'अर्बन धोबी', साफ-सुथरे कपड़ों में आपके व्यक्तित्व को निखारने की अनोखी कोशिश
अगर कपड़ों से हमारी पहचान बनती है, लोग हमें साफ-सुथरा और अच्छा पहनावा-ओढ़ावा वाले समझते हैं तो उसके पीछे सिर्फ एक शख्स का हाथ है प्रेस वाला, ड्राई क्लीन वाला। उनकी लगातार मेहनत से हम निखरे और संवरे रहते हैं। लेकिन इस पुराने व्यवसाय को अगर नया रूप दे दिया जाए तो बात ही अलग हो सकती है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है चार दोस्तों ने।
सत्यम मिश्रा, प्रखर पगरिआ , तुषार थेत्तयिल और सारांश सिद्धू, इन चार दोस्तों ने मिलकर इसी सोच को और बेहतर बनाया साकार कर दिखाया। इन्होंने 'अर्बन धोबी' एक ऐसा मोबाइल ऐप्प है जिसकी सुविधाएं आप चुटकियों में घर बैठे-बैठे बिना किसी तनाव उठाए ले सकते है I
इस अर्बन धोबी एप्प ने 3 महीनो में अपनी एक अलग पहचान बना ली है। जयपुर आधारित इस एप्प में 2000 उपयोगकर्ता और 700 से भी ज़्यादा लोग शामिल हो चुके हैं। इस एप्प को शुरू करने से पहले सत्यम, प्रखर व तुषार अहमदाबाद में स्थित अंतरराष्ट्रीय कंसल्टिंग फर्म में व सारांश बाइनरी लैब दिल्ली में काम करते थे।
इन चार दोस्तों का यह सफर इतना आसान नहीं था। अपने इस सफर को कामयाबी की तरफ बढ़ाने के लिए उन्हें काफी जतन करने पड़े। अपने इस फैसले को अमलीजामा पहनाने के लिए इन्होंने नौकरी छोड़ी और झोंक दी सारी अपनी सारी मेहनत 'अर्बन धोबी' को सफल बनाने में।
सत्यम कंपनी के सीईओ हैं जो मार्केटिंग एवं कंपनी के विस्तार की रणनीतियों में मदद करते हैं। प्रखर कंपनी के सीओओ हैं और कंपनी के नियमित संचालन व रणनीतियों का पालन सुनिश्चित करते हैं। सारांश एंड्रॉयड, आईओएस और बैकएंड डेवलपर्स और वेबसाइट डिजाइनर की तकनीकी टीम संभालते हैं। तुषार सीएमओ हैं और अलग-अलग शहरों में विस्तार योजनाओं पर काम करते हैं।
'अर्बन धोबी' एंड्रॉयड, आई फोन और अन्य डिलीवरी एप्प पर काम करता है। जिसके द्वारा उपभोक्ता अपने आर्डर को ट्रैक भी कर सकते हैं। इसमें तीन किलो का एक न्यूनतम आदेश लिया जाता है। यह कुछ इस प्रकार काम करता है। उपभोक्ता के आदेश रखने के बाद एक प्रतिनिधि, ग्राहक के पसंदीदा समय स्लॉट में उनके पते पर जाकर कपड़े एकत्र करता है और डिजिटल वजन मशीन के साथ उनका वजन देखता है। एकत्र किये गए कपड़ों को इसके बाद लॉन्ड्री में उच्च तकनीक की मशीनों के द्वारा धोने में भेज दिया जाता है। धुलने के बाद उन्हें ग्राहकों को लौटा दिया जाता है जिसके बाद वे इस सेवा का भुगतान नकद या कार्ड द्वारा कर सकते हैं I
सत्यम का कहना है की उनके यहाँ काम करने वाले सिर्फ सात कर्मचारी हैं और 70% से भी ज्यादा लोग महीने में औसत रूप से लगभग चार बार उनकी सेवा इस्तेमाल करते हैं। वह आगे बताते है की 80 %कपडे शिकन मुफ्त होते है और जिन्हें प्रेस करने की कोई जरुरत नहीं पड़ती लेकिन ग्राहकों के कहने पर वह उसे इस्त्री भी कर देते हैं। उनका मानना है की इस एप्प को इस्तेमाल करना बहुत ही आसान है। लोग अपने हिसाब से समय तय करते हैं और फिर अपना आदेश जगह तय करते हैं। आमतौर पर ग्राहकों के कपड़ों के लिए 24 घंटे का समय लिया जाता है। हालांकि ग्राहकों के हिसाब से उन्हें तीव्र सेवा प्रदान करने का विकल्प भी इसमें मौजूद है।
शुरुआत में उन्होंने एप्प के प्रचार-प्रसार के लिए आईटी कम्पनीज़, कैफ़े,रेस्त्रां में अपने इस उत्पाद को विज्ञापित किया और वहीँ से शुरू हुआ उनकी मंजिल का पहला सफर। 'अर्बन धोबी' में तीन किलो कपड़ों का किराया 150 रुपये व पांच किलो का 200 रुपये है जबकि इसके ऊपर 35 रुपये प्रति किलो के हिसाब से लिया जाता है।
टीम के लोग अपने लॉन्ड्री की सेवा का नियमित रूप से बखूबी जाँच करते हैं व उन्हें और प्रभावी बनाने क लिए प्रयास करते रहते हैं। वे बताते हैं कि उनकी प्रक्रिया संपूर्ण रूप से स्वचालित है और इसीलिए गुणवत्ता में कमी की आशंका ना के बराबर है। अपनी सी.एस.आर गतिविधियों के एक भाग के रूप में, अर्बन धोबी के माध्यम से विभिन्न गैर सरकारी संगठनों के लिए कपड़े दान करने का विकल्प भी ग्राहकों के लिए उपलब्ध है और हाल ही में उदयपुर और दिल्ली में दो गैर सरकारी संगठनों के साथ करार किया जा चुका है। 'अर्बन धोबी' जल्द ही ग्राहकों के लाभ के लिए नयी योजना लेकर आ रहे हैं जिसके चलते ग्राहकों को 900 रुपये के रिचार्ज पर 1000 पॉइंट्स मिलेंगे जिसमे वह महीने में 5 बार इस सेवा का उपयोग कर सकते है I
अब तक, इस स्टार्टअप ने महीने दर महीने 20 प्रतिशत की वृद्धि की है। उनकी अगले एक वर्ष का लक्ष्य हैं प्रतिदिन 200 आदेश प्राप्त करना। अगले छह महीने में अहमदाबाद, कोटा, चंडीगढ़ , इंदौर, पुणे और हैदराबाद में अपनी सेवाओं का विस्तार की भी योजना है। कहते हैं अगर कदम मज़बूत हों ओर हौसले बुलंद तो कोई भी ताकत एक इंसान को उसकी मंज़िल तक पहुँचने से रोक नहीं सकती और इसी सोच के साथ हम 'अर्बन धोबी' स्टार्टअप को उनके खुशहाल भविष्य की शुभकामनाएँ देते हैं I