ट्रांसजेन्डर्स को प्रशिक्षित कर उन्हें रोजगार दे रहा है मुंबई का ये कैफे
'थर्ड आई कैफे' इस तरह बदल रहा है लोगों का नज़रिया...
नवी मुंबई में एक कैफे ट्रांसजेंडर्स को रोजगार देकर पूरे देश के लिए एक उदाहरण स्थापित कर रहा है। नवी मुंबई के वाशी में स्थित 'थर्ड आई कैफे' ट्रांसजेंडरों को गेस्ट की सेवा के लिए रोजगार देता है।
ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को अक्सर भेदभाव का सामना करना पड़ता है और ये भी सच है कि अक्सर उन्हें नौकरी करने के अवसर नहीं मिलते, लेकिन 'थर्ड आई कैफे' अपनी पहल से बदलना चाहता है समाजिक दृष्टिकोण।
काफी सुधार होने के बावजूद देश में ट्रांसजेन्डर्स को अलग निगाह से देखा जाता है। पढ़ाई से लेकर रोजगार पाने में इन्हें कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है ये हम आए दिन खबरों में पढ़ते रहते हैं। एक आम धारणा है कि यदि ट्रांसजेन्डर है तो वह शादी ब्याह के मौकों पर बधाई देने या ट्रेनों, बसों में लोगों से पैसे मांग कर गुजारा करता होगा लेकिन अब ये धारणा टूट रही है। नवी मुंबई में एक कैफे ट्रांसजेंडर्स को रोजगार देकर पूरे देश के लिए एक उदाहरण स्थापित कर रहा है। नवी मुंबई के वाशी में स्थित 'थर्ड आई कैफे' ट्रांसजेंडरों को गेस्ट की सेवा के लिए रोजगार देता है।
फर्स्टपोस्ट से बात करते हुए 'थर्ड आई कैफे' के संस्थापकों में से एक निमेश शेट्टी ने कहा कि, "यह एक ऐसा मंच है जहां ट्रांसजेन्डर लोग आकर खुद को प्रशिक्षित करने के साथ-साथ जीवन में प्रगति प्राप्त कर सकते हैं।" निमेश शेट्टी बताते हैं कि वे आर्किटेक की पढाई के दौरान एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे। उस दौरान उनकी नजर किन्नरों की बदहाली पर पड़ी। इसके बाद उन्होंने किन्नरों के लिए काम करने वाली कई गैर सरकारी संस्थाओं से संपर्क किया।
ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को अक्सर भेदभाव का सामना करना पड़ता है। और अक्सर उन्हें नौकरी के अवसर नहीं मिलते। लेकिन अब अपनी इस पहल के साथ, 'थर्ड आई कैफे' समाज में लोगों के समग्र दृष्टिकोण को बदलना चाहता है। कैफे का मानना है कि ट्रांसजेंडर समुदाय किसी भी सहानुभूति की तलाश नहीं कर रहा है, बल्कि वह नौकरी के अवसरों की सही तरीके से तलाश कर रहा है।
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शेट्टी कहते हैं कि, उन्होंने तय किया कि किन्नरों को लेकर लोगों के मन में बनी धारणा बदलना जरुरी है। यह तभी संभव होगा जब उन्हें बेहतर रोजगार मिले' बस यहीं से शुरू हुआ थर्ड आई कैफे और आज लोगों के लिए मिसाल पेश कर रहा है।
'थर्ड आई कैफे' में टेबल पर खाना परोसने वाली (बेटर) सना खन्ना को कई नौकरियों से खारिज कर दिया गया क्योंकि वह एक ट्रांसजेन्डर हैं। 'थर्ड आई कैफे' में काम करने से पहले सना खन्ना लोगों के घर जाकर गाने बजाने व यजमानों को आशीष देने का काम करती थीं। सना ने भेदभाव के बारे में बात करते हुए कहा हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि, "हम कहते हैं कि भारतीय समाज बदल रहा है, लेकिन असल में ये मामला नहीं है। हम अभी भी लोगों द्वारा अलग तरीके से देखे जाते हैं।"
इस कैफे की खास बात ये भी है कि यहां मौजूद कर्मचारी केवल जरूरत पड़ने पर ही लोगों से अंग्रेजी में बात करते हैं। नहीं तो वे सभी से केवल हिंदी में बात करते हैं और गुड मॉर्निंग या ईवनिंग की जगह केवल नमस्कार करते हैं। यहां मौजूद ट्रांसजेंडर ज्यादा पढ़े लिखे नहीं हैं लेकिन उन्हें प्रशिक्षण दिया गया है। जिससे उन्हें लोगों से बात करने में सहूलियत हो। ये एक बड़ी सकारात्मक पहल है जो ट्रांसजेंडर्स के प्रति लोगों की सोच बदलने में अहम भूमिका निभाएगी।
वर्तमान में कैफे में ट्रांसजेंडर समुदाय के छह कर्मचारी हैं। जिनमें चार बेटर का काम करते हैं एक किचन में और एक मैनेजकर का काम करता है। कैफे में लगभग 20 लोग काम करते हैं। लेकिन कैफे भविष्य में ट्रांसजेंडर समुदाय से और लोगों की हायरिंग करने का प्लान बना रहा है।
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