क्या अडानी संकट का असर देश की दूसरी कंपनियों पर होगा? जानिए अर्थशास्त्रियों का क्या कहना है
अडानी ग्रुप के संकट ने भारत के वैश्विक अर्थव्यवस्था का इंजन बनने और वैश्विक निवेशकों को आकर्षित करने के लिए आवश्यक विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लगा दिया है.
अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) की रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप ब्लूमबर्ग इकॉनमिक्स ने अपनी एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी है.
के शेयरों में नाटकीय गिरावट का असर देश की दूसरी कंपनियों पर पड़ने की संभावना कम है क्योंकि बाकी कंपनियां शेयर मार्केट में बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं.रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड
और टाटा ग्रुप सहित अधिकांश प्रमुख कंपनियों ने भारत के शीर्ष 17 कारोबारी घरानों में गवर्नेंस, लिक्विडिटी और लेवरेज की स्थिति के बीई विश्लेषण में बंदरगाह, हवाईअड्डा से लेकर ऊर्जा सेक्टर में काम करने वाले अडानी ग्रुप की तुलना में अधिक स्कोर हासिल किया है.अर्थशास्त्रियों अभिषेक गुप्ता, सकॉट जॉनसन और टॉम ओर्लिक ने कहा कि अडानी बाकी कंपनियों से अलग हैं लेकिन वे पूरी तरह से भारतीय कारोबार के प्रतिनिधि नहीं हैं. भारतीय कारोबारी अभी एप्पल और टेस्ला जैसी दिग्गज वैश्विक कंपनियों के बराबर रैंकिंग हासिल करने में असफल रही हैं. हालांकि, इनमें से कोई भी गवर्नेंस विफलता के कारण बिखरने नहीं जा रही है.
बता दें कि, बीते 24 जनवरी को अमेरिकी अमेरिकी रिसर्च फर्म और शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने ‘अडानी ग्रुपः हाउ द वर्ल्ड थर्ड रिचेस्ट मैन इज पुलिंग द लारजेस्ट कॉन इन कॉरपोरेट हिस्ट्री' नामक रिपोर्ट में दावा किया है कि अडानी परिवार द्वारा टैक्स हैवन देशों में नियंत्रित की जा रही ऑफशोर कंपनियों के माध्यम से भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग और कर चोरी को अंजाम दिया जा रहा है. इसके साथ ही, ये शेल कंपनियां अडानी ग्रुप के शेयर के दाम बढ़ाने में भी बड़ी भूमिका निभा रही हैं.
हालांकि, अडानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग रिसर्च द्वारा लगाए गए गंभीर आरोपों को ‘‘भारत, उसकी संस्थाओं और विकास की गाथा पर सुनियोजित हमला’’ बताते हुए रविवार को कहा कि आरोप ‘‘झूठ के सिवाय कुछ नहीं’’ हैं.
अर्थशास्त्रियों ने कहा कि इसमें स्वतंत्र रूप से कारोबार योग्य शेयरों का अपेक्षाकृत कम अनुपात है. इसका मतलब है कि संस्थापकों ने शेयरों पर बहुत अधिक नियंत्रण रखा है और इसी वजह से उनकी वैल्यूएशन बहुत अधिक रही है.
रिपोर्ट के अनुसार, अडानी ग्रुप की मुख्य कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड 50 सबसे बड़ी कंपनियों के लिए 33 के औसत के मुकाबले सिर्फ दो विश्लेषकों द्वारा कवर है. हालांकि, अन्य कंपनियों की तुलना में ग्रुप के पास कहीं अधिक कर्ज है, लेकिन इसके लाभ, ब्याज खर्चों को कवर करने के लिए पर्याप्त हैं.
अडानी ग्रुप के संकट ने भारत के वैश्विक अर्थव्यवस्था का इंजन बनने और वैश्विक निवेशकों को आकर्षित करने के लिए आवश्यक विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लगा दिया है.
इस महीने की शुरुआत में, इंडेक्स ऑपरेटर MSCI (Morgan Stanley Capital International) ने अडानी ग्रुप की 4 सिक्योरिटीज के फ्री-फ्लोट डेजिग्नेशन (Free Float Designation) में कटौती कर दी. वहीं, मूडी की इंवेस्टर्स सर्विस ने अडानी ग्रीन एनर्जी और ग्रुप की तीन अन्य कंपनियों को निगेटिव रेटिंग दे दी.
Edited by Vishal Jaiswal