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सेहत को लेकर भारतीयों के असमान रवैये का खुलासा करता एक स्टार्टअप

‘हैल्दी’ भारत का तेजी से विकसित होता डिजिटल प्रीवेंटिव हैल्थ स्टार्टअप है, जो अपने उपयोगकर्ताओं को सेहत के बारे में स्मार्ट विकल्प सुझा कर, उन्हें गंभीर रोगों की चपेट में आने से बचा रहा है। अप्रैल 2014 से कार्यरत इस कंपनी की स्थापना कृष्णा उलागारत्चगन एवं रेकुराम वरदराज ने की थी।

सेहत को लेकर भारतीयों के असमान रवैये का खुलासा करता एक स्टार्टअप

Tuesday April 25, 2017 , 6 min Read

भारत के तेजी से विकास करते सुरक्षात्मक स्वास्थ्य प्रदाता स्टार्टअप ‘हैल्दी’ ने अपनी ‘हैल्दी इन्साइट्स इंडिया 2017’ रिपोर्ट जारी की है, जिसमें अक्टूबर 2015 से मार्च 2017 तक 18 माह के दौरान 1 मिलियन स्वास्थ्य परीक्षणों के आंकड़े, सेहत का इतिहास और जीवन शैली आदि का विश्लेषण मौजूद है। रिपोर्ट से उस गहरे अंतर का पता चला है जो सेहत को लेकर भारतीयों की इच्छाओं और उसे पाने के लिए किये जा रहे उनके वास्तविक प्रयासों के बीच मौजूद है। इसमें यह भी बताया गया है कि सेहत को लेकर लोगों का नजरिया विशेषकर युवा वर्ग में वास्तविकता से कितना दूर हैं।

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अधिकतर भारतीयों के लिए प्रीवेंटिव हैल्थ का मतलब अधिक से अधिक, सेहत का परीक्षण कराने या चिकित्सक से सलाह लेने अथवा प्रार्थना तक ही सीमित है। राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं को लेकर जो चैंकाने वाले आंकड़े सामने आये हैं, वे ये दर्शाते हैं कि इन्हें समय पर जांच व इलाज कराने की कितनी अधिक आवश्यकता है, जैसे कि 26 प्रतिशत से अधिक महिलाएं रक्त की कमी, 88 प्रतिशत महिलाएं विटामिन डी की कमी और 12 प्रतिशत से अधिक महिलाएं असामान्य टीएसएच लेवल से पीड़ित हैं।

हैल्दी के अनुसार बैंगलोर में 98 प्रतिशत महिलाओं और 91 प्रतिशत पुरुषों की प्राथमिकता सेहत है और उन्हें लगता है कि जीवनशैली में बदलाव करने चाहिए, हालांकि 91 प्रतिशत भारतीय सेहत को प्राथमिकता देते हैं और दिनचर्या में बदलाव भी करने को तैयार हैं, परंतु एक तिहाई आबादी समय पर चिकित्सक से मिलने की परवाह नहीं करती। बैंगलोर में वजन की समस्या सबसे ऊपर है, 66 प्रतिशत महिलाओं और 77 प्रतिशत पुरुषों का वजन या तो जरूरत से ज्यादा है या बेहद कम।

हैल्दी’ भारत का तेजी से विकसित होता डिजिटल प्रीवेंटिव हैल्थ स्टार्टअप है, जो अपने उपयोगकर्ताओं को सेहत के बारे में स्मार्ट विकल्प सुझा कर, उन्हें गंभीर रोगों की चपेट में आने से बचा रहा है। अप्रैल 2014 से कार्यरत इस कंपनी की स्थापना कृष्णा उलागारत्चगन एवं रेकुराम वरदराज ने की है। ये क्रमशः स्टेनफोर्ड (यूएस तथा इनसीड) फ्रांस व सिंगापुरद्ध से एमबीए किये हुए हैं। वैज्ञानिक विश्लेषकों, मशीन लर्निंग टैक्नोलाॅजी, समकालीन डिजायन, हैल्थकेअर कंपनियों के सहयोग और अनुसंधान के बल पर ‘हैल्दी’ कंपनी रोगों की रोकथाम के बाजार में व्यापक बदलाव ला रही है। कम समय में इसने काफी तरक्की की है और अब इसकी सेवाएं भारत के 130 शहरों में उपलब्ध हैं। हैल्दी का दावा है कि इसने 10 लाख से अधिक परीक्षण किये हैं, जिनमें उपयोगकर्ताओं की संतुष्टि का स्तर 95 प्रतिशत है। साथ ही इसके 90 प्रतिशत ग्राहक निरंतर इसके साथ हैं। स्वास्थ्य परीक्षणों के लिए इसने भारत की अग्रणी डायगनोस्टिक एवं इमेजिंग लैब्स, क्लीनिक्सअस्पतालों के साथ गठजोड़ किया हुआ है, जिसके चलते ये स्टार्टअप ग्राहकों को 400 से अधिक वैन्यू प्रस्तुत करती है।

'हैल्दी' के हालिया अध्ययन के अनुसार, सेहतमंद होने की शुरुआत हमारी सोच से होती है। जैसा कि अध्ययन में शामिल है कि 91 प्रतिशत लोगों का विश्लेषण करने से पता चला कि वे अच्छी सेहत पाने के लिए जीवन शैली में जरूरी बदलाव लाने के रास्ते पर हैं। बैंगलोर में 98 प्रतिशत महिलाओं और 91 प्रतिशत पुरुषों की प्राथमिकता सेहत है और उन्हें लगता है कि जीवनशैली में बदलाव कर लेने चाहिए। इसमें विरोधाभास ये है कि भारत की कुल आबादी के करीब 28 प्रतिशत लोगो को चिकित्सा की जरूरत है फिर भी ये समय पर चिकित्सक से नहीं मिलते।

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'हैल्दी' रिपोर्ट के अनुसार, बीएफएसआई सेक्टर में 15 प्रतिशत महिलाओं व 29 प्रतिशत पुरुषों, आई टी व इस पर निर्भर सेवाओं के क्षेत्र में 24 प्रतिशत महिलाओं व 42 प्रतिशत पुरुषों, निर्माण क्षेत्र की 12 प्रतिशत महिलाओं और 22 प्रतिशत पुरुषों, रीटेल क्षेत्र में 24 प्रतिशत महिलाओं व 39 प्रतिशत पुरुषों और नाॅन आईटी सेवा क्षेत्र की 11 प्रतिशत महिलाओं व 27 प्रतिशत पुरुषों में कोलेस्ट्रोल का स्तर अधिक पाया गया तथा ये लोग कभी भी मधुमेह व उच्च रक्तचाप की गिरफ्त में आ सकते हैं।

ये जानना दिलचस्प है, कि भारत में 30 साल से कम आयु के लोगों में, 30 प्रतिशत पुरुष व 15 प्रतिशत महिलाएं उच्च रक्तचाप की समस्या से परेशान हैं या इन्हें इसका खतरा बना हुआ है। ऐसे ही, 21 प्रतिशत पुरुषों व 9 प्रतिशत महिलाओ को मधुमेह के खतरा हैं, और 11 प्रतिशत महिलाओं व 23 प्रतिशत पुरुषों को उच्च कोलेस्ट्रोल की समस्या है। 'हैल्दी' ने अपने अध्ययन में सभी पेशेवर कार्यक्षेत्रों को शामिल किया गया है, जैसे कि बीएफएसआई, आईटी व इस पर निर्भर सेवाएं, निर्माण, रीटेल व नाॅन आई टी सेवाएं। रीटेल क्षेत्र में कार्यरत लोगों में मोटापे की समस्या सबसे अधिक पायी गयी, जिनमें 71 प्रतिशत महिलाएं और 83 प्रतिशत पुरुष शामिल हैं। उच्च रक्तचाप एक अन्य बड़ी समस्या है जो कि कामकाजी लोगों से जुड़ी है। ये दोषपूर्ण भोजन, तनाव, मोटापा, निरंतर बैठे रहने, धूम्रपान और मदिरा सेवन आदि से बढ़ती है।

हैल्दी के संस्थापक, रेकुराम वरदराज एवं कृष्णा उलागारत्चगन ने एक संयुक्त वक्तव्य में बताया, "इन्टेलीजेंट प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स तथा बिग डाटा माॅडल्स की मदद से बीमारियों की रोकथाम और जन स्वास्थ्य प्रबंधन में सफलता पाई जा सकती है। अध्ययन में स्पष्ट किया गया है कि जिन लोगों में पहले से ही रोग मौजूद हैं और जो लोग गंभीर रोगों के खतरे तले जी रहे हैं उनका वैज्ञानिक विधि से आकंलन किया जा सकता है। हमने ये भी देखा कि कम आयु के भारतीयों में भी कैसे जैविक कारणों से अथवा जीवन शैली में परिवर्तन से गंभीर रोगों की आशंका बढ़ जाती है। ये जरूरी है कि जल्द से जल्द सेहत पर ध्यान दिया जाये और प्रभावी जीवन शैली अपनायी जाये। सही समय पर सहायता लेना ही प्रमुख समाधान है।"

'हैल्दी' ने अपने अध्ययन में, आबादी को तीन विविध समूहों में विभाजित किया गया है। तीस वर्ष से कम आयु वालों को ‘यंग इन्विसिबल्स’, 30 से 40 वर्ष वालों को ‘नाॅट-सो-बुलेटप्रूफ्स’ और 40 से अधिक आयु वालों को ‘मेअर मोर्टल्स’ की श्रेणी में रखा गया है।

हैल्दी रिसर्च के अनुसार, देश की 20 प्रतिशत आबादी बैठे रहने वाला जीवन जी रही है, जिससे इन्हें रक्त नलिकाओंहृदय रोगों का खतरा सामान्य से दोगुना अधिक है। कुल मिला कर 91 प्रतिशत महिलाएं गर्भाशय के कैंसर88 प्रतिशत महिलाएं स्तन कैंसर की स्क्रीनिंग नहीं करवाती हैं, जबकि दोनों ही रोग ऐसे हैं जिनमें समय रहते पता लगने पर ही जीवन बचाया जा सकता है।

ये एक ज्ञात तथ्य है, कि जागरुकता बढ़ने, सरकारी कोशिशों व समझदार नियोक्ताओं द्वारा निवेश बढ़ाने और प्रशिक्षित चिकित्सकों व सुविधाओं की उपलब्धता के बावजूद मधुमेह व हृदय रोगों के मामले में भारत दुनिया में अग्रणी बना हुआ है। ‘हैल्दी’ को आशा है कि इसकी अध्ययन रिपोर्ट से भारत में गंभीर व जीवन शैली रोगों के प्रबंधन हेतु सेहत के लिए हितकारी नीतियां बनाने और रणनीति तैयार करने में मदद मिल सकती है। हैल्दी ने अपने अध्ययन में बंगलौर, चेन्नई, दिल्ली व एनसीआर, हैदराबाद, मुंबई और पुणे को शामिल किया है।


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