता बढ़ेगी तथा कालेधन पर अंकुश लगेगा। भारतीय-अमेरिका उद्यमी सरकार के इस कदम से काफी प्रभावित हैं।
साथ ही एक प्रमुख भारतीय-अमेरिकी उद्यमी ने यह बात कही है, कि भारत में नोटबंदी से कालाधन पर अंकुश लगेगा और देश डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ेगा। लेकिन नकद रहित प्रणाली की ओर बढ़ने में थोड़ा समय लगेगा। उद्यम पूंजीपति और टीआईई सिलिकॉन वैली के अध्यक्ष वेंकटेश शुक्ल ने कहा, यह कालधन के खिलाफ और डिजिटल अर्थव्यवस्था की तरफ एक बड़ा कदम है। इसके लिये आधार, जनधन योजना तथा प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के जरिये आधारशिला पहले ही रखी जा चुकी है। उन्होंने कहा, ‘लेकिन मुझे लगता है कि इससे भारत बहुत जल्दी नकद रहित अर्थव्यवस्था नहीं बन सकता। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि लोगों को इतनी मुश्किलें हो रही हैं। लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि यह सही दिशा में उठा गया कदम है। यह नकदी रहित अर्थव्यवस्था की दिशा में कदम है, लेकिन इसमें थोड़ा समय लगेगा, जिसके लिये बुनियादी ढांचा पहले से है।’