भारत में LGBTQIA+ समुदाय के 10 में से 9 लोग खर्च के बजाय बचत को देते हैं प्राथमिकता: सर्वे
37 अंक के प्रोटेक्शन कोशेंट के साथ LGBTQIA+ समुदाय वित्तीय तैयारियों के मामले में डिजिटल रूप से सक्रिय शहरी भारतीयों से 17 अंक पीछे है. शहरी भारतीयों का स्कोर 54 अंक है. इससे इतर, जागरूकता के मामले में इस समुदाय ने बाजी मारी है. समुदाय में करीब 99% लोग जीवन बीमा प्रोडक्ट्स के बारे में जानते हैं.
मैक्स लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड (मैक्स लाइफ) के अहम अध्ययन इंडिया प्रोटेक्शन कोशेंट सर्वे (आईपीक्यू) में जीवन बीमा के दृष्टिकोण से भारत के LGBTQIA+ समुदाय की वित्तीय तैयारियों को लेकर महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए हैं. आईपीक्यू को कांतार के साथ मिलकर अंजाम दिया गया है. LGBTQIA+ समुदाय से जुड़े निष्कर्ष सामने लाने के लिए प्राइड सर्किल से साझेदारी की गई. यह भारत में विविधता एवं समावेश को लेकर प्रयासरत अग्रणी एडवाइजरी फर्म है. यह अध्ययन इस विविधतापूर्ण समुदाय की विशेष वित्तीय जरूरतों को समझने और उनसे जुड़ी चुनौतियों को दूर करने की दिशा में उल्लेखनीय कदम है.
‘वन इंडिया – प्रोटेक्शन फॉर ऑल’ (एक भारत – सभी की सुरक्षा) के अपने दृष्टिकोण के तहत इस देशव्यापी सर्वेक्षण में पहली बार LGBTQIA+ समुदाय को शामिल किया गया, जिससे उनकी वित्तीय तैयारियों को समझा जा सके. भारत की 140 करोड़ की आबादी में करीब 13.5 करोड़ यानी लगभग 10 प्रतिशत लोग LGBTQIA+ समुदाय का हिस्सा हैं. यह बहुत बड़ा वर्ग है, जिसकी वित्तीय जरूरतों एवं चुनौतियों की अनदेखी नहीं की जा सकती है.
37 अंक के प्रोटेक्शन कोशेंट के साथ LGBTQIA+ समुदाय वित्तीय तैयारियों के मामले में डिजिटल रूप से सक्रिय शहरी भारतीयों से 17 अंक पीछे है. शहरी भारतीयों का स्कोर 54 अंक है. इससे इतर, जागरूकता के मामले में इस समुदाय ने बाजी मारी है. जागरूकता, समझ और वित्तीय योजनाओं के लिए सक्रियता के मामले में LGBTQIA+ समुदाय आगे है. इस समुदाय में करीब 99 प्रतिशत लोग जीवन बीमा प्रोडक्ट्स के बारे में जानते हैं. हालांकि इतनी अधिक जागरूकता के बावजूद मात्र 68 प्रतिशत लोगों ने जीवन बीमा लिया हुआ है, जबकि डिजिटल रूप से सक्रिय शहरी भारतीयों में 80 प्रतिशत के पास जीवन बीमा है.
मैक्स लाइफ के सीईओ एवं मैनेजिंग डायरेक्टर प्रशांत त्रिपाठी ने कहा, “भारत एक अधिक समावेशी एवं टिकाऊ भविष्य की ओर कदम बढ़ा रहा है और ऐसे में एक व्यापक वित्तीय समाधान तैयार करने की जरूरत पहले से कहीं अधिक है. हमारा इंडिया प्रोटेक्शन कोशेंट सर्वे हमारे इसी मिशन का महत्वपूर्ण हिस्सा है. इससे न केवल जीवन बीमा को लेकर जागरूकता का पता चलता है, बल्कि वित्तीय सुरक्षा को लेकर ज्यादा गहरी और पक्षपात से रहित समझ बनाने में भी मदद मिलती है. इस साल सर्वेक्षण में LGBTQIA+ समुदाय को शामिल करते हुए इंडिया प्रोटेक्शन कोशेंट ने विविधता, समावेश एवं सभी भारतीयों के लिए वित्तीय सुरक्षा तक समान पहुंच की दिशा में हमारी प्रतिबद्धता को मजबूती दी है. हम यह सुनिश्चित करने के लिए समर्पित हैं कि हर किसी को वह सुरक्षा मिलनी चाहिए, जिसका उन्हें अधिकार है. हम ऐसा समाज बनाने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं, जहां हर जीवन मूल्यवान हो और सुरक्षित हो.”
प्राइड सर्किल के को-फाउंडर रामकृष्ण सिन्हा ने कहा, “मैक्स लाइफ के इंडिया प्रोटेक्शन कोशेंट अध्ययन में LGBTQIA+ समुदाय को शामिल करना इस समुदाय के समक्ष आने वाली चुनौतियों और बाधाओं को दूर करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है. हमें आशा है कि इससे इस समुदाय की ओर ध्यान जाएगा और उनकी जरूरतों को समझने में मदद मिलेगी. इससे उनके बीच जीवन बीमा के महत्व को लेकर समझ गहरी होगी. प्राइड सर्किल में हम LGBTQIA+ समुदाय को सक्षम बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और यह उनके वित्तीय कल्याण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है.”
जीवन बीमा उत्पादों को लेकर LGBTQIA+ समुदाय की जागरूकता का स्तर आश्चर्यजनक रूप से बहुत ऊपर है. 82 प्रतिशत लोग टर्म लाइफ इंश्योरेंस और 88 प्रतिशत सेविंग्स लाइफ इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स के बारे में जानते हैं. यह डिजिटल रूप से सक्रिय शहरी भारत की तुलना में थोड़ा अधिक है. डिजिटल रूप से सक्रिय शहरी भारतीयों में 81 प्रतिशत लोग टर्म लाइफ इंश्योरेंस और 79 प्रतिशत लोग सेविंग्स लाइफ इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स के बारे में जानते हैं.
हालांकि ज्यादा प्रीमियम (35 प्रतिशत) और स्वास्थ्य बीमा की तरफ ज्यादा रुझान (48 प्रतिशत) इस समुदाय के लोगों द्वारा जीवन बीमा लेने की राह में दो सबसे बड़ी बाधाएं हैं. इसके अतिरिक्त, 80 प्रतिशत से ज्यादा प्रतिभागियों ने अपनी जीवन बीमा पॉलिसियों में अपने माता-पिता को नॉमिनी बनाया है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर औसतन 15 से 25 प्रतिशत प्रतिभागियों ने ही अपने माता-पिता को नॉमिनी बनाया है.
कुला मिलाकर, यह वर्ग टर्म प्रोडक्ट्स के बारे में जागरूक है, लेकिन डिजिटल रूप से सक्रिय शहरी लोगों की तुलना में ऐसे प्रोडक्ट्स लेने वालों की संख्या कम है. इसके साथ ही, यूलिप और मार्केट-लिंक्ड प्रोडक्ट्स लेने और इनके बारे में जागरूकता के मामले में यह समुदाय पीछे है, जो दिखाता है कि इस इंडस्ट्री के लिए समुदाय के लोगों के बीच पहुंचने और उन्हें इन प्रोडक्ट्स के बारे में जागरूक करने की व्यापक संभावनाएं हैं.
LGBTQIA+ समुदाय के प्रतिभागियों ने जो चिंताएं व्यक्त कीं, उनसे वित्तीय संवेदनशीलता के प्रति उनकी उच्च जागरूकता सामने आती है, विशेषरूप से बढ़ते मेडिकल खर्च और महंगाई के दबाव को लेकर वे जागरूक हैं. इन चुनौतियों के बावजूद यह समुदाय वित्तीय अनुशासन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर अडिग है. 10 में से 9 प्रतिभागियों ने खर्च पर बचत को प्राथमिकता दी. यह दिखाता है कि LGBTQIA+ समुदाय वित्तीय रूप से सुरक्षित भविष्य को लेकर कितनी आगे की सोच रखता है. समुदाय का बड़ा हिस्सा अपनी आय से निश्चित राशि (30 प्रतिशत) की बचत करता है. डिजिटल रूप से सक्रिय लोगों में यह 36 प्रतिशत है. वहीं डिजिटल रूप से सक्रिय लोगों की तुलना में इस समुदाय का लक्जरी पर खर्च 14 की तुलना में 19 प्रतिशत और सामान्य खर्च 28 की तुलना में 33 प्रतिशत है.
LGBTQIA+ समुदाय जीवन बीमा सेक्टर में निजी कंपनियों को ज्यादा प्राथमिकता देता है. करीब 80 प्रतिशत ने निजी कंपनियों को प्राथमिकता दी. वहीं आईपीक्यू के डिजिटल प्रतिभागियों में केवल 40 प्रतिशत ने निजी कंपनियों का पक्ष लिया. प्रतिभागियों ने यह भी बताया कि वे LGBTQIA+ सहयोग समूहों और फोरम से बहुत प्रेरित हुए हैं और किसी तरह के वित्तीय फैसले लेने के मामले में समुदाय से जुड़े इन्फ्लूएंसर्स पर भरोसा करते हैं और उनका अनुसरण भी करते हैं.
मैक्स लाइफ सभी वर्गों एवं सामाजिक समुदायों के अपने ग्राहकों की बदलती जरूरतों को पूरा करने की दिशा में सतत रूप से प्रयासरत है. इंडिया प्रोटेक्शन कोशेंट सर्वे जैसी पहल के माध्यम से कंपनी देश में वित्तीय तैयारियों को लेकर महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे आधुनिक ग्राहकों की जरूरतों के अनुरूप विशेष रूप से तैयार वित्तीय सुरक्षा के समाधान पेश करने में मदद मिलती है.