यमदूत बनीं अल्ट्रासाउंड मशीनें, बेटियों को मौत की नींद सुलाकर मालामाल हो रहे 'धरती के भगवान'
कन्या भ्रूण हत्या पर विशेष कवरेज...
एक गहरी छानबीन में पता चला है कि देश का ऐसा कोई राज्य नहीं, जहां बड़े पैमाने पर कन्या भ्रूण हत्याएं नहीं हो रही हैं। अल्ट्रॉसाउंड मशीनें तो जैसे यमदूत बनकर आई हैं। हल्के वजन की चाइनीज मशीनों ने तो कातिलों का काम और ज्यादा आसान कर दिया है। धरती के भगवान अजन्मी कन्याओं को मौत की नींद सुलाकर मालदार होते जा रहे हैं। दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड आदि राज्यों में छापेमारी के दौरान ऐसे अनेक वाकयात सामने आए हैं, जहां एक गिरोह के रूप में घटनाओं को अंजाम देते हुए डॉक्टरों को रंगे हाथ पकड़ा गया है।
गुड़गांव में पकड़ी गई एक भ्रूण हत्यारन तो फर्जी डॉक्टर निकली। पता चला कि हिमाचल की रहने वाली जाली डॉक्टर मनीषा कौशिक तो मात्र दसवीं क्लास पास है और उसकी टीम के सभी सदस्य अनपढ़ हैं। वह मात्र पांच सौ रुपये में भ्रूण हत्याएं कर देती थी।
हमारे देश में अल्ट्रासाउंड मशीनें अजन्मी बेटियों के लिए यमराज बन गई हैं। ऐसे चिकित्सा ठिकाने अजन्मी बेटियों के मुर्दाघर बन चुके हैं। लंबे समय से चल रहे खूनी खेल में इस साल भी कई एक बड़े ऐसे मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें कोख में बेटियों को मारते रंगे हाथ डॉक्टरों को पकड़ा जा चुका है। एक मामला तो ऐसा सामने आया है, जिससे खुलासा हुआ है कि पैसा कमाने के लिए बाकायादा गिरोह बनाकर अजन्मी बेटियों की हत्याओं को अंजाम दिया जा रहा है। इस साल एक वाकया जनवरी में हरियाणा-उत्तराखंड में गर्भहंता गिरोह का उजागर हुआ। ये गिरोह वर्षों से इतने सधे तरीके से घटनाओं को अंजाम दे रहा था कि उत्तराखंड और हरियाणा के पूरे स्वास्थ्य महकमे को इसकी भनक तक नहीं लगी थी।
जनवरी में एक दिन अंबाला (हरियाणा) के सीएमओ डॉ.विनोद गुप्ता की अगुवाई में एक टीम ने आराघर स्थित त्यागी डायग्नोस्टिक सेंटर पर छापा मारकर लिंग जांच करते डॉक्टर समेत चार लोगों को रंगे हाथ दबोच लिया। इनमें से दो हरियाणा के, तीसरा डॉक्टर का कर्मचारी था। देहरादून के थाना डालनवाला में पीसीपी एनडीटी एक्ट में दर्ज मामले के मुताबिक सभी आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया। रैकेट को दबोचने से पूर्व सीएमओ ने अपने एक कर्मचारी को केमिकल लगे 22 हजार रुपये के नोट दिए। इसके साथ ही अंबाला पुलिस और सीएमओ कार्यालय की संयुक्त टीम ने योजनाबद्ध तरीके से दो गर्भवती महिलाओं को वे 22 हजार रुपए देकर डायग्नोस्टिक सेंटर भेजा।
भ्रूणपात के लिए सेंटर ने 16 हजार रुपये ले लिए। इशारा मिलते ही टीम ने ट्रैप कर केमिकल लगे सोलह हजार रुपए कर्मचारी से बरामद कर लिए। सेंटर के संचालक डॉ.प्रमोद त्यागी को रंगे हाथ पकड़ते हुए अल्ट्रासाउंड मशीन और पोर्टेबल मशीन को सीज कर दिया गया। उसी दौरान छानबीन में पता चला कि उत्तराखंड में 4,344 कन्या भ्रूण हत्याएं हो चुकी हैं। तभी एनुअल सर्वे आफ इंडिया के मुताबिक पता चला कि गर्भपात कराने से पहले भ्रूणपात कराने वाली इन महिलाओं ने अल्ट्रासाउंड कराया था। इसी तरह एक और गिरोहा सोनीपत (हरियाणा) में हाल ही में मार्च में पकड़ा गया। स्वास्थ विभाग में धर दबोचा है।
ये गिरोह भ्रूणपात कराने वाली महिलाओं को कार में बैठाकर कुंडली बॉर्डर की एक सूनसान जगह पर ले जाया करता था। वहीं कार में ही भ्रूण हत्याएं कर दी जाती थीं। सोनीपत स्वास्थ विभाग की टीम ने एक महिला को फर्जी ग्राहक बनाकर इस गिरोह के पास भेजा। जिस समय सूनसान ठिकाने पर कार में डॉक्टर सुभाष जैन महिला का भ्रूणपात करने जा रहा था, टीम ने रंगे हाथ दबोच लिया। उसके साथ एक दलाल और कार के ड्राइवर को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उनसे 30 हज़ार रुपए भी बरामद हुए। इसी तरह गुड़गांव में जिला स्वास्थ्य विभाग की टीम ने राजीव नगर शीतला माता रोड स्थित एप्पल अस्पताल पर छापा मारकर भ्रूण हत्याएं करते दो डॉक्टरों विकास और सोनम को पकड़ा।
सिविल सर्जन डाक्टर पुष्पा बिश्नोई ने बताया कि ये खूनी धंधा शहर में बड़े स्तर पर हो रहा है। गुड़गांव में पकड़ी गई एक भ्रूण हत्यारन तो फर्जी डॉक्टर निकली। पता चला कि हिमाचल की रहने वाली जाली डॉक्टर मनीषा कौशिक तो मात्र दसवीं क्लास पास है और उसकी टीम के सभी सदस्य अनपढ़ हैं। वह मात्र पांच सौ रुपये में भ्रूण हत्याएं कर देती थी। वह अपने आवास पर ही चोरी से क्लिनिक चला रही थी। ये खूनी धंधा शुरू करने से पहले मनीषा ने जयपुर (राजस्थान) जाकर इसका प्रशिक्षण लिया था। अपनी रोजी रोटी चलाने के लिए वह धड़ल्ले से ये गुनाह करती जा रही थी।
उसने हरियाणा में प्रतिबंधित एमटीपी किट गुड़गांव के एक मेडिकल स्टोर से खरीदती थी। छानबीन में पता चला कि इलाके के मेडिकल स्टोर भी ऐसे गिरोहों से मिले हुए हैं। हरियाणा के ही भोंडसी क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने रेलवे रोड स्थित भटनागर मेटरनिटी अस्पताल पर छापा मारा तो अस्पताल की डॉक्टर विनिता भटनागर के निर्देश पर रिसेप्शनिस्ट रेनू भ्रूण हत्याएं करती पकड़ी गई। यमुनानगर (हरियाणा) के भ्रूण हत्यारों पर हेल्थ डिपॉर्टमेंट ने शिकंजा कसा तो पता चला कि उस गिरोह का खूनी कारोबार उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड तक तक फैला हुआ है। गुड़गांव की ही स्वास्थ्य विभाग की टीम ने रेवाड़ी क्षेत्र में कन्या भ्रूण हत्याएं करने वाले एक अन्य फर्जी डॉक्टर को दबोचा तो पता चला कि वे झूंझनू (राजस्थान) की फर्जी डॉक्टर सरिता और झोला छाप डॉक्टर चरण सिंह सुनसान इलाके के एक मकान में अपने अवैध घरेलू क्लिनिक में भ्रूण हत्याएं करते थे। वे अल्ट्रा साउंड के रूप में एक टीवी सेट, प्यानो, माइक और डीवीडी प्लेयर का इस्तेमाल करते थे।
ऐसा नहीं कि डॉक्टरों, अस्पतालों, मेडिकल दुकानदारों का यह मिला जुला गिरोह सिर्फ हरियाणा में ही इतना सक्रिय है। अन्य राज्यों में भी इसी तरह खुलेआम कानून को ठेंगा दिखाते हुए लगातार घटनाओं को अंजाम दिया जा रहा है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के यश अस्पताल में छापा पड़ा तो पता चला कि डॉक्टर सपना एक-एक लाख रुपए लेकर धड़ल्ले से कन्या भ्रूण हत्याएं करने में जुटी थी। उसकी गिरफ्तारी के लिए स्टिंग ऑपरेशन करना पड़ा। ऐसे ही बिहार की राजधानी पटना में एक डॉक्टर का गिरोह पकड़ा गया। वह बड़े पैमाने पर कन्या भ्रूण हत्याएं कर रहा था।
छानबीन में पता चला कि दंपति डॉ हेना रानी और उसके पति डॉ राज किशोर प्रसाद का गिरोह राजेंद्रनगर रोड नंबर 6-सी स्थित निदान अल्ट्रासाउंड सेंटर में तीन-तीन हजार रुपए लेकर कन्या भ्रूण हत्याएं कराता रहा है। इसी साल मार्च में बिहार के ही मुजफ्फरपुर में एक और कन्या भ्रूण हत्या कांड पकड़ा गया तो शहर के बीस अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर निगरानी बैठानी पड़ी। अब आइए उत्तर प्रदेश का हालात जानते हैं। यहां सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात ये सामने आई कि पीसीपीएनडीटी कानून के संरक्षक ही हत्यारे डॉक्टरों को प्रश्रय दे रहे हैं। इसका खुलासा हुआ आगरा की प्रख्यात डॉक्टर निर्मला चोपड़ा की गिरफ्तारी से।
आगरा के सदर स्थित चोपड़ा सुपर स्पेशिएलिटी हास्पिटल की संचालिका डॉक्टर निर्मल चोपड़ा को रंगे हाथ धर लिया गया। उसके साथ हॉस्पिटल की रिसेप्शनिस्ट तनिशा शर्मा, नेत्रपाल और महिपाल को भी गिरफ्तार कर लिया गया। ये गिरोह तीस-तीस हजार रुपए लेकर कन्या भ्रूण हत्याएं करता था। आगरा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावा राजस्थान और हरियाणा तक के भ्रूण हत्यारे गिरोहों के नेटवर्क में रहता है। बीकानेर (राजस्थान) पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के एक स्टिंग ऑपरेशन में आगरा का भी एमजी रोड स्थित डॉ. अमित गुप्ता का अल्ट्रासाउंड सेंटर पकड़ा जा चुका है। स्टिंग के दौरान टीम डॉ. अमित गुप्ता बीकानेर दबोच ले गई। पिछले साल इस शहर का एक और ऐसा ठिकाना यमुनापार का प्रिया हॉस्पीटल पकड़ में आया था। डॉक्टर राजीव कुमार के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने में लापरवाही का नतीजा ये रहा कि उल्टे डॉक्टर ने ही स्टिंग करने वाले अफसरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया। जिस भी राज्य पर निगाह डालिए, पता चलता है कि धड़ल्ले से कन्या भ्रूण हत्याएं हो रही हैं। कभी कभार चेकिंग के नाम पर कोई कोई डॉक्टर पकड़ लिया जाता है। दिल्ली से राजस्थान तक, झारखंड से छत्तीसगढ़ तक, सभी राज्यों में यह खूनी खेल बदस्तूर जारी है।
हरियाणा के पानीपत से पूरे देश को 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' का संदेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया ही था कि उसके बाद हरियाणा में ही कई जगह अल्ट्रासाउंड मशीनों और सेंटरों को सील कर दिया गया था। जयपुर (राजस्थान) में पिछले साल जब पुलिस कार्रवाई हुई तो पता चला कि दो महिलाएं ही कन्या भ्रूण हत्याएं कराने की दलाली कर रही थीं। राजस्थान की पीसीपीएनडीटी टीम ने नई दिल्ली में इंटरस्टेट डिकाय ऑपरेशन के तहत कार्रवाई की। एमडी डॉ.अशोक कुमार गुप्ता, महिला दलाल ललिता एवं सोनिया कौर को गिरफ्तार कर लिया गया। राज्य समुचित प्राधिकारी पीसीपीएनडीटी एवं मिशन निदेशक को श्रीगंगानगर क्षेत्र के मुखबिर से सूचना मिली थी कि कुछ दलाल गर्भवती महिलाओं को हरियाणा और दिल्ली ले जाकर भ्रूण हत्याएं करवा रहे हैं।
डमी गर्भवती महिला के जरिए दिल्ली के पटेल नगर स्थित किरण डायग्नोस्टिक सेंटर के चिकित्सक डॉ. अशोक गुप्ता को रंगे हाथ दबोचा गया। झारखंड में ऐसे 20 डॉक्टरों की गिरफ्तारी का दावा किया गया है। हरियाणा में एक तरफ सरकार कन्याभ्रूण हत्या को रोकने का कैंपेन चला रही है वहीं, कुछ लोग पोर्टेबल चाइनीज मशीन से चोरी छिपे भ्रूण जांच करने में जुटे हैं जो कन्या भ्रूण हत्या को बढ़ावा दे रहे हैं। सोनीपत की एक आशा वर्कर को नोएडा में जाकर किसी महिला की भ्रूण जांच करवाने का मामला सामने आने के बाद यह बात पूरी साफ हो गई है कि इस काम में आशा वर्कर, अस्पतालों की नर्सें और निजी अस्पतालों में काम करने वाले स्टाफ के अलावा वे डॉक्टर भी शामिल हैं जो यह अवैध काम करके काली कमाई करते हैं।
जांच करने वाली मशीनें चूंकि वजन में काफी हल्की होती हैं, इसलिए चाइनीज पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड मशीन को कहीं भी ले जाकर हत्यारे भ्रूण को मार डालते हैं। इसे एक बैग में रखकर ले जाया जा सकता है। भ्रूण के लिंग जांच के बाद अगर पता चलता है कि बेटी पैदा होगी, तो लोग भ्रूण की हत्या करवा देते हैं। एक और चौंकाने वाली जानकारी के मुताबिक हरियाणा में सख्ती होने के बाद अब उत्तरप्रदेश के कैराना, शामली, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, सरसावा आदि शहरों, कस्बों और दिल्ली के कुछ क्षेत्रों में भी इस नेटवर्क से जुड़ी महिलाएं और डॉक्टर सक्रिय हो गए हैं। कुछ साल पहले हरियाणा से गर्भवती महिलाओं को मेरठ लाकर कन्या भ्रूण हत्याएं कराने वाले गिरोह का खुलासा हो चुका है।
पानीपत स्वास्थ्य विभाग और मेरठ की पुलिस टीम मेरठ के टीपीनगर स्थित डायग्नोसिस सेंटर पर छापा मारकर शताब्दीनगर निवासी डॉक्टर संजय अग्रवाल, सेंटर में काम करने वाले पुष्पेंद्र, दलाल बिंटो को गिरफ्तार कर चुकी है। इसी तरह पानीपत का स्वास्थ्य विभाग भ्रूण हत्या के घिनौने खेल का भंडाफोड़ कर चुका है। इस दौरान एएनएम और तहसील कैंप की अस्पताल संचालिका को भी गिरफ्तार कर लिया गया था, जबकि समालखा की अस्पताल संचालिका डाक्टर और उसका पति फरार हो गए। अन्य राज्यों की तरह पंजाब भी इस कलंक से मुक्त नहीं है। पटियाला के एक निजी क्लिनिक पर छापेमारी के दौरान वहाँ बने 30 फुट गहरे कुएँ से कम से कम 50 अजन्मी लड़कियों के भ्रूण बरामद हो चुके हैं। रोजाना, देश में जो हजारों अजन्मी कन्याओं को मार डालने का खूनी खेल चल रहा है, उनमें से यहां कुछ एक का ही ब्योरा दिया जा रहा है। इससे साफ है कि कानून ऐसे ज्यादातर गिरोहों का कुछ नहीं बिगाड़ पा रहा है। और तो और, कार्रवाई करने वाले तक अपने माथे पर कलंक का टिका लगाए बेशर्मी से इस धतकर्म में शामिल होकर पैसा कमाने में जुट गए हैं।
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