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चौबीसों घंटे दुकान, शापिंग मॉल व सिनेमा हाल खुले रहने से बढ़ेंगे रोज़गार के अवसर

चौबीसों घंटे दुकान, शापिंग मॉल व सिनेमा हाल खुले रहने से बढ़ेंगे रोज़गार के अवसर

Thursday June 30, 2016 , 4 min Read

 केंद्रीय मंतिमंडल ने दुकानों, शापिंग मॉल व सिनेमा हाल सहित अन्य प्रतिष्ठानों को साल भर चौबीसों घंटे खुला रखने की अनुमति देने वाले एक मॉडल कानून को आज मंजूरी दे दी। इस कदम का उद्देश्य रोज़गार सृजन तथा खपत आधारित वृद्धि को बल देना है।

इसके साथ ही इस कानून में पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था के साथ महिलाओं को रात्रिकालीन पारी में काम पर लगाने की अनुमति दी गई है और पेयजल, कैंटीन, प्राथमिक चिकित्सा व बच्चों के लिये पालनाघर जैसी सुविधाओं के साथ कार्य स्थल का अच्छा वातावरण रखने का प्रावधन किया गया है।

वित्त मंत्री अरूण जेटली ने मंत्रिमंडल के फैसलों को लेकर संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य रोजगार सृजन बढाना है। जैसे कि मॉल का मामला है जो कि सप्ताह के सातों दिन खुले रहते हैं और जहां तय कामकाजी घंटे नहीं हैं। उन सभी दुकानों को समय व दिन चुनने की अनुमति दी जानी चाहिए जिनमें कर्मचारियों की संख्या 10 या अधिक है।’ इससे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में ‘द मॉडल शाप्स एंड इस्टेबलिशमेंट (रेग्यूलेशन ऑफ इंप्लायमेंट एंड कंडीशन ऑफ सर्विसेज) बिल 2016’ को को मंजूरी दी गई।

इस कानून के दायरे में वे सभी प्रतिष्ठान आएंगे जिनमें 10 या अधिक कर्मचारी हैं पर यह विनिर्माण इकाइयों पर लागू नहीं होगा। यह कानून इन प्रतिष्ठानों को खुलने व बंद करने का समय अपनी सुविधा के अनुसार तय करने तथा साल के 365 दिन परिचालन की अनुमति देता है। इस माडल कानून के लिए संसद की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी।

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जेटली ने कहा, ‘चूंकि यह राज्य के विषय पर एक मॉडल विधेयक है इसलिए इसे राज्यों को भेजा जाएगा।’ उन्होंने कहा कि इस विधेयक में अनिवार्य अवकाश का उल्लेख है और इसमें महिलाओं को रात्रि (पारी) में काम करने की अनुमति का प्रावधान है।

जेटली ने कहा, ‘हम उन्हें (महिलाओं को) संरक्षण देते रहे हैं, लेकिन उनके साथ भेदभाव हुआ है। इसके अलावा परिवहन व अन्य सुविधाओं के लिए प्रावधान है।’ इस कानून का उद्देश्य अतिरिक्त रोज़गार सृजित करना है क्योंकि दुकानों व प्रतिष्ठानों के पास ज्यादा समय तक खुले रहने की आज़ादी होगी जिसके लिए अधिक श्रमबल की जरूरत पड़ेगी।

यह आईटी व जैव प्रौद्योगिकी जैसे उच्च दक्ष कर्मचारियों के लिए दैनिक कामकाजी घंटों (नौ घंटे) तथा साप्ताहिक कामकाजी घंटों (48 घंटे) में भी छूट देता है। इस कानून को विधायी प्रावधानों में समानता लाने के लिए डिजाइन किया गया है, जिससे सभी राज्यों के लिए इसे अंगीकार करना आसान होगा और देश भर में समान कामकाजी माहौल सुनिश्चित होगा।

संगठनों ने कहा कारोबार का फायदा होगा

खुदरा कारोबार से जुड़े व्यावसायिक संगठनों ने दुकानों, शापिंग मॉल व सिनेमा हाल सहित अन्य प्रतिष्ठानों को साल भर चौबीसों घंटे खुला रखने की अनुमति देने के केंद्रीय मंत्रिमंडल के फैसले में सरकार की मंशा की सराहना की है और कहा है कि इससे खुदरा व्यवसाय, रेस्तरां, सिनेमा और अन्य मनोरंजन कारोबार को फायदा होगा तथा रोज़गार एवं राजस्व में वृद्धि होगी।

कुछ संगठनों ने यह भी कहा है कि इस तरह के फैसले से व्यापारिक समुदाय के समक्ष कुछ जोखिम भी खड़े होंगे। संगठित खुदरा इकाइयों के संगठन रिटेलर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (आरएआई) के मुख्य कार्यकारी कुमार राज़गोपालन ने कहा कि मंत्रिमंडल द्वारा आज स्वीकृत आदर्श दुकान एवं प्रतिष्ठान (रोज़गार एवं नौकरी की दशाओं का विनिमयम) अधिनियम 2015 ‘कंपनियों, कर्मचारियों, सरकार और उपभोक्ताओं, सभी पक्षों के लिए लाभदायक है’। उन्होंने कहा कि यह कदम रेस्तरां, खुदरा, शापिंग माल, सिनेमा एवं मनोरंजन जैसे कारोबार के लिए बहुत ही फ़ायदेमंद है। इससे रोज़गार के नये अवसर पैदा होंगे।

उन्होंने एक बयान में कहा कि आरएआई केंद्र और राज्यों के साथ इस पर मिलकर काम करने को तैयार है। खुदरा दुकानदारों के शीर्ष संगठन कनफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट)ने सरकार की इस पहल का स्वागत किया है। साथ ही उसने कहा है कि इससे दुकानदारों के सामने कुछ जोखिम भी खड़े होने के आसार है।

कैट ने एक बयान में सुझाव दिया है कि राज्यों द्वारा इस कानून के कार्यान्वयन से पहले किसी बड़े शहर के किसी एक बड़े बाजार में इसका प्रायोगिक परीक्षण किया जा सकता है ताकि इसके असर का आकलन किया जा सके। जारी

कैट ने कहा है कि दुकानें रात में भी खुली रहने पर बाजारों में ग्राहकों की आमद में पड़ने वाले फर्क का भी अध्ययन किया जाना चाहिए। कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया व महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने एक संयुक्त बयान में कहा है कि दुकानें चौबिसों घंटे खुले रखने की अनुमति देने के फैसले के कानून व्यवस्था, पर्यावरण, स्वास्थ्य के साथ साथ सामाजिक पारिवारिक मुद्दों पर असर होगा। (पीटीआई)