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इंग्लैंड की जेन पार्क और भारत की सुनिधि चौहान में क्या है कॉमन?

इंग्लैंड की जेन पार्क और भारत की सुनिधि चौहान में क्या है कॉमन?

Thursday March 16, 2017 , 5 min Read

जेन पार्क एक ब्रिटिश लड़की हैं और पहली बार अख़बारों में उनका नाम तब छपा था, जब 17 साल की उम्र में उन्होंने ब्रिटेन में चलने वाली एक लॉटरी से करीब साढ़े आठ करोड़ रूपए का इनाम जीत लिया था। जेन पार्क जब बालिग भी नहीं थीं, तभी एक रात में वो करोड़ों की मालकिन हो चुकी थीं। अब आप सोचेंगे कि जेन पार्क को सुनिधि चौहान से क्यों जोड़ा जा रहा है? आपके मन में सवाल कुलबुला रहा होगा कि सुनिधि चौहान तो बॉलीवुड गायिका हैं और उनकी कोई लॉटरी कभी नहीं निकली। फिर दोनोंं में ऐसी कौन-सी समानता है? शायद, खुद सुनिधि भी जेन के साथ नाम जोड़े जाने पर हैरान ही होंगी...

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दो साल पहले एक शो के सिलसिले में मैं मुंबई गया था और सुनिधि चौहान से मिला था। सुनिधि थोड़ी शर्मिली सी हैं और जल्दी खुलती नहीं। सुनिधि दिल्ली की रहने वाली हैं और मेरी उनसे बातचीत शुरू में तो बहुत प्रोफेशनल प्लेटफार्म पर हो रही थी, लेकिन धीरे-धीरे वो मुझसे खुल गईं और दिल्ली और दिल की बातें करने लगीं। आज सुनिधि के बारे में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो आप नहीं जानते। आप भी जानते हैं कि सुनिधि ने सिर्फ 13 साल की उम्र में टीवी के रिएलिटी शो ‘मेरी आवाज़ सुनो’ से बॉलीवुड की दुनिया में अपना कदम रखा। एक तरफ उन्होंने टीवी शो का खिताब जीता और दूसरी ओर उन्हें उसी साल फिल्म ‘शस्त्र’ में गाने का ऑफर भी मिल गया। ये सुनिधि की ज़िंदगी में लॉटरी निकलने की तरह ही था।

जिसकी भी लॉटरी निकल जाए, वो खुश होगा ही। सुनिधि भी खुश थीं। बाल उम्र में उन्हें फिल्में मिल गई थीं। घर की स्थिति बदलने लगी थी। सुनिधि दुनिया की निगाह में सफल थीं। जब वो बीस साल की भी नहीं हुई थीं, उनकी शादी हो गई। हालांकि ये शादी बहुत कम समय चली। साल भर में ही उनका तलाक हो गया। उसके दस साल बाद सुनिधि ने दुबारा शादी की। खैर, मुझे उनकी व्यक्तिगत ज़िंदगी में नहीं झांकना।

मैं तो सिर्फ ये बता रहा हूं कि सुनिधि से जब मैंने कहा कि आजकल रिएलिटी शो के ज़रिए बहुत से बच्चों को नए-नए मौके मिल रहे हैं, तो सुनिधि थोड़ी देर के लिए खामोश हो गईं। फिर धीरे से उन्होंने कहा, कि वे खुद कई रिएलिटी शो में जज बन कर जाती हैं, पर उन्हें कई बच्चों को देख कर लगता है कि काश ये बच्चा इस शो में न जीते।

कोई बच्चा क्यों न जीते? ये मेरा सवाल था।

सुनिधि ने कहा, कुछ बच्चे बहुत टैलेंटेड होते हैं, जब वो शो में जीत जाते हैं, तो उनकी ज़िंदगी एकदम बदल जाती है। पर मुझे लगता है कि उम्र के उस पड़ाव पर अगर वो न होता, तो शायद वो बच्चा उससे बेहतर करता, जो वो सेलेब्रिटी बनकर नहीं कर पाता

मैं गौर से सुनिधि की आंखों में देख रहा था। वहां एक खामोशी बसी थी। सुनिधि कह रही थीं, कि कम उम्र में बहुत कुछ मिल जाना कुछ ऐसा होता है जैसे कली फूल बनने से पहले ही तोड़ ली गई हो। उसका बचपन छिन जाता है। उसकी पढ़ाई रुक जाती है। लोगों की उम्मीदें बढ़ जाती हैं और सबकुछ समय से पहले हो जाता है। पर उस कामयाबी की उम्र लंबी नहीं होती और फिर

कुछ दिन पहले अखबारों में ख़बर छपी थी, कि इंग्लैंड की जेन पार्क अब ज़िंदगी से ऊब गई हैं। कम उम्र में पैसा आया तो शुरू में उन्होंने काफी शॉपिंग की। धीरे-धीरे शॉपिंग से उनका मन भरने लगा और अब वो शॉपिंग के नाम से ही चिढ़ने लगी हैं। उनके सारे दोस्त उनसे छूट चुके हैं। बचपन उनसे छिन गया। और अब वो इतना परेशान हो चुकी हैं कि लॉटरी कंपनी पर मुकदमा करने जा रही हैं, कि बच्चों को लॉटरी नहीं खेलने देना चाहिए। जेन ने रिपोर्टरों से कहा, कि तीन साल पहले उनकी लॉटरी निकली थी। आज वो 21 साल की हैं और लगता है कि ज़िंदगी में कुछ करने को है ही नहीं। उन्होंने कहा कि जैसे ही वो लॉटरी जीतीं, लॉटरी वाली कंपनी ने उनके लिए एक फाइनेंशियल सलाहकार नियुक्त कर दिया। वो जेन को शेयर बाज़ार, बौंड आदि में निवेश करना सीखा रहा था। पर जेन का मानना है कि उनकी वो उम्र इन चीजों के लिए नहीं थी। उन्हें ये सब बहुत ऊबाऊ लगने लगा। उनका मानना है कि उनकी ज़िंदगी के बेहतरीन तीन साल इन पैसों के पीछे खत्म हो गए।उनके जो दोस्त उन्हें छोड़ कर चले गए, उनका भी दुख उन्हें बहुत सालता है। जेन का मानना है कि तमाम लोग उनके विषय में सोचते हैं कि उनकी ज़िंदगी बहुत अच्छी है, आराम से कट रही है। कई लोग ये भी सोचते हैं कि काश ये लॉटरी उनकी निकली होती। पर वे ये नहीं समझते कि बचपन में इन चीजों का मिल जाना दुख का कारण होता है और वो दुखी हैं। उनकी पढ़ाई भी छूट गई, जिसका उन्हें दिल से अफसोस है।ठीक यही बात सुनिधि चौहान भी कह रही थीं, कि दुनिया की निगाहों में उन्होंने बचपन में ही सबकुछ पा लिया, पर कोई इस सत्य को नहीं समझता कि बचपन में निकली ऐसी लॉटरी ज़िंदगी की गाड़ी को किस तरह पटरी से उतार देती है। 

ये सच है। समय से पहले बहुत कुछ मिल जाना दुख का सबब ही होता है। ज़िंदगी में सबकुछ मिलना चाहिए, लेकिन समय पर... क्योंकि, समय से पहले पका फल मीठा नहीं होता!

-संजय सिन्हा