फिर आमने सामने होंगे अडानी-अंबानी, ग्रीन एनर्जी में होने वाली है टक्कर, सेमीकंडक्टर भी बना सकते हैं अडानी
टेलिकॉम के बाद अब ग्रीन एनर्जी (green energy) सेक्टर में देश के दो सबसे रईस व्यक्ति- गौतम अडानी (Gautam Adani) और मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani)- में कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है. अडानी ने ग्रीन एनर्जी सेक्टर में 2030 तक 70 अरब डॉलर के निवेश का लक्ष्य रखा है, वहीं अंबानी ने 75 अरब डॉलर लगाने की घोषणा की है. अडानी ग्रुप हरित ऊर्जा वैल्यू चेन में निवेश बढाने के उद्देश्य से ग्रीन एनर्जी मिशन के तहत सौर मॉड्यूल, पवन टर्बाइन और हाइड्रोजन इलेक्ट्रोलाइजर बनाने के लिए तीन गीगा फैक्ट्रीज लगाने की घोषणा की है. ग्रुप का लक्ष्य 2030 तक दुनिया का सबसे बड़ा रिन्यूएबल एनर्जी प्रॉड्यूसर बनना है.
अडानी ग्रुप की प्रतिद्वंद्वी रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) के चेयरमैन मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) ने कम कॉर्बन उत्सर्जन वाली ऊर्जा में निवेश के तहत पांचवां गीगा कारखाना स्थापित करने की घोषणा की थी. नई गीगा फैक्ट्री में पावर इलेक्ट्रॉनिक्स बनाए जाएंगे. कंपनी ने 2025 तक अपने इस्तेमाल के लिए 20 गीगावाट सोलर एनर्जी का लक्ष्य रखा है.
बुधवार को यूएस इंडिया बिजनेस काउंसिल 2022 (USIBC 2022) ने अडानी ग्रुप (Adani Group) के अध्यक्ष गौतम अडानी (Gautam Adani) को उनके दूरदर्शी नेतृत्व के लिए ग्लोबल लीडरशिप अवार्ड से सम्मानित किया. यह पुरस्कार साल 2007 से ही भारत और अमेरिका के शीर्ष उद्यमियों को द्विपक्षीय व्यापारिक संबंधों को सशक्त बनाने की दिशा में किए गए प्रयासों के लिए दिया जाता है. अभी तक यह पुरस्कार अमेजन के प्रमुख जेफ बेजोस, गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई, नैस्डैक की प्रमुख एडेना फ्रीडमैन, फेडेक्स कॉरपोरेशन के प्रमुख फ्रेड स्मिथ और कोटक महिंद्रा बैंक के प्रमुख उदय कोटक को दिया जा चुका है.
इस समारोह में अडानी ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दे महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि विकसित देशों को विकासशील देशों का समर्थन करने में और अधिक सक्रिय होने की जरूरत की बात की. अमेरिकी जलवायु विधेयक पर हस्ताक्षर के बाद अब दोनों देशों को सहयोग का रास्ता तलाशने के लिए आगे आने की ज़रूरत पर बात करते हुए अडानी ने यह भी कहा कि भारत और अमेरिका को तीन क्षेत्रों में संयुक्त प्रगति दिखानी है - जलवायु परिवर्तन, सेमिकंडक्टर और हेल्थ केयर.
भारत को सेमी-कंडक्टर के निर्माण में आत्मनिर्भर बनने की जरूरत पर बात करते हुए अडानी ने यह भी कहा कि सेमी-कंडक्टर चिप्स की वैश्विक कमी के कारण, जो कारों से लेकर कंप्यूटर, विमान और सैन्य उपकरणों तक सब कुछ चलाने के लिए महत्वपूर्ण है, उद्योगों को नुकसान हो रहा है. आगे कहा कि भारत सरकार सेमी-कंडक्टर चिप्स का घरेलू निर्माण शुरू करना चाहती है, ताकि वह भविष्य में उन्हें निर्यात करने की स्थिति में हो सके.