आचार्य मनोज श्रीवास्तव से जानिए, क्यों ज़रूरी है गृहप्रवेश से पहले वास्तु दोष का निवारण करना?
विश्व की सभी संस्कृतियों में गृहप्रवेश का महत्व है। हर संस्कृति में इसका अलग-अलग विधान है जैसे कि पश्चिमी देशों में इसे हाउस वार्मिंग कहते हैं। भारतवर्ष में गृह प्रवेश एक धार्मिक अनुष्ठान की तरह है। इस विधि में हम गृहस्वामी और उसके परिवार के प्रति शुभेच्छा की कामना करते हैं। साथ ही गृह स्वामी गृह की उर्जाओं से प्रार्थना करता है कि उसकी और उसके परिवार की उन्नति में सहायक बनें।
वास्तु शास्त्र में भी गृहप्रवेश का पूरा विधान दिया गया है साथ ही गृहप्रवेश का मुहुर्त निकालने की पूरी प्रक्रिया सविस्तार बताई गई है। साथ-साथ ये भी बताया गया है कि गृहप्रवेश के पूर्व क्या करना आवश्यक है।
सर्वप्रथम गृह प्रवेश के पूर्व मकान का निर्माण कार्य पूर्ण हो जाना चाहिए। आजकल कई कारणवश ऐसी स्थिति बनती है कि गृहप्रवेश पहले हो जाता है और फिर भी निर्माण-कार्य चलता रहता है जोकि वास्तु-सम्मत नहीं है।
दूसरा महत्वपूर्ण है कि घर के वास्तु दोष का निवारण पहले करें और फिर गृहप्रवेश की पूजा करें।
किसी भी भारतीय पूजा की तरह ही गृहप्रवेश की पूजा-विधि में किसी भी भवन में मौजूद 45 प्रकार की उर्जाओं का आव्हान किया जाता है और उनको प्रसाद देकर खुश किया जाता है। ये उर्जाएं हमारे जीवन के अलग-अलग पहलुओं को व्याख्यित करती हैं। जैसे उत्तर दिशा में उपस्थित भल्लात उर्जा हमारे जीवन और व्यवसाय में विस्तार लाती है, इसी प्रकार दक्षिण में मौजूद पूषा हमें पुष्टता प्रदान करती है, पूर्व में उपस्थित सूर्य की उर्जा हमें ख्याति और उच्च पदप्राप्ति प्रदान करती है, तो दक्षिण पश्चिम में पितृ उर्जा हमारे परिवार को बढ़ाने में सहायक होती है। जीवन के सभी आयाम इन 45 उर्जाओं में समाहित हैं। वास्तु गृह-प्रवेश के समय गृहस्वामी इन सभी उर्जाओं से आशीर्वाद लेता है।
एक वास्तु-सम्मत घर में सभी उर्जाएं संतुलित रूप में रहती हैं और इसके विपरीत जब घर में वास्तु दोष होता है तो कुछ उर्जाएं संतुलित तो कुछ असंतुलित अवस्था में होती हैं। जब हम गृह-प्रवेश कि पूजा में इनका आह्वान करते हैं तो वह जिस अवस्था में हैं संतुलित या असंतुलित हम उसी अवस्था में उनका पूजन करते हैं।
वास्तु दोष के निवारण के बाद जब उर्जाएं पूर्ण रूप से संतुलित अवस्था में आ जाती हैं उसके बाद किया गया गृह प्रवेश गृह-मालिक के लिए और उसके परिवार के लिए अधिक लाभप्रद होता है।
इसके अतिरिक्त हवन वास्तु-पूजन का एक अहम अंग है, कोई भी पूजन बिना हवन के पूर्ण नहीं माना जाता है। हवन के दो प्रमुख उद्देश्य हैं, इन 45 उर्जाओं को आहुति देना और भवन में सकारात्मक उर्जाओं का विस्तार करना। अगर घर में असंतुलित उर्जाएं हैं तो हम एक प्रकार से उनका ही विस्तार कर रहें हैं। वास्तु दोष निवारण से यदि हम इन उर्जाओं को संतुलित कर लेते हैं तो ये अधिक फलदायक बन जाती हैं।
आपके मन में अगर ये प्रश्न उठ रहा है कि आपने तो बिना वास्तु दोष निवारण के ही गृह प्रवेश कर लिया है तो अब क्या करें? इसका भी एक सरल तरीका वास्तु ग्रंथों में दिया गया है। वास्तु-ग्रन्थ कहते हैं कि अगर आप लंबे समय तक घर से बाहर रहे हैं और फिर से गृह प्रवेश कर रहें है तो भी आप वास्तु-पूजन कर प्रवेश कर सकते हैं। इसी प्रकार अगर आपने गृह प्रवेश बिना वास्तुदोष निवारण के कर लिया है तो भी आप वास्तुदोष निवारण कर आप फिर से गृह-शान्ति या वास्तु पूजन कर सकते हैं। इससे आपको सम्पूर्ण लाभ प्राप्त होगा।
आचार्य मनोज श्रीवास्तव ऐसे वास्तु कंसलटेंट और ज्योतिषी हैं जिनको बीस साल से ज्यादा का कॉर्पोरेट लीडरशिप का अनुभव है। वे पूर्व में एयरटेल, रिलायंस और एमटीएस जैसे बड़े कॉर्पोरेट हाउस में वरिष्ठ पदों पर कार्यरत रहे हैं। आजकल वे पूर्ण रूप से एक वास्तु कंसलटेंट और ज्योतिषी के रूप में अपनी सेवाएँ दे रहे हैं।
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