दिल्ली का यह स्टार्टअप छोटे किराना व्यापारियों के लिए बना मसीहा
भारत में कुल 12 मिलियन (1करोड़ 20 लाख) किराना स्टोर हैं और उनमें से लगभग 1 लाख स्टोर्स तकनीक से पूरी तरह से अछूते हैं। मैक्स होलसेल इस परिदृश्य को बदलने की कोशिश में लगा हुआ है।
भारत में करोड़ों की संख्या में किराना स्टोर्स मौजूद हैं और देश में इस्तेमाल होने वाले ग्रॉसरी उत्पादों का 90 प्रतिशत इन स्टोर्स के माध्यम से ही बिकता है। जबकि, ये स्टोर्स छोटे-छोटे री-स्टॉकिंग ऑर्डर्स देते हैं, जो बड़ी एफ़एमसीजी कंपनियों के बिल्कुल भी लाभप्रद नहीं होते।
रामा शेट्टी हैदराबाद में तीन डिपार्टमेंटल स्टोर्स के मालिक हैं। वह एक थोक विक्रेता हैं और कन्ज़्यूमर गुड्स जैसे कि बिस्किट, जूस, नमक और शैंपू आदि सामानों की सप्लाई का काम करते हैं। उनके स्टोर का माल उनके परिवारवालों के स्टोर्स में ही सप्लाई होता है। रामा शेट्टी और उनके जान-पहचान वालों का पूरा बिज़नेस बिना किसी तकनीकी सहायता के चल रहा है और यही वजह है कि उनके बिज़नेस क्षमता के मुताबिक़ विकास नहीं कर पा रहे हैं। रेवेन्यू का आंकड़ा 1 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है लेकिन इसके आगे का रास्ता बेहद मुश्किल हो चला है क्योंकि तकनीकी जागरूकता के अभाव में रामा शेट्टी और उनके पार्टनर्स मिलकर भी 4,000 से अधिक स्टॉक कीपिंग यूनिट्स का प्रबंधन नहीं कर पा रहे।
अर्नस्ट ऐंड यंग के मुताबिक़, भारत में कुल 1 करोड़, 20 लाख किराना (ग्रॉसरी) स्टोर्स हैं और रीटेल इंडस्ट्री 650 बिलियन डॉलर्स तक पहुंच चुकी है। इंडस्ट्री में लगभग 1 लाख होलसेलर्स काम कर रहे हैं। इन होलसेलर्स में से कुछ चुनिंदा व्यापारियों को छोड़ दें तो शायद ही किराना व्यापारी अपने बिज़नेस को बढ़ाने के लिए तकनीक का सहारा लेते हैं। भारत की किराना रीटेल इंडस्ट्री के इस परिदृश्य को बदलने का जिम्मा उठाया है, दिल्ली आधारित स्टार्टअप ‘मैक्स होलसेल’ ने। इस स्टार्टअप ने वही बिज़नेस मॉडल अपनाया है, जिसके आधार पर एफ़एमसीजी कंपनियां (सप्लायर्स) रीटेलर्स के साथ रियल टाइम बिज़नेस करती हैं।
समर्थ अग्रवाल और रोहित नारंग द्वारा शुरू किया गया यह स्टार्टअप न सिर्फ़ टेक प्लेटफ़ॉर्म उपलब्ध कराता है, बल्कि वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स की सुविधाएं भी मुहैया कराता है। ऑटोमैटिक सिस्टम की मदद से ऑर्डर लेने की लागत न के बराबर आती है। आज की तारीख़ में 120 एफ़एमसीजी कंपनियां और 5000 किराना स्टोर्स मैक्स होलसेल के साथ जुड़े हुए हैं। रीटेलर्स (खुदरा व्यापारियों) को सबसे पहले गूगल प्ले स्टोर से मैक्स होलसेल का ऐप डाउनलोड करना होता है और उसमें अपना रजिस्ट्रेशन कराना होता है।
समर्थ ने बताया कि रजिस्ट्रेशन के बाद अकाउंट अप्रूवल के लिए कंपनी की ओर से संपर्क किया जाता है। इसके बाद खुदरा व्यापारी उत्पादों और उनकी क़ीमतों का पूरा ब्यौरा देख सकते हैं और अपनी ज़रूरत के हिसाब से स्टॉक में से सामान ऑर्डर कर सकते हैं। समर्थ ने जानकारी दी कि वेयरहाउस ऑपरेशन्स की टीम एक घंटे के भीतर ऑर्डर पैक कर देती है और सामान शिपमेंट के लिए तैयार हो जाता है। इसके बाद, अगली ही सुबह लॉजिस्टिक्स टीम ऑर्डर को निर्धारित पते पर पहुंचा देती है।
क़ीमत और लागत में पारदर्शिता की वजह से मैक्स होलसेल पर खुदरा व्यापारियों का भरोसा लगातार बढ़ रहा है और साथ ही, उन्हें बैनर विज्ञापनों और डिजिटल मार्केटिंग की सुविधाओं से भी पर्याप्त लाभ मिल पा रहा है। इन व्यापारियों को प्रचलन में आने वाले नए उत्पादों के बारे में जानकारी मिल रही है। डिलिवरी की तेज़ी से इनवेंटरी तैयार करने में कम मेहनत लगती है, वर्किंग कैपिटल भी कम हो पाता है और विविध तरह के उत्पादों तक पहुंच बन पाती है।
कैसे हुई शुरुआत?
समर्थ ने आईआईटी दिल्ली से कम्प्यूटर साइंस और मैथ्य में इंजीनियरिंग की डिग्री ली और मैक्स होलसेल की शुरुआत करने से पहले वह एक बी टू सी (B2C) स्टार्टअप, ‘गेट चैट’ चला रहे थे, जहां पर उन्होंने छोटे किराना स्टोर मालिकों के लिए एक ऐप तैयार की थी, जो स्टोर ऑपरेशन्स के छोटे-छोटे कामों में स्टोर मालिकों को तकनीकी मदद मुहैया कराता था। इस ऐप के माध्यम से स्टोर मालिक, स्टोर का डिजिटल रेकॉर्ड रखने के साथ-साथ कैटेलॉग आदि भी शेयर कर सकते थे। इसके अलावा, स्टोर मालिक अपने ग्राहकों से चैट पर बात भी कर पाते थे। कुछ वक़्त बाद ही समर्थ को इस बात का पता चल गया कि अधिकतर छोटे और मध्यम स्तर के किराना स्टोर मालिक तकनीक को तवज्जोह नहीं देते और उनके बीच इस तरह के किसी प्रयोग को प्रचलित करना है तो उसे मुनाफ़े की बढ़ोतरी के कारक से जोड़ना होगा।
2015 में समर्थ की मुलाक़ात रोहित से हुई, जिनका परिवार पिछले 60 सालों से खुदरा व्यापार से जुड़ा हुआ है और दिल्ली के हौज़ खास में उनका एक स्टोर है। रोहित को समर्थ का ‘गेट चैट’ काफ़ी पसंद आया और उन दोनों की आपस में दोस्ती हो गई। रोहित ने अपने बिज़नेस से जुड़ी चुनौतियों को समर्थ के साथ साझा किया और दोनों ने इन चुनौतियों के उपाय खोजने शुरू कुए। इस रिसर्च के फलस्वरूप ही 2016 के अप्रैल महीने में ‘मैक्स होलसेल’ की शुरुआत हुई। 2016 में समर्थ ने गेट चैट की अपनी तकनीक को बीटूबी कैटेगरी में शिफ़्ट कर दिया और रोहित ने उनके नए स्टार्टअप में निवेश किया।
छोटा बिज़नेस, बड़ी चुनौतियां
भारत में करोड़ों की संख्या में किराना स्टोर्स मौजूद हैं और देश में इस्तेमाल होने वाले ग्रॉसरी उत्पादों का 90 प्रतिशत इन स्टोर्स के माध्यम से ही बिकता है। जबकि, ये स्टोर्स छोटे-छोटे री-स्टॉकिंग ऑर्डर्स देते हैं, जो बड़ी एफ़एमसीजी कंपनियों के बिल्कुल भी लाभप्रद नहीं होते। समर्थ कहते हैं, “कंपनियां छोटे किराना स्टोर्स को अच्छी सप्लाई मुहैया नहीं करा पातीं। इन ऑर्डर्स को कलेक्ट करने में काफ़ी पैसा खर्च हो जाता है। इन वजहों से ही अक्सर छोटे किराना स्टोर्स में 25 प्रतिशत उत्पादों का स्टॉक ख़त्म हो जाता है।”
किराना स्टोर्स को 3 प्रतिशत मुनाफ़ा मिलता है और इस वजह से अगर सप्लाई चेन की प्रक्रिया में किसी तरह की दिक्कत आती है या फिर नकदी का ठीक तरह से प्रबंधन नहीं हुआ तो इसका बुरा असर उनके मासिक व्यापार पर पड़ता है। एफ़एमसीसी कंपनियों की सप्लाई चेन में निर्माता, बिचौलिए, डिस्ट्रीब्यूटर्स, होलसेलर्स और रीटेलर्स सभी शामिल होते हैं। एजेंट्स की मदद से उत्पाद डिस्ट्रीब्यूटर्स तक पहुंचते हैं और कंपनियां क्षेत्र के हिसाब से डिस्ट्रीब्यूटर निर्धारित करती हैं और इनकी मदद से इलाके के रीटेलर्स के पास उत्पाद पहुंचते हैं।
समर्थ कहते हैं कि आमतौर पर ये सभी काम बिना किसी तकनीकी मदद के किए जाते हैं। हज़ारों की संख्या में छोटे किराना स्टोरों को माल भेजने के बजाय डिस्ट्रीब्यूटर बड़े थोक व्यापारियों को छूट के साथ माल बेच देते हैं और इन थोक व्यापारियों से माल ख़रीदना खुदा व्यापारियों की मजबूरी बन जाती है। समर्थ मानते हैं कि भारतीय बाज़ार में उत्पादों के प्रति जागरूकता और उनकी उपलब्धता के बीच का अंतर काफ़ी बड़ा और गहरा है।
अब तरीक़े से हुए पहले से बेहतर
मैक्स होलसेल ने सबसे पहले दक्षिणी दिल्ली के कुछ चुनिंदा बाज़ारों में माल की सप्लाई शुरू की। कंपनी के दोनों फ़ाउंडर्स ने स्टोर-स्टोर जाकर, खुदरा व्यापारियों को अपनी सुविधाओं के बारे में जानकारी देना शुरू किया और 50 व्यापारियों को अपने साथ जोड़ा। धीरे-धीरे ऑर्डर्स मिलने लगे। खुदरा व्यापारियों को मन में कई तरह के सवाल थे, जैसे कि क्या मैक्स होलसेल से डिलिवरी लेने के लिए उन्हें किसी तरह की अतिरिक्त क़ीमत चुकानी पड़ेगी? क्या उत्पाद ठीक होंगे? माल ख़राब निकलने की सूरत में वापसी कैसे होगी?
कुछ समय बाद खुदरा व्यापारी मैक्स होलसेल की सुविधाओं को लेकर आश्वस्त होने लगे और स्टार्टअप का बिज़नेस बढ़ने लगा। स्टार्टअप के ऑपरेशन्स पर नोटबंदी और जीएसटी का काफ़ी असर पड़ा और उनका बिज़नेस भी धीमा हो चला। कंपनी अभी तक मुनाफ़े की स्थिति में नहीं आई है, जबकि कंपनी को इंडिया ऐंजल नेटवर्क की ओर से 1 मिलियन डॉलर्स का निवेश मिल चुका है। कंपनी ने रेवेन्यू के संबंध में कोई भी पुख़्ता जानकारी उपलब्ध नहीं कराई। हाल में, मैक्स होलसेल सिर्फ़ दिल्ली में ही अपनी सुविधाएं मुहैया करा रहा है और कंपनी को योजना है कि अगले साल की शुरुआत तक भारत के अन्य बाज़ारों तक भी कंपनी की सुविधाओं को पहुंचाया जाए।
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