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दो दोस्तों ने 5 साल पहले की इनडोर क्लीन एयर स्टार्टअप की शुरुआत, आज 15 करोड़ का है कारोबार

साल 2017-18 में अभिनव गुप्ता और प्रियांश मुरारका ने मिलकर ActiveBuildings नाम की कंपनी की शुरुआत की. इसकी वेबसाइट के अनुसार, ActiveBuildings आपकी इनडोर वायु का टेस्ट करके आपको ऐसे सॉल्यूशंस मुहैया कराता है जो आपको घर के अंदर स्वच्छ और सुरक्षित हवा में सांस लेने में मदद करती है.

दो दोस्तों ने 5 साल पहले की इनडोर क्लीन एयर स्टार्टअप की शुरुआत, आज 15 करोड़ का है कारोबार

Monday January 30, 2023 , 9 min Read

पढ़ाई से लेकर रोजगार तक के बेहतर अवसर की तलाश में हजारों-लाखों लोग अपने हरे-भरे गांवों-कस्बों को छोड़कर चमचमाते और ऊंची-ऊंची इमारतों वाले कंक्रीट के जंगलों की तरफ भागे चले आते हैं. हालांकि, पिछले कुछ सालों में इन शहरों में प्रदूषण का स्तर इतनी तेजी से बढ़ा है कि लोगों की जान तक लेने लगा है. लाखों लोग सांस लेने में होने वाली समस्या से लेकर थॉयराइड जैसी तमाम तरह की बीमारियों की चपेट में आते जा रहे हैं.

पिछले साल अगस्त में आई एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट में बताया गया कि दुनिया के जिन 20 शहरों में प्रदूषण भयावह रफ्तार से बढ़ रहा है, उसमें भारत के 18 शहर शामिल हैं. यह रिपोर्ट अमेरिकी रिसर्च इंस्टीट्यूट हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट-एचईआई (Health Effects Institute-HEI) ने जारी की थी.

HEI दुनियाभर में वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव पर रिसर्च करने वाली स्वतंत्र और नॉन-प्रॉफिट कॉरपोरेशन है. दरअसल, HEI ने साल 2010 से 2019 तक 7,239 शहरों (50,000 की न्यूनतम आबादी के साथ) में वायु प्रदूषण जोखिम और संबंधित स्वास्थ्य प्रभावों पर डेटा का अध्ययन किया और उसका सारांश पेश किया. यह दुनियाभर के शहरों के लिए वायु गुणवत्ता अनुमान व्यक्त करने के लिए उपग्रहों और मॉडल के साथ जमीन आधारित वायु गुणवत्ता डेटा को जोड़ती है.

इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि पीएम 2.5 प्रदूषण की वजह से दिल्ली और कोलकाता में 2019 में प्रति एक लाख आबादी पर क्रमश: 106 और 99 लोगों की मौतें हुईं.

पिछले साल की शुरुआत में आई विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण के कारण दुनियाभर में 8.1 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान होता है. यह वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 6.1 फीसदी के बराबर है. इसका सबसे अधिक नुकसान निम्न और मध्यम आय वाले देशों को होता है जहां वायु प्रदूषण और उससे जुड़ी बीमारियों से सबसे अधिक मौतें होती हैं.

यही नहीं, HEI के प्रोजेक्ट में सहायक जॉर्ज वाशिंगटन विश्वविद्यालय (George Washington University) के सुसान एनेनबर्ग (Susan Anenberg) ने कहा कि दुनियाभर के अधिकांश शहरों में जमीनी स्तर पर वायु गुणवत्ता की जांच के लिए कोई ठोस प्रणाली नहीं है, वायु गुणवत्ता प्रबंधन से कण और गैस प्रदूषण के स्तर का अनुमान लग सकता है जो ये सुनिश्चित करता है कि हवा स्वच्छ और सांस लेने के लिए सुरक्षित है.

हाल की स्टडीज में यह भी पता चला है कि वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से लोगों के स्वास्थ्य पर COVID-19 की गंभीरता बिगड़ जाती है.

इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए एक्टिव बिल्डिंग्स नाम के स्टार्टअप ने एक ऐसी डिवाइस तैयारी की है जो कि न केवल घरों और ऑफिसों के अंदर प्रदूषित हवा का लेवल पता करती है बल्कि साफ और स्वच्छ हवा पहुंचाने का दावा भी करती है.

मुंबई स्थित ActiveBuildings की शुरुआत साल 2017-18 में बिट्स पिलानी Birla Institute Of Technology And Science–Pilani (BITS–Pilani) के गोवा कैंपस से ग्रेजुएट होने वाले अभिनव गुप्ता और प्रियांश मुरारका ने की थी. अभिनव कंपनी के सीईओ और प्रियांस चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर (CTO) हैं.

ऐसे हुई शुरुआत

अभिनव और प्रियांश ग्रेजुएशन के समय एनर्जी को लेकर काम करते थे. उनका उद्देश्य घरों, इंडस्ट्रीज और फैक्टरियों में इलेक्ट्रिसिटी बिल करने के लिए टेक्नोलॉजी तैयार करने का था.

हालांकि, इस असाइनमेंट के दौरान साल 2014 में जब वे आईआईएम अहमदाबाद (IIM Ahmedabad) के इनक्यूबेटर के साथ संपर्क में आए, तब उन्होंने दोनों फाउंडरों को बढ़ते वायु प्रदूषण से निपटने वाली टेक्नोलॉजी पर काम करने का सुझाव दिया. बस यहीं से अभिनव और प्रियांश ने अपनी दिशा बदल दी.

3 से 4 सालों के रिसर्च के बाद हवा में प्रदूषण के स्तर और उसकी गंभीरता को समझने के लिए एक डिवाइस तैयार की. उन्होंने RESET- प्रमाणित इनडोर पर्यावरण गुणवत्ता (IEQ) निगरानी सेंसर और कम लागत वाली सस्ती हवा को फिल्टर करने वाली डिवाइस तैयारी की.

इसके बाद साल 2017-18 में अभिनव और प्रियांश ने मिलकर ActiveBuildings नाम की कंपनी की शुरुआत की. इसकी वेबसाइट के अनुसार, ActiveBuildings आपकी इनडोर वायु का टेस्ट करके आपको ऐसे सॉल्यूशंस मुहैया कराता है जो आपको घर के अंदर स्वच्छ और सुरक्षित हवा में सांस लेने में मदद करती है.

YourStory Hindi से बात करते हुए अभिनव ने कहा, 'एक 1000 वर्ग फीट के ऑफिस की जगह में 20 लोगों के बीच जब घुटन महसूस होती है, तब उसका मतलब होता है कि कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) का लेवल बढ़ चुका है. प्रदूषण का यह स्तर किसी फिल्टर या प्यूरीफायर से नहीं जाएगा. यह एयर क्वालिटी मैनेजमेंट सिस्टम या फ्रेश एयर सिस्टम से ही जाएगा.'

उन्होंने आगे कहा, 'इस डिवाइस से हम 15 अलग-अलग तरह के वायु प्रदूषण को मॉनिटर कर सकते हैं. इस डिवाइस में हमने एक सिम कार्ड भी लगाया है. चाहे बाहर से आने वाला प्रदूषण हो, चाहे फ्रेश एयर या ऑक्सीजन की कमी हो या रासायनिक प्रदूषण, यह सभी यह मैनेज कर सकता है. हालांकि, इसे मैं केवल एयर प्यूरीफायर नहीं कहूंगा. यह केवल उसका एक भाग है. इसे मैं एयर क्वालिटी मैनेजमेंट सिस्टम ही कहूंगा.'

दो तरह के सॉल्यूशंस कर रहे ऑफर

ActiveBuildings इनडोर क्लीन एयर के लिए दो तरह के सॉल्यूशंस मुहैया कराता है. पहला प्रीमियम क्वालिटी का है. प्रीमियम क्वालिटी का सॉल्यूशंस कॉमर्शियल सेप्स, बड़े ऑफिसों, प्रीमियर हॉस्पिटल और अन्य जगहों पर लगाया जाता है. बंगलों और लग्जरी जगहों पर इन्हें ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है.

वहीं, दूसरा सॉल्यूशन लो कॉस्ट यानि सस्ता है. इस तरह के सॉल्यूशंस को ActiveBuildings की टीम डोनेशन और सीएसआर (CSR) की मदद से स्कूलों, अस्पतालों व अन्य सार्वजनिक व अन्य जगहों पर लगाती हैं.

अभिनव कहते हैं, 'लो-इनकम कम्यूनिटी के लिए बनाए गए सॉल्यूशन में हमने एक बॉक्स बनाया है. उसमें हमने एक ऐसा सिस्टम लगाया है, जो हवा को मॉनिटर करके फिल्टर की शुरुआत कर सकता है और बाहर की हवा को अंदर की तरफ खींच सकता है.'

सब्सक्रिप्शन पर आधारित मॉडल

ActiveBuildings का एयर क्वालिटी मैनेजमेंट सॉल्यूशन सब्सक्रिप्शन पर आधारित मॉडल है. इसके सब्सक्रिप्शन की कीमत प्रति वर्ग फीट प्रति माह के हिसाब से रखी गई है.

अभिनव ने बताया, 'हम 1 रुपये प्रति वर्ग फीट प्रति माह से लेकर 2 रुपये प्रति वर्ग फीट प्रति माह तक की कीमत पर लगाते हैं.  इस हिसाब से साल भर के लिए 12 रुपये प्रति वर्ग फीट से लेकर 24 रुपये प्रति वर्ग फीट का सब्सक्रिप्शन लगता है. सामान्य तौर पर हम 1 से 3 साल के लिए कॉन्ट्रैक्ट करते हैं. इस दौरान हम वहां की पूरी एयर क्वालिटी की जिम्मेदारी लेते हैं. इसमें हमारी जिम्मेदारी होती है कि आपका प्रदूषण लेवल इससे नीचे नहीं जाएगा.'

80 लाख वर्ग फीट में लगाई डिवाइस

अभिनव बताते हैं कि साल 2017-18 में जब उन्होंने अपने कारोबार की शुरुआत की थी, तब उस समय तक तो एप्पल, अमेरिकन एक्सप्रेस जैसी विदेशी कंपनियां ही केवल एयर क्वालिटी को गंभीरता से लेती थीं. हालांकि, कोविड-19 महामारी के आने के बाद लोगों के अंदर ऑक्सीजन लेवल को लेकर भी जागरुकता बढ़ी. उन्हें पता चला कि ऑक्सीजन इस लेवल तक होना बहुत जरूरी है. जबकि बाकी के प्रदूषण का स्तर बहुत नीचे होना चाहिए.

अभिनव ने कहा, साल 2017 में हम जहां केवल 50-60 हजार वर्ग फीट में अपनी डिवाइस लगा पाए थे, तो वहीं आज हम कम से कम 80 लाख वर्ग फीट में अपनी सेवाएं मुहैया करा रहे हैं. हमारी सेवाएं लेने वालों में देश में मौजूद दुनिया की बड़ी बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियां, टाटा और रिलायंस जैसी देश के सबसे बड़ी कंपनियां शामिल हैं. पिछले साल कंपनी का कुल रिवेन्यू 15 करोड़ रुपये का रहा था.

देश में 1000 से अधिक सेंसर और एयर क्लीनर तैनात किए

ActiveBuildings ने पूरे भारत में 1000 से अधिक सेंसर और एयर क्लीनर तैनात किए हैं और भारत और मिडल ईस्ट देशों में 60 लाख वर्ग फुट से अधिक रियल एस्टेट को सस्ती कम लागत वाली एयर क्वालिटी टेस्टिंग मुहैया कराया है.

कंपनी ने एयरोसोल वैज्ञानिकों और इंजीनियरों के एक समुदाय के साथ एक ज्वाइंट ऑपरेशन के तहत स्थानीय स्कूलों और हेल्थकेयर से जुड़े स्थानों को 120 से अधिक कम लागत वाले एयर क्लीनर भी दान किए हैं.

एथेरियम फाउंडर ने 15,000 डिवाइस का ऑर्डर दिया

बता दें कि, पिछले साल अप्रैल में क्रिप्टोकरेंसी एथेरियम (Ethereum) के फाउंडर और रूसी-कनाडाई कंप्यूटर प्रोग्रामर विटैलिक ब्यूटरिन (Vitalik Buterin) की भविष्य में कोविड-19 से लड़ने के लिए बनाए गए Balvi Fund ने ActiveBuildings को महाराष्ट्र और कर्नाटक के सरकारी स्कूलों और अस्पतालों में 10,000 एयर क्लीनर और 5,000 एयर क्वालिटी सेंसर लगाने की जिम्मेदारी सौंपी. इसके लिए Balvi Fund ने ActiveBuildings को 7.5 करोड़ से अधिक रुपये का फंड दिया है.

समझौते के तहत, ActiveBuildings अगले एक साल में 5,000 इनडोर वायु गुणवत्ता मॉनिटर और 10,000 एयर क्लीनर तैनात करेगा ताकि इनडोर वायु प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सके और इनडोर एयर क्वालिटी पर रियल वर्ल्ड डेटा इकट्ठा किया जा सके.

बता दें कि, Balvi Fund सबसे अधिक प्रभावित वाले कोविड प्रोजेक्ट्स के लिए एक डायरेक्ट फंड है. इसका उद्देश्य पारंपरिक फंडिंग सोर्सेज द्वारा अक्सर अनदेखे किए जाने वाले सवालों को संबोधित करना है.

2020 में सरकार के साथ की थी पार्टनरशिप

इससे पहले साल 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान ही डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (DST) ने अपने कवच प्रोजेक्ट के तहत ActiveBuildings के साथ एक प्रोजेक्ट किया था. इसमें ActiveBuildings ने 45 लाख रुपये के एयर क्वालिटी मैनेजमेंट इक्विपमेंट बनाकर उन्हें अस्पतालों व अन्य जगहों पर लगाने के लिए दिए थे.

दरअसल, DST की नॉन प्रॉफिट कंपनी DRIIV, ActiveBuildings को ऐसे अलग-अलग सीएसआर से मिलाती है जिन्हें एयर पॉल्यूशन के लिए अपना सीएसआर खर्च करना होता है.

क्या जायज है साफ हवा मुहैया कराने का कारोबार?

साफ और प्रदूषण रहित हवा और स्वच्छ पर्यावरण संयुक्त राष्ट्र के अनुसार दुनिया के हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट के अलग-अलग फैसलों के माध्यम से स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण भी भारत की जनता को अनुच्छेद 21 के तहत मिला मौलिक अधिकार है.

इसलिए साफ हवा मुहैया कराने का कारोबार करने के बारे में पूछे जाने पर अभिनव ने कहा, आज वायु प्रदूषण को रोकने को लेकर दो नजरिए हैं. पहला पर्यावरण की सुरक्षा करने, उसको लेकर काम करने और जागरुकता फैलाने से जुड़ा है. वहीं दूसरे तरीके पर हम काम कर रहे हैं जहां पर हम लोगों को उनके घर और ऑफिस जैसी जगहों पर साफ हवा मुहैया करा रहे हैं. इंडस्ट्री और फैक्टरियां अभी भी बननी हैं जबकि जलवायु परिवर्तन के कारण तमाम तरह की आपदाएं आने लगी हैं. कैलिफोर्नियां और ऑस्ट्रेलिया के जंगलों में लगने वाली आग को आप कभी भी रोक नहीं पाएंगे.

उन्होंने आगे कहा, बाहर की तरह घर के अंदर का पर्यावरण भी साफ होना बेहद जरूरी है. यह वैसे ही है जैसे कि नदियों को साफ रखना जरूरी है लेकिन हमें घर में भी पानी उबालकर पीना चाहिए. हमें पर्यावरण साफ रखना चाहिए लेकिन घर के अंदर की हवा भी साफ होनी चाहिए.

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